ताकि बुझ सके पक्षियों की प्यास

ताकि बुझ सके पक्षियों की प्यास

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गर्मियों में पानी की कमी से इंसान ही नहीं पक्षी भी बहुत परेशान रहते हैं, लेकिन समाज के कुछ भले लोगों की बदौलत पक्षियों को गर्मियों में पानी नसीब हो जाता है। कुछ समय पहले ThinkRight.me हिन्दी ने कोच्चि के कुछ आईटी कर्मचारियों के बर्डबाथ की कहानी बताई थी। आज केरल के ऐसे इंसान की कहानी बताने जा रहे हैं जो पक्षियों की प्यास बुझाने के लिए मुफ्त में मिट्टी के बर्तन बांट रहा है।

पक्षियों को मिले पानी

केरल के एर्णाकुलम के मुप्पाथडम गांव में रह रहे 70 वर्षीय श्रीमन नारायण पक्षियों की प्यास बुझाने के लिए जो काम कर रहे हैं, वह किसी मिसाल से कम नहीं है। लेखक और पर्यावरणकर्मी श्रीमन ने गर्मियों में पक्षियों की प्यास बुझाने के लिये 10,000 मिट्टी के बर्तन मुफ्त बांटने का फैसला किया है ताकि लोग इन मिट्टी के बर्तनों में पानी भरकर घर की छत और बालकनी में रख सकें। अब तक वह 9000 बर्तन बांट चुके हैं।

उनका मानना है कि यदि इन बर्तनों में हर इंसान रोज़ाना पानी भरे, तो पक्षियों को गर्मियों में प्यासा नहीं रहना पड़ेगा। यह प्रोजेक्ट उन्होंने पिछले साल शुरू किया था, जो काफी सफल रहा था। पिछले साल की सफलता को देखते हुये श्रीमन ने इसे साल भी जारी रखने का फैसला किया है। इस प्रोजेक्ट का नाम है, ‘जीव जलाथियु मानपत्रम’ है। इसका मतलब है, ज़िंदगी बचाने वाले पात्र। श्रीमन का कहना है कि गर्मी बढ़ने के साथ ही पक्षियों को पानी मुहैया कराने वाले ज़्यादातर स्रोत सूख जाते है। बढ़ते तापमान से सिर्फ इंसान ही नहीं, बल्कि जानवर भी प्रभावित होते हैं। एक बर्तन से कम से कम 100 पक्षी पानी पी सकते हैं।

ताकि बुझ सके पक्षियों की प्यास
गर्मियों में प्यासे नहीं रहेंगे पक्षी  | इमेज: फाइल इमेज

लगा दी जमापूंजी

10,000 मिट्टी के बर्तन बांटने में करीब 6 लाख रुपए खर्च आया है, जो उन्होंने अपनी सेविंग्स से दिये हैं। तीन बच्चों के पिता श्रीमन का कहना है कि वह अपने बच्चों की ज़िम्मेदारी निभा चुके हैं। बच्चे अपनी ज़िंदगी में सेटल है, इसलिए अब भविष्य के लिए सेविंग करने की बजाय इसका इस्तेमाल वह धरती की स्थिति सुधारने के लिये करना चाहते हैं।

पेड़ भी लगाये

पक्षियों के लिए मिट्टी के बर्तन बांटने के साथ ही श्रीमन ने गांववालों को पेड़ लगाने के लिये भी प्रेरित किया है और अब तक वह मुफ्त में 50,000 पौधें बांट चुके हैं। उन्होंने गांव में सिर्फ आम और कटहल के ही 10,000 पेड़ लगवाये हैं। इतना ही नहीं पेड़ लगवाते समय श्रीमन गांव वालों से यह भी वचन लेते हैं कि हर परिवार अपने कंपाउंड के एक पेड़ का फल पक्षियों के लिए रखेंगे।

गांधी जी के विचारों और सिद्धातों से प्रभावित श्रीमन इस उम्र में समाज और पर्यावरण की भलाई के लिए जो काम कर रहे हैं, इससे हर किसी को सबक लेना चाहिये।

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