पैरा-तीरंदाज राकेश कुमार :  कभी दोनों पैर खोए आज हैं दोनों हाथ में गोल्ड मेडल

पैरा-तीरंदाज राकेश कुमार : कभी दोनों पैर खोए आज हैं दोनों हाथ में गोल्ड मेडल


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राकेश आज हैं तीरंदाज़ी के विश्व चैंपियन
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जब जीवन में कुछ करने या कुछ पाने की आशा होती है, तो इंसान के जीवन का सफर आसान हो जाता है। साथ ही उसे हौसला देकर अच्छे वक्त तक ले कर जाती है। टोक्यो पैरालंपिक में शामिल होने वाले राकेश कुमार का सफर इसका अच्छा उदाहरण है। कभी ज़िंदगी खत्म करने की कोशिश करने वाले राकेश को अपने जीवन की आशा धनुष में दिखाई दी और आज पैरा तीरंदाज़ी के विश्व चैंपियन है।

आसान नहीं था राकेश कुमार का सफर

जम्मू के रहने वाले राकेश कुमार का जन्म 1983 में हुआ था। दरअसल, साल 2009 में एक दुर्घटना के कारण इन्होंने अपने दोनों पैर खो दिए। लाचारी के कारण सुसाइड की कोशिश भी की। जब कई साल बीत गए और लकवा से पैर ठीक नहीं हुए, तो इन्होंने एक मोबाइल की दुकान खोल ली। हालांकि किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। इनकी दुकान पर कुलदीप वेदवान नाम के शख्स ने आर्चरी में आने की प्रेरणा दी और एक कंपाउंड धनुष भी दिया। बस फिर क्या था, साल 2017 में राकेश ने माता वैष्णोदेवी श्राइन बोर्ड के स्टेडियम से तीरंदाजी में कदम रखा। महज कुछ सालों में ही राकेश ने अपने हुनर का दबदबा साबित भी कर दिया।

पैरा-तीरंदाज राकेश कुमार
मज़बूत इरादे की देते हैं प्रेरणा | इमेज : फेसबुक

राकेश ने बनाए कई रिकॉर्ड और जीते मेडल

आज राकेश कुमार का परिचय उनके मेडल देते हैं। राकेश ने कई राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताएं अपने नाम की हैं ।जैसे

2018

-पैरा टॉप 8 के ट्रायल में पहला स्थान हासिल किया।
-चेक रिपब्लिक में पहला गोल्ड जीता।
-ऐशियाई गेम्स में दसवां स्थान हासिल किया।
-दुबई के फैजा कप में पांचवां स्थान।

2019

-नीदरलैंड में विश्व पैरा आर्चरी चैंपियनशिप में नवां स्थान और पैरालंपिक 2020 के लिए कोटा भी हासिल किया।

सचिन तेंदुलकर से मिलने की इच्छा रखते हैं राकेश

राकेश के लिए परफेक्शन का बहुत महत्व है। वह खुद परफेक्शन की कोशिश करते हैं और दूसरे परफेक्टनिस्ट लोगों को पसंद भी करते हैं। जैसे क्रिकेट के परफेक्टनिस्ट सचिन। राकेश कुमार की इच्छा है कि जब वो पैरालंपिक से गोल्ड मेडल जीत के आएं तो उनकी मुलाकात सचिन से हो।

दोस्तों से मिला साथ तो राह हुई आसान

राकेश मानते हैं जीवन में अच्छे दोस्तों का होना बहुत ज़रूरी है। साथ ही हमेशा कुछ अच्छे संबंध भी होने चाहिए। राकेश कहते हैं शुरुआत में मेरे कोच और दोस्तों ने ही मेरा साथ दिया था।

राकेश कुमार जैसे खिलाड़ी खेल को जीवन में सबसे ज़रूरी मानते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है अच्छा जीवन जीने की प्रेरणा। हमें भी अपने बच्चों को परिवार को खेल से जोड़ने की ज़रूरत है ताकि उनकी एनर्जी का सही इस्तेमाल हो और देश का फायदा भी।

इमेज : फेसबुक

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