एक समय था, जब नानी-दादी के बारे में बात करते वक्त एक बुज़ुर्ग महिला, जिसके सफेद बाल, झुकी हुई कमर, चेहरे पर तज़ुर्बे की झांइयां और जादू की पोटली में ढेर सारे किस्से-कहानियां, ऐसी झलक आंखों में आती थी। वह सारे दिन घर के काम में व्यस्त रहती, लेकिन थकान की शिकन कभी भी देखने को नहीं मिलती थी। देखने में तो वो बुज़ुर्ग लगती थीं, लेकिन शरीर में ताकत इतनी जितना आज के मध्यम उम्र के किसी व्यक्ति में हो, उससे भी ज़्यादा। ऐसा कह सकते हैं कि बिना जिम जाए भी वो कितनी फिट रहती थीं।
….. खैर समय बदल गया है। आज की नानी-दादी घर के काम-काज के साथ-साथ दफ्तर भी संभालती हैं और फिट रहने के लिए जिम या फिटनेस क्लास भी जाती हैं। वैसे तो आज-कल सभी जानते हैं कि अच्छे स्वास्थ के लिए तन और मन दोनो का स्वस्थ रहना ज़रूरी है, लेकिन ज़्यादातर लोग यह नहीं जानते की कई बार जो दिखता है, असल में वैसा होता नहीं।
आज के युवा ब्रैंडिंग व मार्किटिंग पर ज़्यादा ध्यान देते हैं। जिस प्रॉडक्ट पर कोई ऐब्स वाला या ज़ीरो फिगर वाली सेलिब्रिटी दिख जाए, बस उसी का इस्तेमाल करना है। क्या करें, मार्केटिंग है ही ऐसी चीज़ जो आपके मन को यह समझाने में कामयाब हो जाती है कि, कोई प्रॉडक्ट केवल इसलिए अच्छा है क्योंकि उसको प्रमोट करने वाला सेलिब्रिटी फिट दिखता है। सच माने तो यह एक बेहद खतरनाक धारणा है। सिक्स पैक ऐब्स वाला व्यक्ति फिट हो यह ज़रूरी नहीं और न ही यह ज़रूरी है कि अपनी कद के हिसाब से कम वज़न वाली कोई महिला अंडरवेट है और फिट नहीं है। चलिए आपको कुछ उदहारण देते हैं।

उदाहरण 1
हाल ही में मीराबाई चानू ने टोक्यो ओलंपिक्स के दौरान वेट-लिफ्टिंग में भारत को सिल्वर मेडल दिलवाया। चानू का वज़न 49 किलोग्राम है और वो पांच फीट के लगभग हैं। फिर भी उन्होंने स्नैच में 87 किलोग्राम वज़न उठा लिया और क्लीन एंड जर्क में 115 किलोग्राम वज़न उठा लिया, जो अच्छे-अच्छोंके बस के बाहर होता है। इससे उनकी फिटनेस लेवल के बारे में साफ पता चल जाता है।
उदाहरण 2
जॉर्जिया के वेटलिफ्टर लाशा तलाखज़ादे का वज़न करीब 175 किलोग्राम है और उनकी लंबाई 6 फीट 5 इंच है, साथ ही उनका मोटा पेट भी है। तो क्या इसका मतलब है कि वो फिट नहीं हैं? ऐसा बिल्कुल नहीं है। लाशा एक के बाद एक वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाते हैं और अपने ही पुराने रिकार्डेस को तोड़ देते हैं। टोक्यो ओलंपिक्स में उन्होंने स्नैच में 223 किलोग्राम और क्लीन एंड जर्क में 265 किलोग्राम का वज़न उठाया। इतने वेट को उठाने के लिए एक व्यक्ति को बेहद फिट होना ज़रूरी होता है, जो लाशा हैं।
उदाहरण – 3
अब बात अगर क्रिस्टियानों रोलाल्डो की करें, तो उन्हें फिटनेस का प्रतीक माना जाता है। जितनी फुर्ती से वो सामने वाली टीम के बॉक्स में बाल को रोटेट करते हैं, स्टेपओवर्स करते हैं, फील्ड में तेज़ी से इतनी देर दौड़ते हैं और दूसरी टीम के खिलाड़ियों को चकमा देते हुए गोल कर देते हैं, इन सब बातों से पता चल जाता है कि वो कितने फिट हैं। लेकिन फिर भी अगर उन से कहा जाए की वह अपने वज़न से दोगुना वेट-लिफ्ट करें, तो शायद वो न कर पाएं। लेकिन आप उन्हें अनफिट नहीं कह सकते, क्योंकि उनके गेम में जिस तरह की फिटनेस की ज़रूरत होती है, वो उन में है।
ध्यान रखिए कि फिट होने के लिए कोई शेप, वेट या साइज़ का होना मांपदंड नहीं है। इसलिए पतले होने या ऐब्स बनाने की चाह रखने की बजाय फिट होने की चाह रखिए।
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