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कभी फुरसत के पलों में बचपन के दिनों को याद करिये, सब कुछ कितना अच्छा लगता है न? अपने आसपास अपने बच्चों और उनके दोस्तों को देखना, उनके सोचने का तरीका, उनका नज़रिया कितना अनोखा और आकर्षक होता है। एक बच्चे के लिए दुनिया बेहद खूबसूरत और हर इंसान अच्छा होता है। हर नई सुबह नई खुशियां लाती है, तो क्यों न एक बार आप भी फिर से बच्चे बन जाइये। उनके नज़रिये से दुनिया को देखिये और ज़िंदगी को खुशनुमा बनाइये। हर चीज़ नई लगती है- बच्चे हर चीज़ को देखकर बहुत उत्साहित हो जाते हैं, क्योंकि उनके लिए […]
किताबों की दुनिया बड़ी ही खूबसूरत होती है, कहते हैं इस दुनिया में खो कर कुछ भी पाया जा सकता है। लेकिन जैसा कि हम जानते हैं समय बदल रहा है और पढाई का तरीका भी, और अब जमाना भी स्मार्ट स्टडीज़ की तरफ बढ़ रहा है। इसी मुहिम का हिस्सा बैग फ्री स्कूल भी है। कुछ दिनों पहले मानव संसाधन मंत्रालय ने एक गाइड लाइन जारी की थी, जिसमें स्कूली बैग के बढ़ते बोझ को नियंत्रित करने की कोशिश की गई थी ताकि स्कूली बैग के बोझ से दबे बच्चों को स्मार्ट बनाया जा सके। खैर, सरकार के इस […]
अविका सिर्फ 5 साल की है, लेकिन जब भी कोई उसके घर आता, तो वह बहुत प्यार और सम्मान के साथ उनसे बात करती। वहीं 5 साल का आरव हमेशा मुंह बनाये रहता, कुछ पूछने पर भी गुस्से में ही जवाब देता, न तो वह अविका की तरह बड़ों से मिलने पर उन्हें नमस्ते बोलता है और न ही कुछ पूछने पर सही तरह से जवाब देता है। दोनों बच्चों में यह अंतर किसी और चीज़ का नहीं बस परवरिश का है। बच्चे वैसा ही बर्ताव करते हैं जैसा वह अपने माता-पिता को करता देखते हैं। चूंकि अविका ने हमेशा […]
कभी-कभी दूसरों के प्रति आपका छोटा सा भाव उनके लिए बहुत बड़ी मदद हो सकती है। दुनिया में न जाने कितने ऐसे लोग हैं, जो अपने से थोड़ा कमज़ोर लोगों की मदद करने की पूरी कोशिश करते है। वैसे इस तरह की मदद आमतौर पर बड़ी उम्र के लोग करते हैं, लेकिन एक नौ साल के बच्चे ने अपनी ही उम्र के बच्चे की मदद कर के दूसरों के लिए कृतज्ञता की एक मिसाल पेश की है। देखिये इस वीडियो में- कौन है नेक दिल बच्चा ? कुछ दिन पहले मलेशिया के क्वालालंपुर में रहने वाला नौ साल का चेख […]
इस बात को तो सभी मानते है कि आगे बढ़ने के लिए पढ़ना-लिखना बहुत ज़रूरी होता है लेकिन आज भी एक बड़ी तादाद है, जो शिक्षा से कोसो दूर हैं। इनमें से ज़्यादातर लोग ऐसे हैं, जो आर्थिक तंगी के कारण स्कूल नहीं जा पाते। इस मुश्किल का हल करने के लिए देशभर में हज़ारों सरकारी स्कूल हैं लेकिन समस्या यह है कि स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति कम ही रहती है। ऐसे में देश के अलग-अलग हिस्सों के शिक्षकों ने अपने स्कूल को कुछ इस तरह से पेंट किया है कि बच्चे वहां आने से खुद को रोक नहीं […]
चार साल का रेहान हर बार खाने की प्लेट को देखकर नाक भौंह सिकोड़ने लगता है और अजीब-अजीब मुंह बनाकर मां से कहता है इसका कितना गंदा टेस्ट है। फल, सब्जियों से लेकर दाल-चावल तक उसे कुछ पसंद नहीं आता। उसे पसंद है, तो बस पिज्जा, बर्गर और पेस्ट्री। ये समस्या सिर्फ रेहान की ही नहीं, आजकल के ज़्यादातर बच्चे ऐसे ही खाने को लेकर ऐसा ही बिहेव करते है। लेकिन परेशान होने की ज़रूरत नहीं है, थोड़ी सी स्मार्टनेस दिखाकर आप अपने बच्चों में हेल्दी ईटिंग हैबिट डाल सकती हैं। सबसे पहले तो यह जान लीजिए कि बच्चों को […]
इंटरनेट से अगर दुनियाभर की सैर होती है, तो कई गलत चीज़ों की जानकारी भी मिलती है। ऐसे में बच्चों को कैसे इसके नुकसान से बचाया जाये, यह जानना और समझना बहुत ज़रूरी है।
बच्चों का ज़िद्दी होना कोई अनोखी बात नहीं है। यह एक सामान्य इंसानी बर्ताव है। आमतौर पर जब बच्चे अपनी मनमर्जी नहीं कर पाते या उन्हें अपनी मनचाही चीज नहीं मिलती है, तो वे मचलने लगते हैं और उनकी यह आदत धीरे-धीरे ज़िद का रूप ले लेती है, जिसमें वे अपने इमोशन्स रोकर, चीख-चिल्लाकर या नाराज़ होकर ज़ाहिर करते हैं। ऐसे बच्चों को थोड़ी सी मेहनत करके ही पटरी पर लाया जा सकता है। ढ़ेर सारे विकल्प दें जब आप बच्चों पर अपनी बात थोपते है, तो वे स्वभाव से विद्रोही होते चले जाते हैं और फिर जिस काम को […]
बेंगलुरु के एक प्राइवेट स्कूल विद्याशिल्प अकादमी ने अपने कैंपस में एक रिसाइक्लिंग यूनिट को लगाया और फिर उसी यूनिट से बिजली पैदा करके बाकी लोगों के लिए एक मिसाल कायम की है। इतना ही नहीं, अकादमी रोज़ाना कैंपस में रिसाइक्लिंग करके कागज़ की 800 शीट भी तैयार करती है। 4,223 पेड़ एवं 59,62,560 लीटर पानी की बचत अपनी इस अनूठी पहल के दम पर स्कूल ने अब तक जहां 4,223 पेड़ एवं 59,62,560 लीटर पानी की बचाया है, वहीं 10,931 घरों के लिए भी एक महीने की बिजली की बचत की है। इतना ही नहीं, स्कूल ने 2,48,440 किलोग्राम […]
किसी भी क्षेत्र में कामयाबी हासिल करने के लिए बच्चों को मोटिवेशन बहुत ज़रुरी है।खासकर बच्चे अपनों से प्रेरणा पाकर बहुत जल्दी नया सीखते हैं।
दिनेश बडगैंडी, जिन्होंने गांव के बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए मोबाइल प्लानेटेरियम बनाया और इससे लाखों बच्चों को फायदा हो रहा है।
अपने बच्चे को अनुशासित बनाने के लिए आपको बस कुछ बातों का ध्यान रखना होगा।
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