अविका सिर्फ 5 साल की है, लेकिन जब भी कोई उसके घर आता, तो वह बहुत प्यार और सम्मान के साथ उनसे बात करती। वहीं 5 साल का आरव हमेशा मुंह बनाये रहता, कुछ पूछने पर भी गुस्से में ही जवाब देता, न तो वह अविका की तरह बड़ों से मिलने पर उन्हें नमस्ते बोलता है और न ही कुछ पूछने पर सही तरह से जवाब देता है। दोनों बच्चों में यह अंतर किसी और चीज़ का नहीं बस परवरिश का है।
बच्चे वैसा ही बर्ताव करते हैं जैसा वह अपने माता-पिता को करता देखते हैं। चूंकि अविका ने हमेशा देखा कि उसकी मां घर आए मेहमानों से अच्छी तरह पेश आती है, उनकी खातिरदारी करती है और बड़ों के पैर छूती है, जबकि आरव के माता-पिता इसके बिल्कुल विपरीत थे। यह तो बस छोटा सा उदाहरण हैं। ऐसी बहुत सी चीज़ें है, जो बच्चे अपने माता-पिता से सीखते हैं और सही परवरिश से आप अपने बच्चे को एक अच्छा इंसान बना सकते हैं।बच्चे हमेशा खुश रहे, खुद को सम्मानित महसूस करें और आगे चलकर एक नेक इंसान बनें।
इसके लिये हर पैरेंट्स को कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है।
– ‘मिस्टर शर्मा का लड़का कितना होशियार है हर बार क्लास में फर्स्ट आता है और स्पोर्ट्स में भी आगे हैं और एक तुम हो की…’ इस तरह की बातें बच्चों से कभी न करें, वरना वह हीन भावना के शिकार हो जायेंगे। उन्हें लगेगा की उनकी कोई अहमियत नहीं हैं, ऐसे में खुद को साबित करने के लिए वह सही की बजाय गलत काम कर सकते हैं।
– बच्चे दुनिया को अपनी नज़र से देखते हैं, इसलिए यदि किसी चीज़ को देखकर वह अपना अनुभव आपसे साझा करें, तो ‘ये बकवास है, फिज़ूल है’ बोलकर उनका मनोबल न गिराये, बल्कि ध्यान से उसकी बात सुनें। जो वह कह रहा है, उसके पीछे उसका तर्क क्या है। इससे आगे भी बच्चा अपनी नई सोच आपके साथ शेयर करता रहेगा।
– गलती करने पर बच्चों को थोड़ा डांटना तो ज़रूरी है, लेकिन उन पर हाथ उठाना सही नहीं है। इससे बच्चों के दिमाग में यह बात बैठ जाएगी कि खुद से कमज़ोर पर हाथ उठाना सही है।
– यदि आप ज़िंदगी में आगे नहीं बढ़ पाये या अपना कोई सपना पूरा नहीं कर पाये, तो इसके लिए गलती से भी बच्चे को ज़िम्मेदार न ठहराये। ‘तुम्हारी वजह से मुझे नौकरी छोड़नी पड़ी’ जैसी बातें भूल से भी न कहें।
सही परवरिश ही बच्चे को नेक इंसान बनाती है और वह खुद से व दूसरों से प्यार करना सीखता है।
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