हर साल 7 अप्रैल को ‘वर्ल्ड हेल्थ डे’ मनाया जाता है, जिसे वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाईज़ेशन और अन्य सहयोगी संगठन स्पॉन्सर करते हैं। साल 1950 से हर साल मनाये जाने का उद्देश्य दुनियाभर का ध्यान अच्छे स्वास्थ्य के महत्व की ओर आकर्षित करना है।
लोग अपनी सेहत का ध्यान रखें, इसके लिये हर साल वर्ल्ड हेल्थ डे की अलग थीम अलग रखी जाती है और इस साल की थीम ‘यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज: एवरीवन, एवरी व्हेयर’ है। इसका मतलब है कि दुनिया के हर व्यक्ति को सेहतमंद रहने के लिए जिन चीज़ों की ज़रूरत होती है, वह उन तक पहुंचाई जा सके। जैसे, स्वास्थ्यकर्मी, सुरक्षित और प्रभावी देखभाल, दवाइयां, उनके ऊपर होने वाले खर्चे की ज़िम्मेदारी और उनके लिए बनाई गई पॉलिसीज़ के बारे में जानकारी।
इन लोगों को होती है, स्वास्थ्य सेवा की सबसे ज़्यादा ज़रूरत
गर्भवती महिलायें
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को देखभाल की बेहद ज़रूरत होती है, जिससे वह एक स्वस्थ शिशु को जन्म दे सकें। डिलिवरी से पहले डॉक्टर से कराये गये रुटीन चेकअप की मदद से वक्त रहते ज़रूरी ट्रीटमेंट देकर, मां और उसके होने वाले बच्चे को किसी भी जोखिम से बचाया जा सकता है।
शिशु
जैसे ही बच्चा इस दुनिया में आता है, उसके लिये डॉक्टर का होना ज़रूरी है क्योंकि वह शिशु के चेकअप करने के साथ साथ वेक्सीनेशन भी करते है।
बुज़ुर्ग
बढ़ती उम्र के साथ शरीर में कुछ समस्यायें आने लगती हैं। पुरानी बीमारियों के साथ-साथ मानसिक बीमारियां और याददाश्त कमज़ोर होने की परेशानी भी घेरने लगती हैं। ऐसे में बुजुर्ग लोगों की स्वास्थ्य संबंधी ज़रूरतों और समस्याओं को अलग से नहीं देखा जा सकता है।
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाईज़ेशन की कोशिश है कि दुनियाभर में सभी लोगों को हेल्थकेयर की सभी सुविधायें मिले। अच्छा स्वास्थ हर किसी का हक है और बिना किसी सोशल, कल्चरल और पॉलिटिकल भेदभाव के हर इंसान तक इसका लाभ पहुंचना चाहिये।
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