योग के लगातार अभ्यास से व्यक्ति अपने सभी चक्रों को जागृत और नियंत्रित कर सकते है। चक्र में आने वाले रुकावटों और असंतुलन को भी कुछ विशेष योगासनों की सहायता से नियंत्रित और उपचारित कर सकते हैं।
स्वाधिष्ठान चक्र
स्वाधिष्ठान चक्र भावनात्मक और रचनात्मकता से जुड़ा है। यह चक्र नाभि के ठीक नीचे होता है। इसका तत्व जल है और इस प्रकार इसकी ऊर्जा प्रवाह और लचीलेपन की विशेषता है। जब आपका दूसरा चक्र खुला और स्वस्थ होता है, तो आप आनंदित, खुश और जीवन के प्रति प्रेरणात्मक महसूस करते हैं।
चक्र को जागृत करने वाले योग
जब स्वाधिष्ठान चक्र असंतुलन हो जाता है, तो इसका सीधा असर व्यक्ति के भावनात्मक अस्थिरता, डर, अवसाद, मांसपेशियों में तनाव और पेट में ऐंठन आदि का अनुभव करता है। योग सिर्फ एक शक्तिशाली उपकरण है जिसका उपयोग आप अपनी भावनाओं को संतुलित करने, शारीरिक परेशानी को दूर करने और अपनी रचनात्मकता को जगाने के लिए कर सकते हैं।
उत्कटा कोणासन (देवी पोज़)
यह शब्द संस्कृत से लिया गया है, जिसका अर्थ है शक्तिशाली कोण। यह देवी काली की स्त्री ऊर्जा से जोड़ा जाता है। इसलिए गोडेड्स पोज़ भी कहते है। यह मुद्रा शरीर में ऊर्जा को बढ़ावा देने में मदद करती है। यह शरीर में गर्मी पैदा करता है और शरीर को आंतरिक और बाहरी दोनों तरह से संतुलित करता है। उत्कटा कोणासन आपकी जांघों के जोड़ो को फैलाता है और आपके प्रजननशक्ति, क्वाड्रिसेप्स, ग्लूट्स और कोर को विकसित करता है।
एका पद राजकपोटासन (कबूतर मुद्रा)
हमारे शरीर का अधिकांश तनाव कूल्हे के क्षेत्रों में बनता है। यह आसन पीठ को झुकाने वाला योगासन कूल्हों को आराम देता है। ऊपरी पैरों, हिप फ्लेक्सर्स के लचीलेपन को बढ़ाता है और पीठ के निचले हिस्से में दर्द, तनाव को कम करता है। एका पद राजकपोटासन स्वाधिष्ठान चक्र के लिए बहुत अच्छा है, क्योंकि यह तनावपूर्ण स्थितियों में शांत रहने की आपकी भावनात्मक क्षमता का परीक्षण करता है। कभी-कभी यह भावनात्मकता को भी रिलीज़ करने में ट्रिगर कर सकता है और चिंता, क्रोध या भय को लाकर आपको रुला सकता है। ऐसा होने पर आपके स्वाधिष्ठान चक्र को धीरे-धीरे भावनात्मक रुप से संतुलित करता है।
अंजनेयासन (हाई लंज (क्रिसेंट पोज़)
यह आसन कूल्हे को खोलने वाला एक बेहतरीन आसन है, जो आपके शक्ति और एकाग्रता कौशल का परीक्षण करेगा। अंजनेयासन कई स्वास्थ्य लाभों के साथ पूरे शरीर की एक क्लासिक मुद्रा है। यह घुटनों, जांघों, कूल्हों, रीढ़, छाती और कंधों की ताकत को बढ़ाता है। स्वाधिष्ठान चक्र को जागृत करने के लिए यह आसन आपको केंद्रित रहने का मौका देता है ताकि आप संतुलन बनाए रखने मदद हो सकें।
बद्ध कोणासन
इस आसन में जितना जांघों, कमर और घुटनों को स्ट्रेच करता है,उतना ही स्वाधिष्ठान चक्र को संतुलन करने में फायदेमंद है। जब आप ये आसन करते हैं, तो इस चक्र के आस पास जमा हुई नेगेटिव ऊर्जा खत्म होने लगती है और पॉज़िटिव ऊर्जा का संचार होने लगता है।
सुप्त बद्ध कोणासन
इस योगासन को करने से शरीर में एक नई ऊर्जा का संचार होता है। सप्त बद्ध कोणासन करते समय जांघो को फैलाना होता है। इस फैलाव के कारण जांघों की मांसपेशियों पर खिंचाव पड़ता है। इसी खिंचाव के कारण मांसपेशियां मज़बूत बनती है। इससे शरीर में भी लचीलापन बना रहेगा।
अगर आप रचनात्मक, भावनात्मक रूप से स्थिर और जुड़ा हुआ महसूस करना चाहते हैं इन आसनों को अपनी योग दिनचर्या में शामिल करें।
और भी पढ़िये : सर्दी से बचना हो तो खाएं सरसो का साग और मक्की की रोटी
अब आप हमारे साथ फेसबुक, इंस्टाग्राम और टेलीग्राम पर भी जुड़िये।