बचपन से ही हम वीर और साहसी राजा, महाराजा और अन्य योद्धाओं की कहानी सुनते आ रहे हैं। साहसी लोगों का सब सम्मान करते हैं, लेकिन साहसी होने का मतलब सिर्फ फिज़िकली स्ट्रॉंग होना नहीं है। सोसायटी में बदलाव लाने के लिए नई सोच विकसित करना, नुकसान की चिंता किये बिना नया बिज़नेस शुरू करना यह सब भी साहस की निशानी है। साहस को अलग-अलग तरह से देखा जा सकता है।
डर पर जीत
डर एक स्वाभाविक चीज़ है। ऐसा नहीं है कि साहसी लोगों को किसी चीज़ से डर नहीं लगता, बल्कि सच्चाई तो यह है कि अपने डर के बावजूद उस चीज़ को पाने के लिए आगे बढ़ना यानी डर पर जीत हासिल करना ही साहस है। जब तक आप डरेंगे नहीं, हिम्मत कैसे आयेगी? किसी चीज़ पर प्रतिक्रिया देने की बजाय काम करना ही साहस है।
दिल की सुनना
हर इंसान का कुछ पैशन यानी जूनून होता है और यही जूनून इंसान को कुछ अलग, असाधारण करने, नई चीज़ें ढूंढ़ने के लिए प्रेरित करता है। जूनून को पूरा करने के लिए इंसान दिल की सुनता है और यही साहस है। स्टीव जॉब्स ने एक बार कहा था, ‘सबसे पहले अपने दिल और अंतरात्मा की सुने, क्योंकि उसे पता है कि आप क्या बनना चाहते हैं, बाकी सब महत्वपूर्ण नहीं है।’ अपने दिल और अंतरात्मा की आवाज़ को सुनना ही साहस है। जो इंसान ऐसा नहीं कर सकता सही मायने में वह साहसी नहीं है।
प्रतिकूल स्थितियों का सामना करना
ज़िंदगी में कई बार ऐसे हालात उत्पन्न हो जाते हैं, जिसकी हमने कल्पना भी नहीं की होती, ऐसे में इंसान घबरा जाता है, उसे समझ नहीं आता कि अब क्या करें, लेकिन कुछ लोग बिना डरे हिम्मत से ऐसे हालात का सामना करते हैं। दरअसल, ज़िंदगी की आधी से ज़्यादा मुश्किलें तभी हल हो जाती हैं, जब उससे डरने की बजाय हम साहसपूर्वक उसका सामना करने की ठान लें।
सच का साथ देना
कई बार बुराई को हराने से ज़्यादा ज़रूरी होती है, उसके खिलाफ खड़े होना यानी सच्चाई के साथ खड़े होना। यह काम आसान नहीं होता और साहसी लोग ही बस ऐसा कर पाते हैं। देखने में भले ही लगे कि यह तो बहुत छोटी सी बात है, लेकिन असलियत तो यह है कि सच का साथ देने की हिम्मत अच्छे-अच्छे लोगों में नहीं होती। यह काम पहाड़ चढ़ने जितना ही मुश्किल है, इसलिए ऐसा करने वाले साहसी होते हैं।
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