कंप्यूटर और लैपटॉप के इस ज़माने में ज़्यादातर लोगों की लिखने की आदत छूट चुकी है, क्योंकि सब कुछ तो ऑनलाइन हो चुका है और महामारी की वजह से तो पढ़ाई भी ऑनलाइन हो गई है यानी आने वाली पीढ़ी कि लिखने आदत और जल्दी खत्म हो रही है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि लिखना कितना ज़रूरी है, न सिर्फ क्रिएटिविटी बढ़ाने के लिए बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी। अगर आप मन को शांत रखने के साथ अपनी समझ को विकसित करना चाहते हैं, तो आज से ही डायरी या जर्नल लिखने की आदत डाल लीजिए।
सिर्फ हमारे बड़े-बुज़ुर्ग ही नहीं, बल्कि शोधकर्ताओं का भी मानना है कि डायरी/जर्नल लिखना आपके लिए अच्छा हो सकता है, इससे डिप्रेशन कम करने में मदद मिलती है। इसके अलावा डायरी लिखने के और क्या फायदे हैं? आइए, जानते हैं।
नए विचार आते हैं
जब आप अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी की खास बातों को डायरी या जर्नल में लिखते हैं जिसमें न सिर्फ अच्छी बातें और यादें, बल्कि कुछ समस्याएं भी शामिल होती हैं, तो आपके मन-मस्तिष्क में लिखते रहने से उन समस्याओं के समाधान भी आ जाते हैं। लिखने से दिमाग सक्रिय रहता है। खाली समय में टीवी और सोशल मीडिया पर समय बिताने से अच्छा है कि अपने बीते कल के बारे में लिखें क्या अच्छा हुआ, क्या अच्छा नहीं हुआ, जो अच्छा नहीं हुआ उसे ठीक करने के लिए आप क्या कर सकते हैं? जैसे सवालों के जवाब ढूंढ़कर आप लिखने की शुरुआत कर सकते हैं।
थेरेपी की तरह काम करता है
जो लोग अक्सर तनाव और चिंता में रहते हैं, उनके लिए डायरी/जर्नल लिखना किसी थेरेपी से कम नहीं है। लिखने की आदत उन्हें अवसाद और चिंता के जाल से बाहर निकलने में मदद करती है। जब आप अपने विचारों और भावनाओं को लिखते हैं तो मन का बोझ हल्का हो जाता है, मन के
नकारात्मक विचार कागज पर उतर आते हैं। लिखने और फिर अपने लिखे हुए को पढ़ने से आपको परिस्थितियों का सही आकलन करने में तो मदद मिलती ही है साथ ही अकेलापन भी महसूस नहीं होता।
यादों को सहेजने का बेहतरीन ज़रिया
ईमेल और फोन पर आप किसी को कितने भी अच्छे संदेश क्यों न भेज दें, लेकिन कागज के टुकड़े पर सुंदर अक्षरों में लिखे दो प्यार भरे शब्दों की अहमियत उनसे कहीं ज़्यादा होती है, क्योंकि इसमें लिखने वाले का प्यार और भावनाएं गहराई से जुड़ी होती है। यादों को आप सिर्फ कैमरे में फोटो लेकर ही नहीं सहेज सकते हैं, बल्कि अपने खूबसूरत पलों और दिनों के बारे में डायरी में विस्तार से लिखकर भी इसे सुरक्षित रख सकते हैं। भविष्य में इसे पढ़कर उस पल को आप दोबारा जी सकते हैं।
लेखन में सुधार
जिन लोगों की लिखने की आदत कंप्यूटर की वजह से छूट चुकी है उन्हें डायरी लिखने की आदत ज़रूर डालनी चाहिए। रोज़ाना लिखते रहने से लेखन में सुधार होता है, शब्दों का भंडार बढ़ता है, भाषा और शैली में सुधार आता है। साथ ही जब आप लिखने में व्यस्त रहते हैं तो उतनी देर तक स्क्रीन से भी दूर रहते हैं। यानी एक साथ कई फायदे होते हैं।
उम्मीद है अब से आप भी रोज़ाना कुछ न कुछ लिखने की आदत ज़रूर डालेंगे।
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