खुद से बात करके कैसे बढ़ाएं पॉज़िटिविटी ?

खुद से बात करके कैसे बढ़ाएं पॉज़िटिविटी ?

खुद से बातचीत करने पर आप कैसे अपने विचारों को बदल सकते हैं?
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‘खुद से बात करना’ पढ़कर शायद अटपटा लगा होगा, मगर ऐसा हम सभी करते हैं। खुद से बात करने का मतलब है अपनी अंतरात्मा से बात करना जिसे अंग्रेजी भाषा में सेल्फ टॉक कहा जाता है। खुद से पॉज़िटिव बातें करना न सिर्फ आपका आत्मविश्वास बढ़ाता है, बल्कि इससे आपकी सेहत भी अच्छी रहती है।

खुद से बात करना क्या है?

अकेले में मन ही मन विचार करना कि क्या सही है और क्या गलत, आपने जो किया क्या वह अच्छा किया या आपका दूसरों के प्रति व्यवहार कैसा था, जैसी बातें मन में सोचना ही खुद से बात करना कहलाता है। इसमें आपकी आवाज़ बाहर नहीं आती, बस आप अपनी अंतरात्मा से बात करते हैं। खुद से की जाने वाली ये बातें पॉज़िटिव और नेगेटिव दोनों हो सकती है। यह आमतौर पर व्यक्ति की पर्सनैलिटी पर निर्भर करता है।

पॉज़िटिव सोच वाला इंसान हमेशा खुद से पॉज़िटिव बाते करता है, जबकि नेगेटिव सोच वाला इंसान नकारात्मक चीज़ों के बारे में ही सोचता है। हालांकि थोड़ी सी कोशिश करके नेगेटिव सेल्फ टॉक को पॉज़िटिव में बदला जा सकता है। कुछ उदाहरण है –

नेगेटिव – ‘अगर मैं फेल हो गया तो सब मायूस हो जाएंगे’
पॉज़िटिव – ‘मुझे खुद पर गर्व है कि मैंने कोशिश तो की, इसके लिए बहुत साहस चाहिए।’

नेगेटिव – ‘मेरा वज़न बहुत बढ़ गया है और शरीर का आकार बिगड़ गया है, लेकिन मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता।’
पॉज़िटिव – ‘मुझमें इतनी क्षमता और साहस है कि मैं खुद को फिर से हेल्दी और फिट बना सकता हूं और खुद के लिए मैं यह करूंगा।’

खुद से बात करने से विचारों में आती है पॉज़िटिविटी
खुद से बात करने से विचारों में आती है पॉज़िटिविटी | इमेज : फाइल इमेज

पॉज़िटिव तरीके से खुद से करें बात

नेगेटिव विचारों की पहचान

यदि आप खुद से पॉज़िटिव बात करना चाहते हैं, तो पहले नकरात्मकता को पहचानना होगा। यह देखना होगा कि आप कब और किस तरह की नकारात्मक बातें करते हैं। एक बार इसकी पहचान करने के बाद आप अपने नेगेटिव विचारों को पॉज़िटिव तरीके से बदल सकते हैं।

अपनी भावनाओं को परखें

किसी बुरे हादसे या बुरे दिनों में अपने आपको को परखें और इस बात पर ध्यान दें कि क्या आपके विचार नेगेटिव हो रहे हैं और आप खुद से बात करते समय सिर्फ नकारात्मक बातें ही सोचते हैं? यदि ऐसा है तो थोड़ा रुकिए और अपने विचारों को पॉज़िटिव चीज़ों पर केंद्रित करने की कोशिश करें। जैसे ‘मेरी तो किस्मत ही खराब है हमेशा सब बुरा हो जाता है’ इसकी बजाय खुद से कहें ‘कोई बात नहीं जो हुआ वह बुरा सपना था, जल्द सब ठीक हो जाएगा।’

हंसी का कारण तलाशें

जब कभी तनाव या टेंशन हो तो कुछ फनी विडियो, कॉमेडी शो या हास्य से भरी कोई किताब या अन्य चीज़ देखें। आपके चेहरे की हंसी तनाव और टेंशन कम करके आपके विचारों को पॉज़िटिव बनाएगी।

पॉज़िटिव लोगों के साथ रहें

इंसान जिन लोगों के साथ रहता है उसका उस पर बहुत गहरा असर पड़ता है। इसलिए हमेशा नकारात्मक लोगों से दूरी बनाकर रखें और पॉज़िटिव लोगों की संगत में रहने की कोशिश करें।

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