हाल ही में भारत की दो धरोहरों को यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज की लिस्ट में शामिल किया गया है। विश्व धरोहर समिति के चल रहे 44वें सत्र के दौरान गुजरात के हड़प्पाकालीन शहर धोलावीरा को कर लिया गया है। धोलावीरा एक बहुत ही महत्वपूर्ण शहरी केंद्र था जिसने हमें अपने अतीत के साथ जोड़े रखा है। यह गुजरात में कच्छ की भारत-पाकिस्तान सीमा पर स्थित है जिसका संबंध हड़प्पा काल से है। इस जगह को 5 हज़ार साल से भी पुराना माना जाता है, जो उस सभ्यता के सबसे बड़े प्राचीन नगरों में से एक था। इस साइट की खुदाई करीब 30 सालों तक हुई और ऐसा भी माना जाता है कि धोलावीरा में सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेष और खंडर मिले हैं। धोलावीरा के यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज की लिस्ट में शामिल होने के बाद गुजरात में चार विश्व धरोहर स्थल हो गए हैं। धोलावीरा के अलावा पावगढ़ में स्थित चंपानेर, पाटन और अहमदाबाद में रानी की वाव को भी विश्व धरोहर का दर्जा मिल हुआ है।
रुद्रेश्वर रामप्पा मंदिर
इसके अलावा तेलांगना के काकतीय रुद्रेश्वर रामप्पा मंदिर को भी वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल किया गया है। इस मंदिर के निर्माण की शुरुआत तेलांगना के काकतिया वंश के महाराजा गणपति देव ने सन 1213 में की थी। यह मंदिर वारांगल डिस्ट्रिक्ट की मुलुगु तालुक के पालमपेट गांव में है, जहां भगवान शिव की अराधना की जाती है। इस मंदिर के निर्माण में उपयोग की गई हल्की फ्लोटिंग ईंटें, भूकंप और अन्य प्राकृतिक आपदाओं का सामना करने के लिए की गई इसकी संरचना इसकी अनूठी विशेषताओं में शुमार हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि इस मंदिर का नाम अपने वास्तुकार-मूर्तिकार के नाम पर पड़ा। इसके विश्व धरोहर सूची में जुड़ते ही भारत में इन हेरिटेज साइट्स की गिनती चालीस हो गई है। । जुलाई 2021 तक, भारत के 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से 19 विश्व धरोहर स्थलों का घर हैं, जिनमें महाराष्ट्र में सबसे अधिक स्थल (6) हैं।

वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल होने के लिए ये हैं चार प्राकृतिक पैमाने
1. जगह असाधारण प्राकृतिक सुंदरता और परिघटना को दिखाती हो।
2. पृथ्वी के इतिहास, जीवन के रिकॉर्ड, लैंडफॉर्म में बदलाव का उदाहरण हो।
3. इकोलॉजी, बायोलॉजिकल प्रक्रियाओं और बायोलॉजिकल डायवर्सिटी वाली हो।
4. तटीय या समुद्री इको सिस्टम, पेड़-पौधों और जानवरों के महत्व को दिखाती हो।
वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल होने के लिए ये हैं सांस्कृतिक पैमाने
1. वो स्थल इंसान की रचनात्मक मेधा का मास्टरपीस होना चाहिए।
2. मानवीय मूल्यों के आदान-प्रदान, आर्किटेक्चर, टेक्नॉलजी, स्मारक कला, प्लानिंग, डिज़ाइन को दिखाता हो।
3. किसी नष्ट हो चुकी सभ्यता की सांस्कृतिक परंपरा को दिखाता हो।
4. मानव इतिहास के अहम पड़ाव के उदाहरण हो।

फायदे
अक्सर देखा जाता है की लोग ऐतिहासिक इमारतों पर अपना नाम लिख देते हैं। विश्व धरोहर की सूची में जुड़ने के बाद उस जगह को भविष्य की थाती के तौर पर सहेजा जाता है। वहां लोगों के आने-जाने, उस इमारत की देखरेख और उसके वैश्विक प्रचार में यूनेस्को मददगार होता है, जिससे पर्यटन में इज़ाफा होता है। इमारत के संरक्षण के बाद लोगों को इसे दूर से देखने और छू कर गंदा न करने जैसी सावधानियों का सख्ती से पालन करवाया जाता है। इसके अलावा कोई भी देश अपनी हेरिटेज साइट्स के संरक्षण के लिए विश्व धरोहर समिति से वित्तीय सहायता और विशेषज्ञ सलाह भी ले सकता है।
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