नए साल का तीसरा हफ्ता भर हुआ है और कई बार लगता है कि अपने ही बनाए रेज़्यूलोशन्स को निभाना मुश्किल हो रहा है।
रोज़ाना योग अभ्यास करने से लेकर हेल्दी खाने तक। अपनों के साथ ज़्यादा समय बिताने से लेकर “मी टाइम” निकालने तक। वर्तमान में रहने से लेकर ज़्यादा घूमने तक। स्थानीय एनजीओ में स्वयं सेवा की शुरुआत करना। क्या हम यह सब नहीं चाहते हैं?
हम में से अधिकांश लोग जहां कुछ हफ्ते, यहां तक की कुछ महीनों तक इसका पालन करते हैं, वहीं अधिकांश इसमें असफल हो जाते है। मैं भी उन्हीं लोगों में से एक हूं।
हर नए साल की शाम, मैं ऐसे कामों की लिस्ट बनाती थी, जो मुझे रोज़ाना पूरे करने होते थे और मुझे लगता था कि ऐसी लंबी लिस्ट पूरी करने से मुझे खुद को बेहतरीन इंसान बनने में मदद मिलेगी। लेकिन नतीजा शायद वही होता था, जैसे कि उम्मीद थी। कहने का मतलब है कि ज़्यादातर समय मैं असफल ही रहती थी और फिर बुरा महूसस करती। फिर साल के बीच में अपनी इस लंबी लिस्ट को पूरा करने के मिशन में लग जाती और अफसोस….. कि मैं फिर नाकाम रहती हूं। नए साल के संकल्प के असफल होने का यह सिलसिला कई सालों तक चलता रहा। इससे पहले कि मैं आपको बताऊं कि मैंने कब और कैसे रेज्यूलोशन बनाना बंद किया, चलिए पहले समझते हैं कि कोई ऐसा क्यों करता है।
हर जगह 31 दिसंबर कैलेंडर वर्ष के खत्म होने का प्रतीक है, जो हमें बीते साल के उतार-चढ़ावों को फिर से जीने का मौका देता है। हम सभी समय निकालकर सोचते हैं कि हमने क्या हासिल किया और कहां असफल रहें, अक्सर नाकामियों पर फोकस करते हैं। अब, सोशल मीडिया के ज़रिए साल के अंत में एक एलबम ऑटोमेटिकली फीड पर आ जाती जो आपको पिछले साल की यादों से रुबरु करा देती है। हम उन पलों को फिर से जीते हैं, खुद से बेहतर करने का वादा करते हैं और अधिक मेहनत करते हैं।
अक्सर इसी वजह से, हम अपनी नई लिस्ट में उन सब चीज़ों को जोड़ लेते हैं, जो हमें लगता है कि अब तक हासिल नहीं किया है। हम यह भी महसूस नहीं करते कि इस लिस्ट को बनाकर खुद को एक बार फिर नाकामी की ओर ले जा रहे हैं।
तो क्या इसका मतलब है कि हम योजना बनाना छोड़ दें, बेहतर बनने की चाह छोड़ दें, विकास करना बंद कर दें। बिल्कुल नहीं! लेकिन हमें आगे बढ़ने की योजनाओं का दोबारा मूल्यांकन की ज़रुरत है। पिछले कुछ सालों में अपने विकास पर काम करने के लिए मैंने अपना तरीका निकाल लिया है। यदि आप चाहें तो यह किसी भी समय शुरू कर सकते हैं, साल के किसी भी दिन।
1. अपनी ज़िंदगी में जगह बनाएं
यदि आपके पास दस चीज़ें हैं जिसे आप हासिल करना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको उसके लिए समय और स्थान/स्पेस बनाना होगा। प्राथमिकता तय करें और देखें कि आपको क्या तुरंत शुरू करना है और क्या इंतज़ार कर सकता है। उदाहरण के लिए, यदि आप सुबह दौड़ के लिए जाना चाहते हैं, सिर्फ घर का बना भोजन करना है, शाम को योग करना है या जिम जाना है, डेली जर्नल लिखना है, इसके अलावा घर के अन्य काम के साथ अपनी किताब के पहले अध्याय पर काम भी करना है, तो आप किसी भी काम के साथ न्याय नहीं कर पाएंगे। इसकी बजाय, सैर से शुरुआत करें, एक बार घर का बना भोजन करें और डेली जर्नल/डायरी लिखें। जैसे ही आप इन सबका रोज़ाना अभ्यास शुरू करेंगे, आपको महसूस हो सकता है कि आपको आराम की ज़रूरत नहीं है और पता चल जाएगा कि दूसरे काम के लिए जगह बनाने के लिए कौन सी गतिविधि छोड़नी है।
2. साल के लिए थीम बनाएं
जब हम एक थीम बना लेते हैं, तो रोज़ाना की उस लंबी लिस्ट में फंसने से बच जाते हैं, जिन कामों को करना अभी ज़्यादा ज़रूरी नहीं है। तो क्यों न, साल के लिए एक थीम बनाने पर फोकस करें और अपने संकल्प की योजना उसके इर्दगिर्द ही बनाएं। आपकी थीम कुछ भी हो सकती है जैसे “बचत” “नया सीखना” या कुछ भी जो आपको लगे कि पिछले साल नहीं किया और जिस पर काम करने की ज़रूरत है।
3. एक साथ सब न करें
अपनी संकल्प सूची को हफ्ते या महीने के आधार पर ब्रेक करें। इस तरह आप इसे आसानी से कर भी सकेंगे और आपके लिए इस लिस्ट के साथ बने रहना आसान हो जाएगा। मैं इसे मासिक काम के आधार पर ब्रेक करती हूं। उदाहरण के लिए जनवरी के अंत तक आप अपने घर और ऑफिस की जगह को डिकल्टर करें और फिर उसे ऐसे ही बनाए रखें, फरवरी के अंत तक अपनी लिस्ट में 5 नई रेसिपी को शामिल करें, मार्च के अंत तक कुछ निवेश करें और इसी तरह आगे बनाते जाएं।
4. मासिक/साप्ताहिक आधार पर अपने संकल्पों का दोबारा मूल्यांकन करना कोई गलत नहीं –
आखिर में, यदि आपको लगता है कि कोई खास काम आपके लिए सही नहीं है, तो अपनी अपनी योजनाओं को बदलने में कोई बुराई नहीं है। खुद को दोषी या गिल्टी महसूस न करें, कुछ समय का ब्रेक लें और जब आप तैयार हों, दोबारा शुरुआत करें।
आप सभी को अपने-अपने संकल्प/रेज्यूलोशन मिले, जो आपकी तरह ही अनोखे और खास हों।
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