आपदा में भी अवसर होते हैं। यह बात आपने ज़रूर सुनी होगी। लेकिन क्या सच में कोविड जैसी आपदा भी किसी के लिए अवसर बन सकती है? इसका जवाब है, हां और इसका उदाहरण है टोक्यो पैरालंपिक में हिस्सा लेने वाले पैरा शूटर खिलाड़ी सिंघराज। सिंघराज जैसे पैरालंपिक खिलाड़ियों को देख कर यह कहा जा सकता है कि समय किसी का आता नहीं बल्कि समय लाया जाता है।
पत्नी को गहने बेचने पड़े ताकि शुरू हो सिंघराज का सफर
हरियाणा के सिंघराज को परिवार में पैसे की तंगी के कारण बहुत समस्याएं झेलनी पड़ी लेकिन इन्होंने हार नही मानी। कोविड लॉकडाउन के कारण एक समय ऐसा भी आया जब पैसे और संसाधनों की कमी के कारण इनकी ट्रेनिंग रुक गई। हालांकि परिवार ने साथ दिया और पत्नी ने अपने गहने बेचकर सिंघराज की मदद की। सिंघराज बताते हैं उस समय गहने बेचने के अलावा कोई विकल्प नहीं था, क्योंकि जिनसे मुझे जीतना था वो लगातार ट्रेनिंग कर रहे थे और मैं शांत बैठा था। वैसे भी निशानेबाजी जैसे खेल में थोड़ी सी लापरवाही से बड़ा नुकसान हो जाता है जो मैं बर्दाश्त नहीं कर सकता था।
यूएई में जीते गोल्ड मेडल ने बदला समय
सिंघराज ने हाल ही में यूएई के अल-एन में पैरा शूटिंग वर्ल्ड कप 2021 में स्वर्ण पदक जीता। जिसके साथ ही पैरालंपिक 2020 के द्वार भी खुले। इन्होंने P 1- मैंस एयर पिस्टल 10 मीटर SH 1 फाइनल में उज़्बेकिस्तान के चैंपियन को हराया। सिंघराज के योगदान से इस खेल में भारत के पास दो पदक हैं।
सिंघराज ने अपना पहला अंतरराष्ट्रीय मैच अल एन में ही 2018 में खेला था लेकिन गोल्ड मेडल से चूक गए थे। 2019 में भी उन्हें सिल्वर से ही संतोष करना पड़ा। खैर सिघराज के निशाने पर अब टोक्यो पैरालंपिक है। वह कहते हैं कि जब मैंने पहला नेशनल गोल्ड मेडल जीता था तभी ठान लिया था कि मुझे पैरालंपिक खेलना है। आज वह सपना पूरा होने जा रहा है और जीत के भी आऊंगा। बस देशवासियों के प्यार के ज़रूरत है।
जब जागो तभी सवेरा
खेल में देरी से आने की वजह एक बार जब सिंघराज से पूछा गया कि आपने निशानेबाजी का ये खेल इतनी देरी से क्यों शुरू किया? तो उन्होंने जवाब दिया “जब जागो तभी सवेरा” । हम लोगों को ये लाइन सुनी-सुनाई और मामूली लग सकती है लेकिन ये लाइन सिंघराज के जीवन का सार है। समय की ज़रूरत है कि हम भी एक बेहतर जीवन के लिए आगे आए और सिंघराज जैसे लोगों से जीवन का एक और नज़रिया सीखें।
इमेज : इंस्टाग्राम
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