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आज के ज़माने में हर कोई बस अपने आप में बिज़ी है। उन्हें अपने आसपास के लोगों और समाज के दुख-दर्द से ज़्यादा फर्क नहीं पड़ता, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो स्वयंसेवक (वॉलेंटियर) बनकर सुविधाओं से वंचित लोगों की मदद कर रहे हैं। यदि हर संपन्न इंसान वॉलेंटियर बनकर दूसरे लोगों और समुदाय की मदद करने लगे, तो यकीनन लोगों की तकलीफें कम हो जायेगी। क्यों बनें वॉलेंटियर? वॉलेंटियर बनने पर आपको कोई आर्थिक लाभ तो नहीं होगा, हां यह सच है कि दूसरों की मदद करके दिल को जो सुकून मिलेगा, वह पैसों से नहीं मिल सकता। […]
कोई भी क्षेत्र हो, भारत ने पूरी दुनिया में अपनी पहचान बना ली है और बात जब फैशन, टेक्सटाइल और आर्ट की हो, तो भारत पीछे कैसे रह सकता है। आज हम आपको भारत के तीन ऐसे शहरों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो वैसे तो छोटे से हैं, लेकिन अपनी कला के ज़रिये स्वदेश ही नहीं, पूरी दुनिया में अपनी जगह बना चुके हैं। हम बात कर रहे हैं महाराष्ट्र के औरंगाबाद में स्थित पैठान, पश्चिम बंगाल की शांतिपुर-फुलिया बेल्ट, और मध्य प्रदेश के महेश्वर की, जो अपने यहां की साड़ियों के लिए प्रसिद्ध हैं। पैठान की […]
यदि छोटी उम्र से ही बच्चों को खुद के साथ ही अपने आस-पड़ोस को भी साफ-सुथरा रखने की आदत सिखाई जाये, तो आगे चलकर स्वच्छ गांव और शहर का निर्माण आसान होगा। कुछ इसी तरह की सोच के साथ गोवा के स्कूलों में अब से वेस्ट मैनेजमेंट यानी कचरा प्रबंधन सिखाया जायेगा। मेघालय का मावलिननॉन्ग एक छोटा सा और बहुत ही खूबसूरत गांव है। इसे एशिया के सबसे साफ गांव का दर्जा प्राप्त है। गांव को यह दर्जा दिलाने का श्रेय किसी बाहरी व्यक्ति को नहीं, बल्कि हर गांववाले को जाता है, जिन्होंने खुद ही अपने गांव को कचरा मुक्त […]
क्या आपने कभी सोचा है कि जब आप उदास होते हैं, तो आपके शरीर का एक हिस्सा बहुत परेशान होता है। आप में से ज़्यादातर लोग सोच रहे होंगे कि हम दिल कि बात कर रहे हैं। लेकिन यहां दिल की नहीं दिमाग की बात की जा रही है। दरअसल, जब भी आप उदास या परेशान होते हैं, तो आपके दिमाग के दो हिस्सों, अमाय्ग्डाला (इमोशंस का प्रोसेसर) और हिप्पोकैंपस (मेमोरी के लिए ज़िम्मेदार), के बीच बातचीत बढ़ जाती है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि बढ़ा हुआ मस्तिष्क संचार का कारण खराब मूड है या फिर यह इफेक्ट है। […]
अनुष्का भले ही पांच साल की है, लेकिन खाने के लिये अपनी मम्मी को रोज़ाना परेशान करती है। उसकी एक ही ज़िद्द होती है, पहले मोबाइल दो फिर खाना खाऊंगी। हारकर उसकी मम्मी को मोबाइल देना ही पड़ता है, लेकिन जब उसकी दादी उसे प्यार से समझाती है कि बेटा मोबाइल देखने से आंखें खराब हो जाती है, चलो मैं आपको विंडो पर बिठाकर खिलाती हूं, तो नन्हीं अनुष्का झट से दादी की बात मान लेती है। अनुष्का की तरह ज़्यादातर बच्चे भले ही अपने मम्मी-पापा का कहा न मानें, लेकिन दादा-दादी या नाना- नानी की बात ज़रूर मानते हैं। […]
खादी, एक ऐसा कपड़ा जिसका नाम लेते ही आज़ादी की लड़ाई और महात्मा गांधी की तस्वीर आंखों में तैर जाती है। कहने को तो महज़ यह एक कपड़ा है, लेकिन आज़ादी की लड़ाई में खादी ने एक विचार और भावना बनकर लोगों को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित किया, तभी तो खादी को ऐतिहासिक विरासत माना जाता है। ऐसे हुआ था खादी का जन्म महात्मा गांधी ने आज़ादी की लड़ाई के दौरान लोगों को आत्मनिर्भर बनाने और उन्हें एकजुट करने के लिए चरखा और खादी का सहारा लिया। जब उन्होंने विदेशी सामान के बहिष्कार की बात कही, तो अपने लिए […]
लोकसभा चुनाव 11 अप्रैल से शुरू हो रहे हैं। ऐसे में लोगों को अपने वोटिंग के अधिकार का इस्तेमाल करने के लिए राजनीतिक पार्टी से लेकर, बॉलीवुड सितारे, कलाकार और कई संगठन जागरूकता बढ़ा रहे हैं ताकि हर कोई मतदान के अधिकार का इस्तेमाल करके लोकतंत्र के निर्माण में अपनी भूमिका निभा सके। लोकतंत्र के सबसे बड़े उत्सव में आम जनता की ज़्यादा से ज़्यादा भागीदारी हो सके, इसके लिए वोटरों को जागरूक करने की हर मुमकिन कोशिश की जा रही है। बॉलीवुड सितारे जहां सोशल मीडिया के ज़रिये लोगों को जागरूक कर रहे हैं, वहीं वडोदरा के कलाकार मिलकर […]
हमारा देश सिर्फ धर्म, संस्कृति, भाषा, त्योहार और वेशभूषा में ही विविधता नहीं रखता, बल्कि कपड़े बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले फैब्रिक और हस्तकला में भी ढ़ेरों विविधतायें हैं। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक हैंडलूम की ढ़ेरों वैरायटी हैं। आइये जानते है, देश के विभिन्न हैंडलूम के बारे में- कलमकारी आंध्र प्रदेश की मशहूर हस्तकला है, जिसमें प्राकृतिक रंगों से अलग-अलग तरह की आकृतियां कपड़ों पर उकेरी जाती है। कलमकारी शब्द का मतलब है, कलम से की गई कारीगरी। यह हस्तकला आंध्र प्रदेश के श्रीकलाहसति और मछलिपुरम में होती है। श्रीकलाहस्ति में कलमकारी हाथों से होती है, जबकि मछलीपुरम […]
आजकल के बच्चे जब सारा दिन मोबाइल या लैपटॉप पर लगे रहते है, तो उन्हें किताबें पढ़ाना भी बहुत ज़रूरी हो जाता है। इससे न सिर्फ उनका दिमागी विकास होता है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है। अगर बच्चों को एक बार पढ़ने की लत लग जायें, तो वह खुद ब खुद ही टीवी, मोबाइल जैसे गैजेट्स के दूर होने लगेंगे। क्यों ज़रूरी है पढ़ना? कुछ लोगों को पढ़ने का शौक होता है, कहीं भी किताब दिखी तो उठाकर पढ़ने लग जाते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि यह आदत न सिर्फ आपको रचनात्मक बनाती है, बल्कि मानसिक […]
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, चैत्र साल का पहला महीना होता है और इसकी शुरूआत चैत्र नवरात्रि से होती है। इन नौ दिनों में देवी शक्ति की आराधना की जाती है। देवी शक्ति खुद को तीन रूप में प्रकट करती हैं, इसलिए नौ दिनों के तीन हिस्से कर के देवी के इन तीनों रूप को पूजा जाता है। पहले तीन दिन मां दुर्गा की आराधना की जाती है, जिन्हें उर्जा की देवी माना जाता है। अगले तीन दिन मां लक्ष्मी का पूजन किया जाता है, जो धन की देवी हैं और आखिरी के तीन दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती […]
सपने देखने के लिए आंखों का होना ज़रूरी नहीं, लेकिन उनको पूरा करने के लिए आत्मविश्वास का होना ज़रूरी होता है। इस बात की जीती जागती मिसाल चेन्नई के विल्लीवक्कम की बेनो जेफाइन हैं। 25 साल की बेनो, देश की पहली पूरी तरह से दृष्टिहीन भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) अफसर बनी हैं। फिलहाल बेनो स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में बतौर प्रोबेशनरी ऑफिसर कार्यरत हैं। अच्छी वक्ता हैं बेनो बेनो खुद को स्पष्टवादी मानती हैं और अपने विचारों को बहुत ही सरल तरीके से सामने रखती हैं। बातचीत करने की इस शैली में उन्होंने बचपन से ही महारथ हासिल कर ली […]
सालों से नेत्रहीन पढ़ने-लिखने के लिए ब्रेल लिपि का इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन आज के इस डिजिटल युग में उन्हें आगे बढ़ाने के लिए ब्रेल लैपटॉप तैयार किया गया है। इस खास लैपटॉप की मदद से यकीनन उनके सपनों को नई उड़ान मिलेगी। पहला ब्रेल लैपटॉप इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी (आईआईटी), दिल्ली ने नेत्रहीनों की मदद के लिए हाल ही में ब्रेल लैपटॉप लॉन्च किया है। इस लैपटॉप को ‘डॉटबुक’ नाम दिया है। इस लैपटॉप को देश का पहला ब्रेल लैपटॉप कहा जा रहा है। माना जा रहा है कि इससे लगभग 1.3 करोड़ नेत्रहीनों को फायदा होगा। दो […]
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