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हाल ही में चीन के एक स्कूल प्रिंसीपल ने बच्चों के सामने ऐसा डांस किया, जिसकी सोशल मीडिया पर खूब चर्चा हुई। बच्चे भी प्रिंसीपल के डांस स्टेप को फॉलो करते दिखे, लेकिन यह सिर्फ मज़ाक-मस्ती के लिए नहीं था, बल्कि फिज़िकल एजुकेशन में डांस की अहमियत को समझाने के लिए था। बोरिंग एक्सरसाइज़ की जगह यदि बच्चों को इस तरह डांस करवाया जाए तो ज़रा सोचिए उन्हें भी कितना मज़ा आयेगा। फिज़िकल एजुकेशन में डांस के फायदे अनुशासन सेना में परेड का मकसद सैनिकों और कमांडरो में अनुशासन लाना है। इसी तरह से ग्रुप डांस के ज़रिए भी लोगों […]
किताबों की दुनिया बड़ी ही खूबसूरत होती है, कहते हैं इस दुनिया में खो कर कुछ भी पाया जा सकता है। लेकिन जैसा कि हम जानते हैं समय बदल रहा है और पढाई का तरीका भी, और अब जमाना भी स्मार्ट स्टडीज़ की तरफ बढ़ रहा है। इसी मुहिम का हिस्सा बैग फ्री स्कूल भी है। कुछ दिनों पहले मानव संसाधन मंत्रालय ने एक गाइड लाइन जारी की थी, जिसमें स्कूली बैग के बढ़ते बोझ को नियंत्रित करने की कोशिश की गई थी ताकि स्कूली बैग के बोझ से दबे बच्चों को स्मार्ट बनाया जा सके। खैर, सरकार के इस […]
अविका सिर्फ 5 साल की है, लेकिन जब भी कोई उसके घर आता, तो वह बहुत प्यार और सम्मान के साथ उनसे बात करती। वहीं 5 साल का आरव हमेशा मुंह बनाये रहता, कुछ पूछने पर भी गुस्से में ही जवाब देता, न तो वह अविका की तरह बड़ों से मिलने पर उन्हें नमस्ते बोलता है और न ही कुछ पूछने पर सही तरह से जवाब देता है। दोनों बच्चों में यह अंतर किसी और चीज़ का नहीं बस परवरिश का है। बच्चे वैसा ही बर्ताव करते हैं जैसा वह अपने माता-पिता को करता देखते हैं। चूंकि अविका ने हमेशा […]
यह तो सभी जानते हैं कि पढ़ना-लिखना बहुत ही ज़रूरी है, लेकिन शिक्षा हासिल करने का सफर सबके लिए एक समान नहीं होता। जहां एक तरफ शहरी बच्चों के लिए स्कूल जाना आसान होता है, तो वहीं देश में कितने सारे दूर दराज़ के गांव हैं, जहां के बच्चों को स्कूल जाने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ती है। छत्तीसगढ़ के रायपुर से करीब 120 किलोमीटर दूर रहाटा नाम का एक गांव है, जहां के बच्चों को स्कूल जाने के लिए बांध पार करके अराजपुरी जाना पड़ता है। ये बच्चे घर पर टिन से बनाई गई नाव की मदद से […]
चार साल का रेहान हर बार खाने की प्लेट को देखकर नाक भौंह सिकोड़ने लगता है और अजीब-अजीब मुंह बनाकर मां से कहता है इसका कितना गंदा टेस्ट है। फल, सब्जियों से लेकर दाल-चावल तक उसे कुछ पसंद नहीं आता। उसे पसंद है, तो बस पिज्जा, बर्गर और पेस्ट्री। ये समस्या सिर्फ रेहान की ही नहीं, आजकल के ज़्यादातर बच्चे ऐसे ही खाने को लेकर ऐसा ही बिहेव करते है। लेकिन परेशान होने की ज़रूरत नहीं है, थोड़ी सी स्मार्टनेस दिखाकर आप अपने बच्चों में हेल्दी ईटिंग हैबिट डाल सकती हैं। सबसे पहले तो यह जान लीजिए कि बच्चों को […]
इंटरनेट से अगर दुनियाभर की सैर होती है, तो कई गलत चीज़ों की जानकारी भी मिलती है। ऐसे में बच्चों को कैसे इसके नुकसान से बचाया जाये, यह जानना और समझना बहुत ज़रूरी है।
बच्चों का ज़िद्दी होना कोई अनोखी बात नहीं है। यह एक सामान्य इंसानी बर्ताव है। आमतौर पर जब बच्चे अपनी मनमर्जी नहीं कर पाते या उन्हें अपनी मनचाही चीज नहीं मिलती है, तो वे मचलने लगते हैं और उनकी यह आदत धीरे-धीरे ज़िद का रूप ले लेती है, जिसमें वे अपने इमोशन्स रोकर, चीख-चिल्लाकर या नाराज़ होकर ज़ाहिर करते हैं। ऐसे बच्चों को थोड़ी सी मेहनत करके ही पटरी पर लाया जा सकता है। ढ़ेर सारे विकल्प दें जब आप बच्चों पर अपनी बात थोपते है, तो वे स्वभाव से विद्रोही होते चले जाते हैं और फिर जिस काम को […]
किसी भी क्षेत्र में कामयाबी हासिल करने के लिए बच्चों को मोटिवेशन बहुत ज़रुरी है।खासकर बच्चे अपनों से प्रेरणा पाकर बहुत जल्दी नया सीखते हैं।
दिनेश बडगैंडी, जिन्होंने गांव के बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए मोबाइल प्लानेटेरियम बनाया और इससे लाखों बच्चों को फायदा हो रहा है।
अपने बच्चे को अनुशासित बनाने के लिए आपको बस कुछ बातों का ध्यान रखना होगा।
अपने बच्चे हर मां-बाप को प्यारे होते हैं। जहां एक तरफ मां को बच्चे के खाने पीने की चिंता होती है, वहीं दूसरी ओर पिता को लगता है कि टीवी या मोबाइल की आदत से बच्चे की नज़र कमज़ोर न पड़ जाए। लेकिन जो बात आपके लिए जानना ज़रूरी है, वह बहुत बड़ी है। विश्वप्रसिद्ध जनरल ‘लैंसेट’ द्वारा की गई एक रिसर्च की माने, तो बच्चों के ग्रोइंग इयर्स यानी आठ से ग्यारह साल की उम्र में कुछ आदतों का विकसित होना बच्चे की दिमागी ग्रोथ के लिए बेहद ज़रूरी है। क्या है यह खोज? लैंसेट इस दिशा में जानकारी […]
विकास के लिए सड़कों का होना और सही हालत में होना बहुत जरूरी होता है, लेकिन अगर भारत की सड़कों की हालत देखी जाए, तो सड़कों पर बने गड्ढे हर साल सैकड़ों लोगों की मौत का कारण बनते हैं। इसके बावजूद सबंधित विभाग कोई सबक लेने को तैयार नहीं है। हालांकि, एक स्कूल के बच्चों ने ऐसी ऑटोमैटिक मशीन बनाई है, जिसके जरिये इन गड्ढों को आसान और बेहद कम समय में ही भरा जा सकेगा। खास बात यह है कि अब तक इन गड्ढों को भरने का काम ज्यादातर मैन्युअली ही होता रहा है। लेकिन, विजयवाडा के क्रॉसवर्ड स्कूल […]
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