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इस इंटरनेशनल गर्ल चाइल्ड डे के मौके पर जानिये, बेटियों के जीवन में आप कैसे बदलाव ला सकते हैं।
माता- पिता अपने बच्चों को बेहतर ज़िंदगी देने के लिये न जाने कितने मेहनत करते हैं। फिर भी कुछ बच्चे ऐसे होते हैं, जो माता- पिता से बातें शेयर करने से कतराते हैं। ऐसे में दोनों के बीच आपसी समझ होना बहुत ज़रुरी है, ताकि बच्चे अपने माता पिता से हर बात शेयर कर सकें।
घर में बुज़ुर्गं होते है, तो उनकी फिज़िकल हेल्थ का खास ख्याल रखा जाता है, लेकिन शायद ही उनकी मेंटल हेल्थ के बारे में सोचा जाता है। अगर आपके घर में बुज़ुर्गं है, तो आपके लिये यह लेख बहुत ज़रूरी है।
बिना कहे दूसरों की भावनाओं को समझना भी एक कला है और आप भी थोड़ी सी कोशिश करके इसे सीख सकते हैं। पढ़िये इस दिलचस्प लेख में,
पैरेंट्स अपने काम में इतने बिज़ी होते हैं कि बच्चों को समय नहीं दे पाते हैं। ऐसे में कैसे आप बच्चों के साथ समय बिताये, जानिये इस लेख में-
जीवन में बड़ों का साथ बहुत ज़रुरी होता है, इनके बिना ज़िंदगी अधूरी होती है, क्योंकि यही असल मायने में हमें जीवन जीना सिखाते हैं।
परिवार हर किसी को चाहिये और इसकी मज़बूती के लिये सभी सदस्यों को अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर काम करना चाहिये। जानिये कैसे करें परिवार के रिश्ते को मज़बूत-
सभी त्योहारों की तरह ही रक्षाबंधन का त्योहार भी हमें अपनी संस्कृति और जड़ों से जोड़े रखता है। इस त्योहार के कई आध्यात्मिक मायने भी है। जानिये इस लेख में-
अनुष्का भले ही पांच साल की है, लेकिन खाने के लिये अपनी मम्मी को रोज़ाना परेशान करती है। उसकी एक ही ज़िद्द होती है, पहले मोबाइल दो फिर खाना खाऊंगी। हारकर उसकी मम्मी को मोबाइल देना ही पड़ता है, लेकिन जब उसकी दादी उसे प्यार से समझाती है कि बेटा मोबाइल देखने से आंखें खराब हो जाती है, चलो मैं आपको विंडो पर बिठाकर खिलाती हूं, तो नन्हीं अनुष्का झट से दादी की बात मान लेती है। अनुष्का की तरह ज़्यादातर बच्चे भले ही अपने मम्मी-पापा का कहा न मानें, लेकिन दादा-दादी या नाना- नानी की बात ज़रूर मानते हैं। […]
इस बात से तो कोई इंकार नहीं कर सकता कि दिन भर की भागदौड़ के बाद घर जाकर परिवार के साथ खाना खाकर और बातें करके सारी थकान उतर जाती है। आप चाहे दुनिया घूम आयें, लेकिन जो सुकून रिश्तों की गरमाहट से मिलता है, वो किसी फाइव स्टार होटल में जाकर भी नहीं पाया जा सकता। कभी-कभी ऐसा हो सकता है कि आप ज़िंदगी की जद्दोजहद में उलझ जायें और अपने परिवार के लिए वक्त न निकाल पायें, लेकिन आखिरकार थककर या किसी खुशी भरी बात को शेयर करने के लिये परिवार की याद ही सबसे पहले आती है। […]
जेफ बेजोस और उनकी पत्नी का तलाक के बाद भी दोस्त बने रहने का नज़रिया लोगों को सीख देता है कि अगर रिश्ता टूट भी जाए, तो भी रिश्ते की डोर में कड़वाहट नहीं लानी चाहिए।
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