सत्य की तलाश में अपना राजसी ठाठ-बाट छोड़कर जंगलों की खाक छानने वाले युवराज सिद्धार्थ को जब ज्ञान प्राप्त हुआ, तो वह गौतम बुद्ध बन गए और लोगों को जीवन की सच्चाई से अवगत कराया। गौतम बुद्ध झूठा दिलासा देने की बजाय सच्चाई को स्वीकारने में यकीन रखते थें और इसी सच्चाई से अवगत कराने के लिए उन्होंने चार आर्य सत्य बताए जिसमें से पहला है ‘दुख’। आइए, जानते हैं आखिर गौतम बुद्ध ने क्यों कहा कि जीवन दुखों से भरा है।
सत्य की तलाश में अपना राजसी ठाठ-बाट छोड़कर जंगलों की खाक छानने वाले युवराज सिद्धार्थ को जब ज्ञान प्राप्त हुआ, तो वह गौतम बुद्ध बन गए और लोगों को जीवन की सच्चाई से अवगत कराया। गौतम बुद्ध झूठा दिलासा देने की बजाय सच्चाई को स्वीकारने में यकीन रखते थें और इसी सच्चाई से अवगत कराने के लिए उन्होंने चार आर्य सत्य बताए जिसमें से पहला है ‘दुख’। आइए, जानते हैं आखिर गौतम बुद्ध ने क्यों कहा कि जीवन दुखों से भरा है।
बौद्ध धर्म के अनुसार दुख के प्रकार
बौद्ध धर्म में इस बात को माना गया है कि व्यक्ति पूरे जीवन में दुखी रहता है और यह दुख कई तरह के हो सकते हैं जैसे-
पीड़ा – हर व्यक्ति शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक पीड़ा के दौर से गुजरता है और इसे वह बदल नहीं सकता। ऐसे दुख से आप भाग नहीं सकते, इसे स्वीकारना ही पड़ता है।
विपरिनामा दुख (viparinama dukkha)- यह दुख बदलाव से संबंधित है। कुछ लोग जीवन में होने वाले बदलावों को स्वीकार नहीं कर पाते और दुखी हो जाते हैं। जीवन से आनंद भरे पल जैसे ही बीत जाते हैं व्यक्ति दुखी हो जाता है, क्योंकि वह सुख के बाद मिले दुख रूपी बदलाव को स्वीकार नहीं कर पाता है।
सांखरा दुख (Sankhara dukkha)- यह अस्तित्व की पीड़ा है, यानी अस्तित्व से जब असंतोष उत्पन्न तब भी व्यक्ति दुखी होती है। ऐसे दुख का कारण बाहरी नहीं, बल्कि आंतरिक होता है।
आज भी सार्थक है यह कथन
‘मनुष्य दुखी है’ गौतम बुद्ध का यह कहना बिल्कुल सच है। दरअसल आज भी मनुष्य अपने दुखों को स्वीकार करके उसका समाधान खोजने की बजाय उस दुख में डूब जाता है। शायद यही वजह है कि आजकल डिप्रेशन और मानसिक परेशानियां ज़्यादा सामने आने लगी है।
कैसे निकालें दुख से
- जो आप महसूस कर रहे हैं, उसे स्वीकार करना सीखें।
- जिस वजह से परेशान है, उसका शांत मन से समाधान सोचे।
- अगर जीवन में किसी से बिछड़ाव हो गया है, तो बुद्ध कहते हैं कि जीवन में आगे बढ़े, समय घावों को भर देता है।
- बदलाव को अपनाना सीखें और उसमें ढलने की कोशिश करें।
- अपनी सोच को बदलने की कोशिश करें और इच्छाओं को नियंत्रित करना सीखें।
गौतम बुद्ध कहते हैं कि जो बीत गया उसमें उलझना नहीं चाहिए, भविष्य को लेकर चिंता न करें और वर्तमान में जीना सीखें।
जीवन को बेहतर बनाने वाले गौतम बुद्ध के विचार देखिए इस वीडियो में –
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