समाज में कई लोग है, जो प्रेरणा दे रहे हैं, जानते हैं कुछ ऐसे ही समाज के हीरोज़ के बारे में इस लेख में।
62 साल की उम्र में लिया पॉलिटेक्निकल कॉलेज में एडमिशन
जिसमें पढ़ने की लगन होती है, तो वह फिर उम्र की सीमा नहीं देखता और कुछ ऐसा ही किया पुडुचेरी में 62 साल के एक पूर्व सैनिक सूबेदार मेजर के परमासिवम ने।
दरअसल के परमासिवम का कहना है कि उन्हें तकनीक शिक्षा में डिग्री हासिल करना चाहता था, लेकिन आर्थिक तंगी के चलते कर नहीं पाया। 30 साल सेना की सेवा करने के बाद जब वह रिटायर हुए तो फिर से पढ़ाई में ध्यान देना शुरू किया और टेक्निकल कॉलेज में एडमिशन लेने का सोचा।
मेजर ने कई बार पॉलिटेक्निकल कॉलेज में एडमिशन लेने का प्रयास किया लेकिन उन्हें दाखिला नहीं मिला। फिर वह कॉलेज के प्राचार्य से मिले और अपनी पढ़ाई की बात बताई। इस साल फर से मेजर ने एडमिशन के लिए अप्लाई किया तो उनका एडमिशन हो गया। अब वह मोतीलाल नेहरू गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक कॉलेज में तकनीकी शिक्षा हासिल करेंगे।
पढ़ाई के उनके जज़्बे को सलाम
कर्नल लक्ष्मी धर जवानों को फिट रखने के लिए रोज़ सिखाते हैं योग
उड़ीसा के भुवनेश्वर के लेफ्टिनेंट कर्नल लक्ष्मी घर भूयान जवानों को फिट और सेहतमंद रखने के लिए रोज़ाना योगासन की ट्रेनिंग देते हैं। उनका कहना है कि जवान देश की रक्षा करते हैं और उनके मानसिक सेहत की सुरक्षा करना बेहद ज़रूरी है।
फिलहाल उनकी पोस्टिंग महाराष्ट्र के नासिक में है और उनकी पोस्टिंग साल 1992 में हुई थी। अब तक वह देशभर के 15 स्टेशनों में करीब 5 लाख जवानों को योग की ट्रेनिंग दे चुके हैं। उनका कहना है कि हमारे जवान ऐसी जगहों पर ड्यूटी करते हैं, जहां से कसरत करना मुश्किल होता है, ऐसे में योगासन करना काफी फायदेमंद है।
वह सुबह 5 बजे उठकर आर्मी के सभी जवानों को प्राणायाम और विभिन्न आसन सिखाते हैं और यह काम वह पिछले तीन दशक से कर रहे हैं। उनके नाम गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स, एशिया बुक ऑफ रिकार्ड्स, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स जैसी कई जानी-मानी संस्थाओं में उनके रिकॉर्ड्स है।
गरीब बच्चों के लिए बेकार बस को बना दिया क्लासरुम
कोविड के कारण सबसे ज़्यादा नुकसान उन बच्चों का हुआ है, जो ऑनलाइन क्लास नहीं कर पा रहे हैं। आर्थिक रूप से पिछड़े परिवारों के बच्चों को स्कूल गए एक साल से ज़्यादा हो गया और न ही वह ऑनलाइन क्लास के ज़रिए पढ़ पा रहे हैं। इन्हीं दिक्कतों को देखते हुए मुम्बई के अशोक कुर्मी ने बहुत ही नेक काम करने का सोचा।
एक बेकार पड़ी बस को अशोक ने स्कूल के क्लासरूम की तरह बना दिया, ताकि गरीब घरों के बच्चे पढ़ सके। हर सीट पर एक बच्चे की बैठने की सुविधा की और साथ ही किताब व स्लेट भी रखी है ताकि बच्चे पढ़ सके।
इस क्लास में ज़्यादातर बच्चे झुग्गी-झोंपडियों या फुटपाथ पर रहने वाले हैं और जिनका सपना पढ़ाई करने का तो है, लेकिन उनके पास कोई सुविधा नहीं है। ऐसे में यह मोबाइल बस क्लासरूम उन बच्चों के लिए काफी मददगार साबित होगा।
देश के आखिरी गांव माणा में खुला हर्बल गार्डन
उत्तराखंड में देश के सबसे आखिरी गांव माणा में देश का सबसे ऊंचाई पर बना हर्बल गार्डन खुल गया है। खास बात यह है कि इसकी ऊंचाई समुद्र तल से 11 हज़ार फीट है। पार्क बनाने के लिए माणा वन पंचायत ने तीन एकड़ ज़मीन उत्तराखंड वन विभाग को दी है।
सबसे अहम बात यह है कि इस पार्क में ऐसी औषधियों के पेड़ों को लगाया है, जो लगभग विलुप्त होने की कगार पर है। इस पार्क में करीब 40 प्रजातियों के एलपाइन पेड़ लगाए गए हैं। एलपाइन की कुछ प्रजातियां तो लगभग खत्म ही हो रही है।
पार्क को चार भागों में बांटा गया है, जिसमें पहले हिस्से में भगवान विष्णु से जुड़े पेड़-पौधे हैं तो दूसरे भाग में अष्टवर्ग प्रजातियां है, जो च्वनप्राश बनाने में काम आती है। तीसरे भाग में कमल के फूल की प्रजातियां है और चौथे भाग में दुर्लभ पेड़ पौधे लगाए गए हैं। ये पेड़ हिमालय की घाटियों में ही मिलते हैं।
विलुप्त हो रहे पेड़ों को बचाने के लिए ऐसे पार्क अधिक से अधिक से लगाए जाने चाहिए।
झारखंड के पुलिस ऑफिसर ज़रूरतमंद बच्चों को कराते हैं यूपीएससी की तैयारी
झारखंड के पुलिस ऑफिसर विकास चंद्र श्रीवास्तव ड्यूटी खत्म होने के बाद शिक्षक की भूमिका निभाते हैं और उन ज़रूरतमंद बच्चों को पढ़ाते हैं, जो यूपीएससी की तैयारी तो करना चाहते हैं लेकिन आर्थिक तंगी के चलते कर नहीं पाते।
विकास चंद्र फिलहाल रांची के इन्वेस्टिगेशन ट्रेनिंग स्कूल में काम कर रहे हैं। वह देवघर के अंबेडकर पुस्तकालय में जाकर बच्चों को पढ़ाते हैं और फिलहाल उनके पास करीब 4000 बच्चों ने रजिस्टर कराया है।
जब कोरोना की वजह से लाइब्रेरी बंद हो गई तो उन्होंने ये काम ऑनलाइन शुरू किया। उनसे करीब 2500 बच्चे रोज़ाना जुड़ते हैं और वह यूट्यूब पर भी वीडियोज़ बनाते हैं ताकि ज़्यादा से ज़्यादा बच्चों को फायदा हो सके। उनके इस काम की सभी लोग बहुत तारीफ करते हैं और प्यार से उन्हें ‘पुलिस वाले गुरूजी” कहकर बुलाते हैं।
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