आप जो मानते हैं, वह अधिक शक्तिशाली है बजाय आपके सपने, उम्मीदों और इच्छा के। आप वही बन जाते हैं जो आप मानते हैं। ओपरा विनफ्रे का यह कथन बिल्कुल सटीक है। हम अपने बारे में यदि नकारात्मक बातें ही सोचते रहेंगे तो हमारा आत्मसम्मान डगमगाने लगता है, हमें खुद पर विश्वास नहीं रहता, अपनी क्षमताओं पर संदेह होने लगता है। इसके विपरीत यदि हम खुद से अच्छी बातें करें या अपने बारे में पॉज़िटिव सोचें तो आत्मसम्मान यानी सेल्फ एस्टीम बढ़ता है और हमें खुद पर इतना विश्वास हो जाता है कि दूसरों की आलचानाओं से भी फर्क नहीं पड़ता। ज़रूरी नहीं कि हर किसी का आत्मसम्मान हमेशा ऊंचा ही रहे, मगर ध्यान (मेडिटेशन) के ज़रिए आप अपना आत्मविश्वास और आत्मसम्मान दोनों ही बढ़ा सकते हैं।
आत्मसम्मान (सेल्फ एस्टीम) क्या है?
आपकी खुद के बारे में क्या राय है, आप अपनी क्षमताओं और सीमाओं के बारे में क्या महसूस करते हैं और खुद को किस तरह से आंकते हैं बस यही सेल्फ एस्टीम या आत्मसम्मान है। जब आप आत्मसम्मान ऊंचा होता है तो आप अपने बारे में अच्छा महसूस करते हैं और आपको लगता है कि हां, आप सम्मान के हकदार हैं। वहीं दूसरी ओर जब आत्मसम्मान कम होता है तो आप खुद को अहमियत नहीं देते और लगता है कि आप किसी खुशी या सम्मान के काबिल ही नहीं हैं। रोज़ाना मेडिटेशन का अभ्यास करके आप अपने आत्मसम्मान को बढ़ा सकते हैं।
आत्मसम्मान बढ़ाने में कैसे मदद करता है मेडिटेशन?
मेडिटेशन आपको खुद से मिलाता है और आंतरिक आत्मविश्वास को बढ़ाने में मदद करता है। सबसे पहले आप अपने आप से मिलते हैं, खुद से दोस्ती करते हैं और जैसे हैं खुद को स्वीकार कर लेते हैं। जल्दी ही आपको एहसास हो जाता है कि आपका संदेह, असुरक्षा की भावना और डर बस सतही है। आप खुद से गहराई से जुड़ते हैं, विश्वास बढ़ता है और खुद का मूल्य समझते हैं।
इसके अलावा ध्यान करने आपमें अंतर्संबंधों के प्रति जागरूकता आती है कि दुनिया में आप अकेले नहीं है। आप इस विशाल ब्रह्मांड का एक हिस्सा है और इस तरह से अपने प्रति दयालुता की भावना जितनी अधिक बढ़ेगी। आप अपनी सीमाओं पर कम ध्यान देंगे यानी आप यह नहीं सोचेंगे की कोई काम मैं नहीं कर सकता। आप आत्मकेंद्रित होने से भी बच जाते हैं, परिणामस्वरूप खुद पर विश्वास बढ़ता है और जब विश्वास बढ़ता है तो आत्मसम्मान अपने आप ऊंचा हो जाता है। आप खुद को अहमियत देने लगते हैं।
मेडिटेशन आपको वर्तमान में रहने के लिए प्रेरित करता है यानी जो काम आप कर रहे हैं पूरी तरह से उसी पर फोकस करते हैं, इससे आप अपने बारे में निगेटिव बातें सोचने से बच जाते हैं। मेडिटेशन आपको अपने विचारों पर ध्यान देने में मदद करता है, मगर उसे खुद पर हावी नहीं होने देता। इस तरह से निगेटिव विचार यदि आते भी हैं तो वह आप पर हावी नहीं हो पाएंगे।
कैसे करें सेल्फ एस्टीम मेडिटेशन?
- एक आरामदायक जगह तलाशें और सीधे बैठ जाएं।
- गहरी सांस लें और छोड़ें और ऐसा करते समय ध्यान सांसों पर दें। नाक से सांस लें और मुंह से छोड़ें
- अब जैसे ही आप सांस लेते हैं अपने हृदय पर ध्यान लगाएं और महसूस करें कि यह खुल रहा है और सांस छोड़ते समय तनाव व प्रतिरोध को बाहर निकालें।
- अब अपने हृदय में अपनी कल्पना करें या अपना नाम दोहराएं और खुद को अपने हृदय में कोमलता से पकड़े रहें। चुपचाप यह वाक्य दोहराएं, “मैं आत्म-संदेह से मुक्त हो सकता हूं, मैं खुश रह सकता हूं, मेरे लिए सब कुछ ठीक हो जाएगा।”
- हृदय में सांस भरते रहिए, खुद को प्यार से पकड़े रहिए और यह वाक्य दोहराते रहिए। इससे आपके अंदर खुद के प्रति गहरी दया, संवेदना और प्रशंसा का भाव पैदा होगा।
- कुछ देर बाद गहरी सांस लें और धीरे-धीरे आंखें खोलें। आपको अपने अंदर बदलाव महसूस होगा। आप खुद से प्यार करने लगेंगे और जब खुद से प्यार करेंगे तो आत्मसम्मान अपने आप बढ़ जाएगा।
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