विपस्सना मेडिटेशन एक प्राचीन माइंडफुलनेस मेडिटेशन तकनीक है। ये मेडिटेशन श्वास से जुड़ी है जिसमें व्यक्ति के विचारों और भावनाओं को नियंत्रण करना शामिल है। इस मेडिटेशन को ‘आनापान’ भी कहते हैं। इसका अर्थ आती-जाती सांस को लगातार देखना। ‘आनापान’ दो शब्दों आन और अपान से बना है। ‘आन’ का मतलब आने वाली सांस और ‘अपान’ का मतलब जाने वाली सांस। इस तकनीक में अपनी श्वास को देखना और उसके प्रति सजग रहना होता है। देखने का अर्थ उसके आवागमन को महसूस करना है।
करने का तरीका
अगर आप घर पर विपस्सना मेडिटेशन करने में रुचि रखते हैं, तो करने की विधि
- मेडिटेशन करने के लिए 10-15 मिनट का समय निकालें। इस मेडिटेशन को सुबह उठते करना अच्छा माना जाता है।
- शांत जगह चुनें जहां कोई शोर न हो। खाली कमरा या खुली जगह बढ़िया विकल्प है।
- ज़मीन पर आरामदायक स्थिति में पालथी मारकर बैठे, पीठ सीधी रखें।
- आंखें बंद करें और सामान्य रूप से सांस लें। अपनी प्राकृतिक सांस पर ध्यान दें और सांसों को महसूस करें।
- प्रत्येक सांस और सांस के प्रति सचेत रहे। बिना किसी प्रतिक्रिया या निर्णय के अपने विचारों और भावनाओं को ध्यान लगाएं।
- अगर मेडिटेशन से ध्यान हट जाएं, तो चिंता न करें फिर से अपनी सांसों पर ध्यान लगाने की कोशिश करें।
- जब आप पहली बार शुरू करें, तो इसे कम से कम 5-10 मिनट तक करने का लक्ष्य रखें। जैसे ही आपको इसकी आदत हो जाए, तो विपस्सना मेडिटेशन का समय 15 मिनट से ज़्यादा रखें।
सांस पर ध्यान रखने से सामान्यत दो प्रतिक्रिया होती है। पहली, सांस अपनी सामान्य गति खो कर तेज़ और अनियमित हो जाती है। दूसरी शरीर में सूक्ष्म स्तर पर रासायनिक प्रक्रिया शुरू हो जाती है, जिसके कारण संवेदनाओं का निर्माण होता है। हर प्रक्रिया शरीर पर किसी न किसी संवेदना का निर्माण करती है। विपस्सना का अध्ययन करके संवेदना को देखा जा सकता है।
कहां से सीखें?
विपस्सना की इस विद्या को भारत और पूरी दुनिया में सिखाने वाले सेंटर, विपस्सना मेडिटेशन सेंटर्स के नाम से पहचाने जाते हैं। श्री एस. एन गोयनका के कोशिशों से इन सेन्टर्स की स्थापना की गयी।
श्री गोयनका अपनी युवावस्था के दिनों में माइग्रेन से पीडित थे, जिसमें उन्हें हर 15 दिन मे सिर में दर्द होता था। उस समय इसका कोई इलाज नहीं था। इसलिए उन्होने अपना इलाज कई विकसित देशों में कराया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। अंत में अपने एक करीबी के कहने पर उन्होंने श्री सयागी ऊ बा खिन से विपस्सना की विद्या सीखी। इससे न सिर्फ उनका रोग ठीक हुआ, बल्कि उन्हें एक नया जीवन मिला। भारत आकर श्री गोयनका ने अपना पहला शिविर लगाकर केवल 10 लोगों को विपस्सना मेडिटेशन करना सिखाया। यहीं से धीरे-धीरे विपस्सना मेडिटेशन सेंटर्स की स्थापना होती चली गई। https://www.instagram.com/vipassanaorg/?hl=en विपस्सना का इंस्टाग्राम पेज भी है। आप चाहे तो यहां पर जाकर भी संपर्क कर सकते हैं।
विरधम्मा सेंटर
यह सेंटर भारत के कई हिस्सों में है।विपस्सना इंटरनेशनल अकेडमी, धम्मगिरि के नाम से यह इगतपुरी, जिला नासिक, महाराष्ट्र में है। विपस्सना मेडिटेशन सीखने के लिए इगतपुरी जाना जरूरी नहीं है। देश में इसके कई केंद्र हैं और आप इस वेबसाइट www.vridhamma.org से पूरी जानकारी ले सकते हैं।
धाम्मा सेंटर
धाम्मा बेवसाइट के होम पेज पर भारत के अलावा दुनिया के हर ट्रेनिंग सेंटर का संपर्क दिया हुआ है। धाम्मा के www.dhamma.org पर जाकर इस मेडिटेशन के लिए ऑनलाइन बुकिंग भी मुमकिन है। आम तौर पर वेटिंग रहती है, इसलिए एडवांस में बुकिंग करा लें।
मोबाइल एप्प
Dhamma.org नाम से मोबाइल एप्प भी मौजूद है। जहां से मेडिटेशन से जुड़ी हर जानकारी, वीडियो उपलब्ध है।
यूट्यूब
विपस्सना मेडिटेशन से जुड़ी बेसिक जानकारी के बारे में कई यूट्यूब वीडियो है। लेकिन यह सब केवल शुरुआती सीखने के लिए ठीक है। अगर आप किसी मानसिक तकलीफ से गुज़र रहे हैं, तो धम्मा और विरधम्मा के पेज या मोबाइल एप्प से सही जानकारी लें।
यह मेडिटेशन बाहर से देखने में जितनी सरल है, इसमें उतनी ही अधिक गहराई है, जिसे अपनाने के बाद ही आंतरिक शांति को महसूस किया जा सकता है। इसलिए ज़रूरी है कि सही तरीके से सीखकर ही इसकी प्रैक्टिस की जाए ताकि सही फायदा मिल सके।
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