उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के विभूति खंड पुलिस स्टेशन में काम करने वाले कॉन्स्टेबल जनार्दन सिंह जब आईपीएस अनूप सिंह को सैल्यूट करते है, तो उनका सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। अब आप सोचेंगे कि ऐसा क्या खास है, जो जनार्दन सिंह खुशी से फूले नहीं समाते, तो आपको बताना चाहेंगे कि अनूप कुमार सिंह उनका बेटा है। जर्नादन सिंह खुद भले ही कॉन्स्टेबल हों, लेकिन उनका बेटा आईपीएस अफसर बन गया है।
पिता ने की काफी मेहनत
अपने शुरुआती दिनों को याद करते हुए 2014 बैच के आईपीएस अधिकारी अनूप कुमार सिंह कहते है कि मुझे अभी भी याद है कि मेरे पिता मुझे और मेरी छोटी बहन मधु को अपने साइकिल से हमें स्कूल छोड़ा करते थे। हमारी पढ़ाई जारी रहे, इसके लिए उन्होंने बहुत मेहनत की है। आर्थिक तंगी के बावजूद हमारे पिता ने कभी भी हमारी पढ़ाई को प्रभावित नहीं होने दिया। हमारी स्कूल फीस हमेशा समय पर स्कूल पहुंचती थी और मुझे अपनी सारी किताबें भी समय पर मिलती थी। जब वह ड्यूटी पर चले जाते थे, हम महीनों तक उनसे मिल नहीं पाते थे, लेकिन इसके बावजूद वह हमेशा अपने शहर के साथियों से पूछताछ करके हमारी पढ़ाई और एक्टीविटीज़ पर नज़र रखते थे।
गर्व महसूस करते है जनार्दन
वहीं, बेटे की कामयाबी से गर्व महसूस कर रहे जनार्दन सिंह का कहना है कि अनूप जब भी ड्यूटी पर होते है, तो वह हमेशा उनके सीनियर हैं। उन्हें अनूप को सैल्यूट करने में कभी हीन भाव नहीं आता क्योंकि वह हर मामले में मुझसे ज्यादा योग्य हैं। जनार्दन सिंह का मानना है कि ड्यूटी के मामले में उनका आईपीएस पुत्र बहुत सख्त और ईमानदार है।
परिवार को देते है अहमियत
अनूप सिंह जिस घर में पैदा और पले-बढ़े हैं, वहां रिश्तों की अहमियत के साथ संस्कारवान बनने और एकता पर ज़ोर दिया जाता रहा है। इन्हीं गुणों की वजह से आज अनूप इस मुकाम पर हैं और उनका कहना है कि फर्ज के साथ संस्कार निभाना उन्होंने पिता से ही सीखा है।
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