आविष्कार के आगे उम्र भी बेमानी

आविष्कार के आगे उम्र भी बेमानी

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सपने देखना और उसे पूरा करने की ज़िद होना, दो अलग-अलग बातें जरूर हैं, लेकिन जब ये दोनों आपस में मिल जाती हैं, तो एक नया आविष्कार सामने आता है। पंद्रह साल की उम्र के सिकांतो मंडल की कहानी बहुत कुछ यही बयां करती है, जिसने एक ऐसा डंपिंग डिवाइस तैयार किया है, जिसे चलाने के लिए न तो बिजली की जरूरत होती है और न ही बैट्री की।

ऐसे मिली प्रेरणा

गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने वाले यूपी के मथुरा स्थित जय गुरुदेव संस्थान स्कूल में परंपरा रही है कि यहां के स्टूडेंट्स ही स्कूल की सफाई करते हैं। झाड़ू से सफाई करने के बाद स्टूडेंट्स कचरे को हाथ से उठाते थे। इसी स्कूल में नौवीं क्लास में पढ़ने वाले सिकांतो को भी सहपाठियों के साथ यह सब करना पड़ता था, जिससे सबके हाथ और कपड़े गंदे हो जाते थे। उनमें बीमारियां फैलने की भी आशंका रहती थी। ऐसे में सिकांतो ने सोचा कि कोई ऐसी मोबाइल डंपिंग डिवाइस बनाई जाए, जिससे हाथ से कचरा उठाने की नौबत ही न आए।

इमेजः फेसबुक

शिक्षक के हौसलें से मिले पंख

इस मशीन को बनाने के लिए सिकांतो के पास आइडिया तो था, लेकिन मज़दूर माता-पिता के इस टैलेंटेड बेटे के पास पैसे नहीं थे। ऐसे में उसने अपने शिक्षक को जब अपना आईडिया बताया, तो उन्होंने इस आइडिया को पेपर पर ड्राफ्ट करके स्टेट गवर्नमेंट के पास भेजने का सुझाव दिया। राज्य सरकार ने न केवल यह आइडिया सेलेक्ट किया बल्कि इस डंपिंग डिवाइस को बनाने के लिए पांच हजार रुपये भी दिए। उसके बाद सिकांतो अपने आइडिये को आकार देने में जुट गया।

पुरानी साईकिल के पार्ट्स का किया इस्तेमाल

सिकांतो ने इस मशीन को बनाने के लिए अपने घर में पड़ी पुरानी साईकिल के पार्ट्स के साथ लकड़ी के तख्तों का इस्तेमाल किया। जब मशीन तैयार हो गई, तो सिकांतो ने सबसे पहले उसका इस्तेमाल अपने स्कूल में ही किया। मशीन को बखूबी काम करता देख सभी हैरान रह गए और जो स्टूडेंट कभी कचरा देखकर ही भाग जाते थे, वे भी इस मशीन के जरिये सफाई के काम में हाथ बंटाने लगे।

स्टेट एवं नेशनल लेवल पर पाया अवॉर्ड

स्कूल में डंपिंग डिवाइस को वाहवाही मिली, तो सिकांतो ने इसे स्टेट एवं नेशनल लेवल की प्रदर्शनी में भेजा, जहां उसके मॉडल ने अवॉर्ड भी जीते। सिकांतो ने प्रेसिडेंट के सामने भी अपने मॉडल का प्रेजेंटेशन दिया, जिसे बहुत तारीफ मिली और उसका मॉडल नेशनल लेवल पर सेलेक्ट हो गया। दो साल पहले साल 2016 में सिकांतो ने मॉडल का पेटेंट भी करा लिया और अब इस मॉडल को बाज़ार में लाने की तैयारी है।

सिकांतो के बुलंद हौसलों ने वह कर दिखाया, जिसे हासिल करने के लिए मज़बूत सोच और कुछ कर दिखाने का ज़्जबा होना चाहिए।

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इमेजः ज़ीन्यूज़


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