ज़िंदगी में मेहनत का कोई विकल्प नहीं होता। यह बात हमें बचपन से पैरेंट्स और टीचर्स ने गाइड करते हुए न जाने कितनी बार बताई पर आखिर में हर कोई अपनी मंजिल खुद तय करता है। ऐसी ही सफलता की सीढ़ी को अंकिता ने तय किया है। अंकिता ने लगातार कड़ी मेहनत करने के बाद पायलट बनने के अपने सपनों को पूरा किया। उनकी सक्सेस स्टोरी भी बेहद दिलचस्प है। सफलता की एक नई मिसाल पेश करने वाली अंकिता ने अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए सात साल लगातार जी तोड़ मेहनत की। इस दौरान अंकिता के करियर में उतार-चढ़ाव भी आया लेकिन इससे उनके हौसलों में कोई कमी नहीं आई हैं।
संघर्ष की कहानी
अंकिता दो साल तक बिना जॉब के रही और बतौर ग्राउंड स्टाफ 15-15 घंटे भी कड़ी मेहनत की। रिश्तेदारों के ताने भी सुनने को मिले। ट्रेन और बस में पढ़ाई करने के साथ हर वो काम किया, जो उन्हें मंज़िल तक पहुंचने में मदद कर सकता है।
मिला पैरेंट्स का सपोर्ट
अंकिता ने जब पैरेंटस को अपने पायलट बनने के सपने के बारे में बताया, तो उन्होंने अपनी बेटी के इस सपने को गंभीरता से लिया। उन्होंने कहा कि मेरे पिता को इस कोर्स के बारे में ज्यादा नहीं पता था क्योंकि इसकी पढ़ाई यूएस में करने की लागत 25 लाख थी। मेरी मां ने मेरे लिए स्टैंड लिया और तब पापा ने लोन लेने का फैसला लिया।

पढ़ाई के बाद भी राह नहीं थी आसान
अंकिता ने पढ़ाई जरूर पूरी की लेकिन इसके बाद भी राह आसान नहीं थी। पढ़ाई पूरी होने के बाद उन्होंने जॉब के लिए कई कंपनियों में अप्लाई किया लेकिन उन्हें जॉब नहीं मिल रही थी। उन्होंने एयर होस्टेस की जॉब भी करने की कोशिश की पर उसमें भी सफलता नहीं मिली। अंकिता हर हाल में अपने सपनों को पूरा करना चाहती थी।
भारत में किया टॉप
अंकिता ने ग्राउंड स्टाफ के जॉब के लिए अप्लाई किया ताकि वो पढ़ाई कर सकें। उन्होंने कहा कि मुझे खुद नहीं पता था कि मैं कैसे 12 घंटे की शिफ्ट करूंगी लेकिन मैंने यह किया। मैं वाकई ट्रेन, बस, वॉशरूम हर जगह पढ़ाई करती थी। मुझे नहीं पता शायद यह चमत्कार था लेकिन मैंने परीक्षा में टॉप किया और मुझे स्कॉलरशिप भी मिला।
आज हैं सीनियर पायलट
अब अंकिता एक एयरलाइन्स के साथ बतौर सीनियर पायलट काम कर रही हैं और साथ ही कई लोगों के लिए मिसाल बन गई हैं कि अगर सही दिशा में मेहनत की जाए तो सपने जरूर पूरे होते हैं।
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इमेजः इंडिया टुडे