अक्सर आप अपने बच्चों को सिखाते हैं कि गुस्सा करना बुरी बात है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि गुस्सा है क्या? दरअसल, क्रोध एक बुनियादी मानवीय भावना है, जो सभी लोगों को कभी न कभी महसूस होती है। आमतौर पर जब भी कोई आपके साथ गलत व्यवहार करता है, तो आप खुद में ही उलझे रहते है और उस व्यक्ति के बारे में बुरा सोचना शुरू कर देते है।
गुस्सा एक स्वाभाविक, हालांकि कभी-कभी तर्कहीन भावना है, जो हर कोई समय-समय पर अनुभव करता है। व्यक्ति इस भावना का इस्तेमाल अकसर अपने कुछ जज़्बातों को ढ़कने के लिए करता है, जैसे-
– डर
– जलन
– दूसरे की हैसियत से ईर्ष्या
– असंतोष
– दोषारोपण इत्यादि
आप कितना भी समझायें लेकिन बच्चे जैसा देखते हैं, वैसा ही सीखते है। इसलिए, सबसे पहले आप यह देखिये कि कहीं आप भी ऊपर बताए गए जज़्बातों की वजह से परेशान तो नहीं होते। अगर ऐसा है, तो कुछ बातों को अपनाकर आप अपने गुस्से पर काबू पा सकते हैं।
समझें कि क्रोध एक समस्या है
सबसे पहले यह मानना ज़रूरी है कि क्रोध एक बड़ी समस्या है क्योंकि क्रोध की जड़ डर विकसित करना है, इसलिए अत्यंत क्रोध की वजह से अक्सर रिश्ते खराब हो जाते हैं। अगर आपको बहुत गुस्सा आता है, तो अपने व्यवहार पर नज़र रखना शुरु कर दें।
अपने गुस्से पर नज़र रखें
जब आपने अपने गुस्से पर लगाम लगाने की सोच ही ली है, तो बेहतर है कि एक किताब बना लें। इसे कम से कम दो से तीन हफ्तों तक भरें। इस में गुस्सा करने का कारण, गुस्सा करते हुए कैसा महसूस हुआ, क्या करना चाहा और असल में आपने क्या किया, इन सब बातों के बारे में लिखें। हर बार गुस्सा करते समय अपने व्यवहार को 0-10 के बीच में अंक दें। ऐसा करने से आप समझ पायेंगे कि किन परिस्थितियों में आप गुस्सा करते हैं और उन्हें कैसे नज़रअंदाज किया जाये।
जब भी गुस्सा आयें तो गुस्सा मत करें
आपको यह पढ़ने में बहुत ही अटपटा लग रहा होगा, लेकिन जब भी किसी चीज़ पर आपको गुस्सा आए, तो उसे तुरंत व्यक्त न करें। क्रोध आने के कारण को कई बार सोचें और अगर फिर भी लगे कि आप अपने क्रोध को व्यक्त करना चाहते हैं, तो सोच समझ कर निर्णय लें।
अपने आप को गुस्से में देखें
गुस्सा करते समय खुद को आइने में देखें। एक बार आप ऐसा करेंगे, तो निश्चित तौर पर कभी दोहराना नहीं चाहेंगे।
ज़िंदगी में खुशियां छोटी-छोटी चीज़ों से हासिल होती हैं और यह आपके व्यवहार पर निर्भर करती है। अगर आप आस-पास खुशियां फैलाना चाहते हैं, तो धैर्य रखने का प्रयास करें और गुस्से को तुरंत व्यक्त करने की बजाय पहले सोचे-समझे और फिर निर्णय लें।
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