मेडिटेशन यानी ध्यान के बारे में आपने बहुत कुछ सुना और पढ़ा होगा, यह भी जानते होंगे कि मानसिक शांति के लिए यह बहुत ज़रूरी है, लेकिन ध्यान को अलग-अलग महापुरुषों ने अलग तरह से परिभाषित किया है। अपनी पॉजिटिव बातों से लोगों को प्रेरित करने के लिए जाने जाने वाले सद्गुरु जग्गी वासुदेव के नज़रिए में ध्यान क्या है और यह आपके लिए कितना फायदेमंद होता है? आइए, जानते हैं।
मेडिटेशन के बारे में सद्गुरु के कुछ विचार
– ध्यान करने से ही आपको इस बात का एहसास होता है कि आपकी जो सीमाएं हैं वह खुद आपकी ही बनाई हुई हैं, और फिर आप उसे तोड़ना चाहते हैं।
– ये अपने अस्तित्व की खूबसूरती को जानने का एक तरीका है।
– मेडिटेशन कोई काम नहीं है जिसे किया जाए यह तो एक गुण है।
– इसका अर्थ है, अपने अंदर नया आयाम बनाना।
– अपने शरीर और मन की सीमाओं से परे जाना।
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मेडिटेशन एक गुण है जिसे पैदा किया जाता है
सद्गुरु के अनुसार, कुछ लोगों को ध्यान करना इसलिए मुश्किल लगता है, क्योंकि वह इसे एक काम की तरह करते हैं, जबकि ध्यान काम नहीं एक गुण है और इसे धीरे-धीरे अपने अंदर विकसित किया जाता है। जैसे मिट्टी को उपजाऊ बनाने के लिए यदि समय पर खाद, पानी और सही किस्म की बीज डाली जाए तो पौधे का उगना निश्चित है, उसी प्रकार यदि आप अपने शरीर, मन, भावना और ऊर्जा को परिपक्वता के एक स्तर तक ले आते हैं तो ध्यान लगाना बहुत आसान हो जाता है।
मन को वश में करता है ध्यान
सद्गुरु कहते हैं, आमतौर पर मन मालिक होता है और आपको वह अपने हिसाब से चलाता है, लेकिन ध्यान एक ऐसा जरिया है जिससे आप मन को अपना गुलाम बना सकते हैं यानी उस पर पूरी तरह से काबू पा सकते हैं। जब आप कुछ देर तक स्थिर होकर ध्यान की मुद्रा में बैठते हैं तो शरीर तो स्थिर रहता ही है आपका चंचल मन भी धीरे-धीरे स्थिर होने लगता है और आखिरकार हार मान कर बैठ जाता है। यानी अब वह आपको इधर-उधर भटकाता नहीं है, बल्कि आप अब उसे पूरी तरह से नियंत्रित कर लेते हैं और ऐसा करने पर आपके दुखों का अंत हो जाता है।
मेडिटेशन के लिए ज़रूरी बातें
सद्गुरु कहते हैं कि कुछ लोगों को लगता है कि मैं ध्यान तो कर रहा हूं, लेकिन उसका परिणाम नहीं मिल रहा तो ऐसे लोगों कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए-
- सबसे पहले तो व्यक्ति को अपना काम सही तरीके से नियमों का पालन करते हुए करना चाहिए, बिना परिणाम की चिंता किए।
- यदि आप गाइडेड मेडिटेशन कर रहे हैं तो माहौल से लेकर बैठने का तरीका, इससे जुड़े नियमों का पालन करें। जिस तरह से सही माहौल मिलने पर ही पेड़ फल और फूल देता है उसी तरह से सही तरीके से ध्यान करने पर ही आपको फायदा होगा।
- ध्यान का सही परिणाम पाने के लिए उसे पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ करना होगा।
- उद्देशय में तेजी लाना भी जरूरी है, लेकिन इसका मतलब खुद को महान नहीं शून्य समझना यानी पद, प्रतिष्ठा, अहंकार से पूरी तरह से दूर होना।
ध्यान मन से सारे बोझ उतारकर आपको हल्का कर देता है और फिर आपको अपने चारों तरफ सबकुछ पॉजिटिव नज़र आता है।
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