चक्र हमारी पूरी ऊर्जा का केंद्र होते हैं और यही हमारा मानसिक और आध्यात्मिक व्यवहार तय करते हैं। जब तक शरीर के चक्रों का संतुलन बना रहता है, तब तक कोई समस्या नहीं आती, लेकिन संतुलन बिगड़ने पर शारीरिक और मानसिक परेशानियां बढ़ सकती हैं। इसलिए शरीर के चक्रों को संतुलित रखना ज़रूरी है।
क्या होते हैं चक्र?
संस्कृत में चक्र शब्द का मतलब होता है ‘डिस्क’ या ‘पहिया’ जो शरीर का ऊर्जा केंद्र होता है। प्रत्येक चक्र में ऊर्जा का प्रवाह होता है। जो चक्र सक्रिय और संतुलित होता है, वह अच्छी तरह काम करता है, और यदि किसी चक्र में रुकावट या बाधा आती है तो उससे संबंधित अंगों में परेशानी आने लगती है। इन 7 चक्रों को सृष्टि की समस्त शक्तियों का केंद्र माना जाता है।
चक्रों के प्रकार
शरीर के चक्र 7 प्रकार के होते हैं। इनमें से एक है मूलाधार चक्र, यह चक्र रीढ़ की हड्डी के सबसे निचले हिस्से में होता है। इसका रंग लाल होता है और आपके भौतिक सुख और आध्यात्मिक इच्छा इसी चक्र से संबंधित होती है। इसका आकार चौकोर और उगते हुए सूरज की तरह होता है।
मूलाधार चक्र को संतुलित रखने वाली जड़ी-बूटियां
यह चक्र आपकी सबसे बुनियादी ज़रूरतों जैसे भोजन, सुरक्षा और आर्थिक सुरक्षा को नियंत्रित करता है। इसके असंतुलित होने पर आप अस्थिर और तानवग्रस्त हो सकते हैं। शारीरिक तौर पर आपको पाचन में समस्या और वजन बढ़ने की समस्या हो सकती है। इस चक्र को संतुलित रखने के लिए अश्वगंधा और अदरक को भोजन में शामिल करने के साथ ही आप गाजर, मूली और आलू जैसी सब्ज़ियों का भी सेवन कर सकते हैं। ज़मीन के अंदर उगने वाली ये सब्ज़ियां मूलाधार चक्र को पृथ्वी तत्व से जुड़ने में मदद करेंगी।
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मूलाधार चक्र को जागृत करने के उपाय
अरोमाथेरेपी
अरोमाथेरेपी में ठीक करने की शक्तिशाली ऊर्जा होती है, जो सुरक्षा की भावना को जागृत करने में मदद करती है। मूलाधार चक्र को जागृत करने के लिए मिट्टी के दीये में तेल डालकर या खुशबूदार चंदन, देवदार, शीशम, पचौली, लौंग, काली मिर्च और अदरक जैसी धूप जलाकर कुछ वाक्य बोले।
मूलाधार चक्र के लिए पॉज़िटिव वाक्य
इस चक्र को सक्रिय और सुचारू रखने के लिए आपको खुद से कुछ पॉज़िटिव बातें बार-बार करनी चाहिए जैसे-
- मैं केंद्रित और ज़मीन से जुड़ा हूं।
- मैं शक्तिशाली और मज़बूत हूं।
- मैं सुरक्षित और स्थिर हूं।
- मैं आर्थिक रूप से सुरक्षित हूं।
- मुझे जो भी चाहिए ब्रह्मांड हमेशा प्रदान करेगा।
बार-बार ऐसे वाक्य दोहराने से आपके सोचने का तरीका और व्यवहार बदलता है, जो सुरक्षा और स्थिरता की भावना को मज़बूत बनाते हैं।
योग मुद्राएं योगा अलग-अलग मुद्राओं और आसन के जरिए आध्यात्मिकता और शरीर को जोड़ता है। किसी खास आसन में बैठकर सांस रोके रहने और फिर छोड़ने से तनाव बाहर निकल जाता है और मूलाधार चक्र जागृत हो जाता है। इसमें माउंटेन पोज़, स्क्वैट, वॉरियर पोज़, गॉडेस पोज़ और चाइल्ड पोज़ जैसे आसन बहुत फायदेमंद होते हैं।
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