‘खुशी’ क्या है? क्या ये कोई बाहरी चीज़ है जिसे पाया जा सकता है? नहीं, यह तो मन की एक भावना है जिसे सिर्फ महसूस किया जा सकता है और यह भावना किसी बाहरी चीज़ के मिलने से जागृत नहीं होती, बल्कि आपके अंदर ही निहित होती है जब ज़रुरत है उससे जुड़ने की और उसे महसूस करने की। जिसमें मेडिटेशन आपकी मदद करता है। शरीर और दिमाग में संतुलन स्थापित करके और वर्तमान पल में जीना सिखाकर ध्यान आपको खुश रहना भी सिखाता है।
खुशी क्या है?
संतुष्टि की भावना और जीवन जैसा है उसे वैसे ही स्वीकार करना जब आप सीख जाते हैं तो खुश रहते हैं। यानी खुशी कोई चीज़ नहीं है जिसे आप पा सकते हैं, बल्कि यह एक भावना है जो आपके अंदर ही निहित है। बस ज़रूरत है उसे पहचानने कि और उस पर जमे असंतोष की परत को हटाने की। जब आप वर्तमान में जीते हैं, सकारात्मक सोचते हैं, जितना है उसमें ही संतुष्ट रहना सीख लेते हैं तो आप खुश रहते हैं। खुशी के लिए दया, करुणा, सहानुभूति, संतुष्टि की भावना ज़रूरी है और यह भावना विकसित होती है ध्यान से।
हैप्पीनेस मेडिटेशन क्या है?
खुशी के लिए ध्यान या हैप्पीनेस मेडिटेशन आपको अपने अंदर की संतुष्टि और पूर्णता की भावना से जोड़ता है। यह तनाव, चिंता और नकारात्मक विचारों से छुटकारा दिलाकर आपको सकारात्मकता की ओर ले जाता है। जब आप माइडफुलनेस मेडिटेशन करते हैं तो दिमाग सिर्फ वर्तमान पल पर फोकस करता है जिससे बेकार के विचार दिमाग में आते ही नहीं है और जब बेकार के विचार ही नहीं आएंगे तो आप न अधिक कुछ सोचेंगे और न परेशान होंगे यानी आप खुश रहेंगे। मेडिटेशन दया, सहानुभूति और आंतरिक संतुलन बनाए रखने के लिए परिस्थितियों का निर्माण करता है, जिससे आप नकारात्मकता से दूर हो जाते हैं और अपने वास्तविक मन से जुड़ते हैं जिसमें संतोष और आनंद अंतर्निहित है। 2010 में हावर्ड यूनिवर्सिटी के मनोवैज्ञानिकों ने माइंडफुलनेस मेडिटेशन और खुशी में संबंध स्थापित करते हुए कहा कि जो लोग वर्तमान पल में जीते हैं वह खुश रहते हैं।
कैसे करें हैप्पीनेस मेडिटेशन?
– ध्यान लगाने की सामान्य प्रक्रिया का ही पालन करें। इसके लिए पहले किसी आरामदायक मुद्रा में बैठ जाएं और आप चाहें तो आंखें बंद कर लें।
– सांसों के प्रति सजग रहें और धीरे-धीरे गहरी सांस लें। गहरी सांस लें और सांस छोड़ते समय सारा तनाव भी बाहर निकाल दें। इस दौरान सिर से लेकर पैर तक अपने पूरे शरीर को रिलैक्स होने दें।
– इस मेडिटेशन में अपने शरीर, मन और भावनाओं को शांत करें।
– अब उस समय को याद करें जब आप बहुत खुश थें। वह कुछ भी हो सकता है जैसे जब आप किसी खूबसूरत स्थान पर घूमने गए थें या अपने सबसे अच्छे दोस्त के साथ समय बिता रहे थें।
– जितना हो सकते विस्तार से उन पलों को याद करें। यदि संभव हो तो दिमाग में उस पल को एक बार फिर से जीवंत बना लें। क्या हो रहा था, कैसा माहौल था, आपके साथ कौन था, आपको किस तरह की आवाज़ आ रही थी आदि। यानी एक तरह से उस खुशनुमा पल को दोबारा जिएं।
– ऐसा करते समय आपको कैसा महसूस हुआ। क्या आपके शरीर और मन में खुशी की भावना का संचार हुआ? यकीनन हुआ होगा और अब आप हल्का और अच्छा महसूस कर रहे होंगे और वर्तमान में विचारों और भावनाओं को लेकर ज़्यादा स्पष्ट हो गए होंगे। अब धीरे-धीरे से वर्तमान स्थिति में लौटें और रिलैक्स होने के लिए कुछ देर के लिए सांस लेते और छोड़ते रहें।
– एक सप्ताह तक रोज़ाना ऐसा करें। फिर आप महसूस करेंगे कि बिना ज़्यादा मेहनत के ही आपके अंदर खुशी और कल्याण की भावना का संचार होने लगा है।
जब भी आपको लगे कि आप मायूस हो रहे हैं या तनाव व चिंता वाली परिस्थितियों से ध्यान हटाना चाहते हैं तो इसका अभ्यास करके अच्छा महसूस कर सकते हैं।
हैप्पीनेस मेडिटेशन चिंता, तनाव, अवसाद, नकारात्मकता दूर करता है जिससे नींद भी अच्छी आती है और सकारात्मक रहने से जीवन के हर क्षेत्र में सफलता पाने के साथ ही रिश्ते भी मधुर रहते हैं।
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