किसी के जन्मदिन पर उसे तोहफा देना आम बात हैं, लेकिन सिख समुदाय ने जो तोहफा देने का सोचा है, वह बहुत ही अनोखा है। दरअसल, इस साल गुरु नानक की 550वीं जयंती है और समुदाय धरती को हरा-भरा करके अपने गुरू को उपहार दे रहे है। पर्यावरण में हो रही गिरावट को देखते हुये प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। इसके साथ वह लोगों को प्रकृति से भी जोड़ना चाहते है ताकि लोग पर्यावरण को बचाने की पहल करें। नवंबर में आने वाली गुरु नानक जयंती तक, दुनियाभर में कम से कम 18,000 छोटे-छोटे जंगल बनाने की कोशिश की जा रही है, जो सेल्फ सस्टेन्ड होंगे।
क्या है ईको-सिख?
यह वॉशिंग्टन बेस्ड एंवायरमेंटल ऑर्गनाईज़ेशन है, जो ‘मिलियन ट्री प्रॉजेक्ट’ को कॉर्डिनेट कर रही हैं। सिख समुदाय अब तक दसियों हज़ार पेड़ लगा चुका है और यह ज़्यादातर भारत में लगाये गये हैं क्योंकि सिखों की सबसे ज़्यादा आबादी पंजाब में है। यह समुदाय पंजाब के हर गांव में 550 पौधे लगाने की योजना बना रहा हैं, साथ ही यूके, यूएस, ऑस्ट्रेलिया और केन्या में भी ज़्यादा से ज़्यादा पौधे लगाने का प्रयास कर रहे हैं।
प्रार्थना दर्शाती है गुरुनानक का प्रकृति से प्रेम
मिलियन ट्री प्रॉजेक्ट के प्रेज़िडेंट राजवंत सिंह बताते हैं कि गुरुनानक एक प्रकृति प्रेमी थे। वह प्रकृति के अंदर भगवान का रूप देखते थे और उनके कई लेखों में प्रकृति से ज़िंदगी के सबक सीखने के बारे में कहा गया है।’ राजवंत ने इस बात पर भी रोशनी डाली कि सिखों की दैनिक प्रार्थना में ‘वायु को शिक्षक, जल को पिता और धरती को माता का स्वरूप बताया गया है।‘ साथ ही वह इस बात की उम्मीद करते हैं कि यह परियोजना सिखों, विशेष रूप से युवाओं, को प्रकृति के साथ अपने संबंधों को बेहतर बनाने के लिये प्रेरित करेगी और इससे पूरी धरती को उपहार मिलेगा, जो कहीं न कहीं हमारे लिए ही लाभकारी होगा।
सिख यूनियन कोवेंट्री के अध्यक्ष पलविंदर सिंह चाना का मानना है कि, ‘सिखों के रूप में, पर्यावरण से हमारा संबंध हमारी आस्था और पहचान का एक अभिन्न अंग है। आने वाली पीढ़ियों को हमारी मेहनत के फल से फायदा पहुंचेगा, जो उनके लिए शांति, मित्रता और निरंतरता का प्रतीक होगा।
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