एडीएचडी यानी अटेंशन डेफिशेंट हाइपरएक्टिव डिसऑर्डर दिमाग से संबंधित एक रोग है, जिसमें बच्चों का अपने व्यवहार और भावनाओं पर कंट्रोल नहीं रहता। इस डिसऑर्डर से पीड़ित बच्चे एक जगह ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते और बहुत ज़्यादा एक्टिव होते हैं। इनका व्यवहार दूसरों पर हावी होने वाला रहता है। ऐसे बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार करना एक मुश्किल काम हैं।
क्या होती है परेशानी?
एडीएचडी डिसऑर्डर से पीड़ित बच्चों का व्यवहार सामान्य बच्चों से थोड़ा अलग होता है। ऐसे बच्चों को निम्न परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
– किसी काम को ध्यान से नहीं कर पाते। लापरवाही की वजह से हमेशा गलतियां करते हैं।
– स्कूल में या घर पर दिये गये निर्देशों को ध्यान से नहीं सुनते और न ही उस पर अमल करते हैं।
– स्कूल का होमवर्क करना भी भूल जाते हैं।
– बहुत ज़्यादा एक्टिव होते हैं, लेकिन अक्सर चीज़ें भूल जाते हैं।
– धैर्य की कमी होती है, कभी भी अपनी बारी आने का इंतज़ार नहीं कर पातें।
– ज़्यादा देर एक जगह पर नहीं बैठ पातें, हमेशा व्याकुल रहते हैं।
– अक्सर दूसरों पर चिल्लाते हैं, जिससे दूसरे बच्चे उन्हें पसंद नहीं करते।
– भाषा सीखने और पढ़ाई में सामान्य बच्चों से ज़्यादा संघर्ष करना पड़ता है।
स्कूल के लिये तैयारी
सामान्य बच्चों की तुलना मे एडीएचडी डिसऑर्डर से पीड़ित बच्चों को किंडरगार्डन भेजने के लिये तैयार करना मुश्किल काम हैं, क्योंकि इनका व्यवहार सामान्य नहीं होता। ऐसे में पैरेंट्स कुछ टिप्स आज़मा सकते हैं-
– स्कूल स्टार्ट होने के एक महीने पहले ही बच्चे का शेड्यूल ऐसा तैयार करें, जैसा स्कूल जाने के बाद होगा, जैसे उनके- उठने, सोने, पढ़ने आदि का समय।
– दूसरे बच्चों के साथ खेलने, पढ़ने और चीज़ें शेयर करना सिखायें।
– बच्चे को अपनी भावनाओं और इमोशन पर काबू रखना सिखायें।
– उसकी फिज़िकल हेल्थ का ध्यान रखने के साथ ही कम्युनिकेशन स्किल सुधारने पर फोकस करें।
– कुछ पैरेंट्स को लगता है कि ऐसे बच्चों को एक साल देरी से स्कूल भेजना ठीक रहेगा, लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि इससे समस्या हल नहीं होती, बल्कि बच्चे को ज़्यादा परेशानी होती है।
क्या करें पैरेंट्स?
– पैरेंट्स को समझना होगा कि बच्चे जानबूझकर अजीब व्यवहार नहीं करते, बल्कि उनके व्यवहार की वजह मस्तिष्क में केमिकल का बैलेंस बिगड़ना है। इसलिए बच्चे के साथ प्यार से पेश आएं।
– उसका एक रूटीन फिक्स करें और उसे फॉलो करें।
– कुछ अच्छा काम करने पर तारीफ करें, पढ़ाई के लिए बहुत ज़्यादा दवाब न डालें।
– टीचर को उनके बारे में सब कुछ बतायें और रिक्वेस्ट करें कि बच्चे को क्लास में आगे बिठाये और उसे सबके सामने न डांटे।
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