ऑफिस में जहां हम कई लोगों के साथ दिन के आठ से दस घंटे बिताते हैं, वहां मनमुटाव और झगड़े होना लाज़िमी है। कभी कलीग से, तो कभी अपने सीनियर से असहमति होने पर बात टकराव तक जा पहुंचती है। टकराव या झगड़ा होने पर ज़रूरी है कि तुरंत इससे निपटा जाये, वरना स्थिति बिगड़ सकती है।
नज़रअंदाज़ न करें
ऑफिस में जब भी कभी संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो, तो उसे नज़रअंदाज़ न करें। ऐसा दिखाने की कोशिश न करें जैसे कुछ हुआ ही नहीं है क्योंकि इससे समय बीतने के साथ ही तनाव बढ़ता जायेगा। जिन मुद्दों पर टकराव है, उसे सुलझाने की कोशिश करें, वरना इसका असर रोज़मर्रा के काम पर होगा। यदि टकराव कर्मचारियों के बीच है, तो उन्हें इसे दूर करने का रास्ता तलाशने को कहें। यदि दो टीमों के बीच संघर्ष है, तो उसे इंटरडिपार्टमेंटल संवाद से दूर किया जाना चाहिये।
बात करें
जिन दो लोगों के बीच संघर्ष की स्थिति है, उन्हें समय निकालकर बातचीत के लिये एक जगह निश्चित करनी चाहिये। ध्यान रहे कि बातचीत का मतलब किसी को दोषी ठहराना नहीं है, बल्कि समस्या पर फोकस करना है और उसका समाधान ढूंढ़ना है। दोनों पक्षों को एक-दूसरे की बात ध्यान से सुननी चाहिये। किसी एक को हावी नहीं होना चाहिये।
ध्यान से सुनें
जब सामने वाला कुछ बोल रहा हो, तो बिना बीच में टोके उसकी बात ध्यान से सुनें। यदि आपको कोई बात समझ नहीं आती है, तो उसे दोबारा बोलने के लिए कहें, क्योंकि वह क्या संदेश देना चाहता है यह समझना ज़रूरी है। सामने वाली की बात ध्यान से सुनने के बाद ही कोई प्रतिक्रिया दें। यदि कुछ चीज़ों को स्पष्ट करना चाहते हैं, तो जब सामने वाला अपनी बात पूरी कर ले, तो उससे सवाल पूछें।
समझौते की राह तलाशे
आपकी बातचीत असहमति के मुद्दों पर आधारित है, लेकिन समझौते के लिए आपको कुछ पॉज़िटिव पहलुओं पर ध्यान देना होगा। असहमति के अलावा आपको सामने वाले कि जो बातें अच्छी या सही लगती है उसके बारे में कहे।
मार्गदर्शन करें
यदि आप लीडर हैं, तो संघर्ष की स्थिति में आपको मध्यस्था करनी पड़ सकती है, ध्यान रहे कि किसी एक का पक्ष लेने की बजाय असल समस्या को समझकर उसे दूर करने की कोशिश करें। आपको दोनों पक्षों को समझाना होगा और यदि किसी की भावनाएं आहत हुई है तो उसका दर्द कम करने के बारे में सोचें।
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