यह तो सभी जानते हैं कि पढ़ना-लिखना बहुत ही ज़रूरी है, लेकिन शिक्षा हासिल करने का सफर सबके लिए एक समान नहीं होता। जहां एक तरफ शहरी बच्चों के लिए स्कूल जाना आसान होता है, तो वहीं देश में कितने सारे दूर दराज़ के गांव हैं, जहां के बच्चों को स्कूल जाने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ती है। छत्तीसगढ़ के रायपुर से करीब 120 किलोमीटर दूर रहाटा नाम का एक गांव है, जहां के बच्चों को स्कूल जाने के लिए बांध पार करके अराजपुरी जाना पड़ता है। ये बच्चे घर पर टिन से बनाई गई नाव की मदद से बांध पार करते हैं। हाल ही में जब कुछ लड़कियां स्कूल की छुट्टी के बाद घाट के पास पहुंची, तो उन्हें ऐसा सरप्राइज़ मिला कि वह खुशी से फूले नहीं समाई।
क्या था सरप्राइज़?
लड़कियां स्कूल खत्म करके घर वापस जाने के लिए अपनी टिन से बनी नावों के पास आईं, तो उन्हें एक मोटर बोट के साथ दो होम गार्ड्स दिखे, जो उन्हें घर वापस छोड़ने का इंतज़ार कर रहे थे। होम गार्ड्स ने छात्राओं को लाइफ जाकेट पहनवाईं और घर के लिए रवाना हो गए। यह सब देखने के लिए बालोद डिस्ट्रिकट की कलेक्टर किरण कौशल भी वहीं मौजूद थी, जिनकी बदौलत यह मुमकिन हो पाया।
शुक्रगुज़ार हैं गांव के लोग
कौशल के इस भाव से गांव वाले बहुत खुश हैं और छात्र-छात्राओं की खुशी का तो ठिकाना ही नहीं है। पहले माता-पिता को अपने बच्चों की सुरक्षा की चिंता रहती थी, लेकिन अब उनको सुकून है, क्योंकि बांध पार करने के लिए न केवल मोटर बोट है, बल्कि साथ में लाइफ जैकेट्स भी मौजूद हैं। मोटर बोट आने से गांव वालों को एक और राहत मिली है। दरअसल, राशन और दूसरा सामान लेने के लिए उन्हें भी दूसरे गांव टिन के डिब्बे से बनाई नाव से जाना पड़ता था। वापस आते समय सामान के भार से नाव चलाना काफी मुश्किल हो जाता था। अब मोटर बोट आने से उनकी यह समस्या हल हो गई है। न तो वे इस यात्रा से थकते हैं और न ही सामान गीला होने का डर रहता है। हालांकि मोटर बोट आने से गांव वालो को काफी सहुलियत हो गई है, लेकिन उन्होंने कलेक्टर के सामने एक मांग रखी है।
मोटर बोट की जगह चाहिए कुछ और
गांव वालों के लिए मोटर बोट का खर्चा उठाना काफी मुश्किल हो रहा था, इसलिए उन्होंने कलेक्टर रो- बोट या पैडल बोट दिलाने की गुज़ारिश की है। इस गुहार को सुनकर कौशल ने फाइबर की पैडल बोट्स का ऑर्डर दे दिया है, जो कुछ ही दिनों में गांव वालों तक पहुंच जायेंगी।
कौशल जैसे नेक इंसानों की समाज को ज़रूरत है। इस तरह की मदद से गांव वालों का जीवन काफी हद तक आसान हो जायेगा।
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