कैंसर से जंग में परिवार का सहयोग है ज़रूरी

कैंसर से जंग में परिवार का सहयोग है ज़रूरी

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कैंसर जैसी बीमारी का नाम सुनते ही अक्सर लोग घबरा जाते है, लेकिन इस बीमारी से घबराने जैसी कोई बात ही नहीं है, क्योंकि सही समय पर इलाज और परिवार के सहयोग से इस जंग को जीता जा सकता है। इसका जीता जागता उदाहरण बना है, अभिनेता इमरान हाशमी का बेटा आयन, जिसने पांच साल के स्ट्रगल के बाद फाइनली इस बीमारी को हरा दिया।

बेटे की इस बहादुरी की जानकारी इमरान हाशमी ने ट्विटर के ज़रिए लोगों को दी। उन्होंने लिखा ” पांच साल इलाज कराने के बाद अब अयान कैंसर फ्री है। आप सभी का दुआओं और आर्शीवाद के लिए शुक्रिया। सभी कैंसर फाइटर्स को ढ़ेर सारा प्यार और आप इस जंग को जीत सकते है।”

दरअसल इमरान हाशमी के बेटे अयान के कैंसर होने की बात साल 2014 में पता चली थी, जिसके बाद परिवार ने बड़ी बहादुरी से इस बीमारी का सामना किया। अभी हाल ही में कैंसर के चलते राकेश रोशन की सर्जरी हुई तो पिछले दिनों अभिनेत्री सोनाली बेंद्रे कैंसर के इलाज के बाद देश लौट चुकी हैं।

बाकी बीमारियों से अलग

कैंसर है तो एक बीमारी ही, लेकिन इसका नाम सुनते ही इंसान अंदर से टूट जाता है। परिवार को भी इस बीमारी का नाम सुनते धक्का लगता है लेकिन आपको बता दे कि अब कैंसर जैसी बीमारी के इलाज के लिए आधुनिक तकनीके आ गई है। इसलिए अगर थोड़ी हिम्मत और सतर्कता दिखाई जाए, तो इस बीमारी से लड़ाई जीती जा सकती है।

परिवार का साथ, करता है हर मुश्किल आसान | इमेजः इंडिया टुडे यूट्यूब

जागरुकता की कमी

दरअसल समस्या यह है कि हमारे देश में आज भी लोग सेहत को लेकर बहुत जागरुक नहीं है। यदि कैंसर का शुरुआती स्तर पर पता चल जाए, तो इलाज संभव है, लेकिन इस बीमारी से लड़ने के लिए मेडिकल सपोर्ट के साथ ही परिवार का साथ और हौसलाफजाई बहुत ज़रूरी है, क्योंकि इसमें मरीज जितना शारीरिक दर्द झेलता है उससे कहीं ज़्यादा मानसिक दबाव पड़ता है और वह टूट जाता है। इस मामले में बच्चों के साथ ज़्यादा सावधानी और हिम्मत दिखाने की ज़रूरत होती है।

क्या करें पैरेंट्स?

यदि किसी बच्चे को कैंसर हो गया है, तो पैरेंट्स को खुद को मज़बूत करते हुए बच्चे को मौजूदा हालात से लड़ने की ताकत देनी चाहिए। बच्चा बीमारी से लड़ने के लिए खुद को तैयार कर सके, जैसा की इमरान हाशमी के बेटे ने किया था, इसके लिए बच्चे को कुछ बातों के लिए तैयार करना ज़रूरी है जैसे-

  • कैंसर के इलाज के दौरान होने वाले शारीरिक बदलाव के बारे में पहले ही समझा दें।
  • इस दौरान भावनात्मक बदलाव भी आएंगे, इसलिए किसी तरह से बच्चे का मनोरंजन करने की कोशिश करें।
  • हो सकता है उसके कुछ पुराने दोस्त साथ छोड़ दें, तो इसे नए दोस्त बनाने के लिए प्रेरित करें।
  • इलाज के दौरान कुछ क्रिएटिव काम सिखाए, जिसमें उसकी दिलचस्पी हो जैसे, ड्राइंग, पेंटिग आदि।
  • कैंसर से जुड़े बच्चे के किसी भी सवाल को टाले नहीं, बल्कि समझदारी से उसका जवाब दें।

बीमारी चाहे कोई भी हो, अगर उसका सामना करते समय शख्स मेंटली स्ट्रोंग हो, तो बीमारी के खिलाफ जंग जीतना आसान हो जाता है और काफी लोगों ने प्रूव भी किया है।

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इमेजः इंडिया टुडे

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