जीवन में कई बार ऐसा होता है कि आपके पास सब कुछ होता है, लेकिन फिर भी आप अंदर से खाली महसूस करते हैं। आपके आसपास के लोग खुशियां मना रहे होते हैं और आप बस बाहर से चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान लिए बैठे रहते हैं। कोई पूछे तो आपके पास जवाब भी नहीं होता कि आप चुपचाप क्यों बैठे हैं, क्योंकि आप दुखी या उदास नहीं होते, बस आपको अंदर से खालीपन महसूस हो रहा होता है। अगर आपके साथ भी ऐसा होता है, तो परेशान न होये। जीवन के किसी न किसी पड़ाव पर ज़्यादातर लोग ऐसा महसूस करते हैं, लेकिन अगर आप अक्सर ऐसा फील करते हैं, तो किसी थेरापिस्ट से अपनी काउंसलिंग करवाने से हिचकिचाएं नहीं और नीचे बताई गई बातों पर ध्यान दें।
अपने खालीपन को पहचानें
अगर आपको खालीपन महसूस होता है, तो उससे भागे नहीं, बल्कि स्वीकार करें। उसका सामना करें और खालीपन महसूस करने के लिये खुद को दोष न दें, बल्कि खुद से प्यार करें। जीवन में कभी किसी अपने के जाने का दुख सबसे बड़ा होता है। उसकी जगह कोई नहीं ले सकता लेकिन इस वास्तविकता को स्वीकार करके जीवन में आगे बढ़ने का प्रयास करें।
खुद के लिए हर दिन समय निकालें
कई बार अपना अकेलापन दूर करने के लिए लोग टीवी, मोबाइल, गेम्स या गलत चीज़ों का सहारा ले लेते हैं। ऐसा करने की जगह आप अपने लिये समय निकालें और खुद से बात करें। ऐसा करने के लिए मेडिटेशन, राइटिंग, कसरत या कोई भी एक्टिविटी करें। ये सब करने से आप अपने जीवन को एक नया लक्ष्य दे सकेंगे। हो सकता है शुरु में थोड़ा अजीब लगे, लेकिन समय और कोशिश के साथ आप खुद को बेहतर तरीके से जान सकेंगे और अपने अंदर के खालीपन को दूर कर सकेंगे।
रैले, एनसी की एक मैरिज एंड फैमिली थेरेपिस्ट कैटलिन स्लाइट की माने, तो आपको खुद से नीचे दिये कुछ सवाल पूछने चाहिये-
– क्या आप खुद को दूसरों से कम्पेयर करते हैं या फिर खुद को जज करते हैं?
– क्या आप खुद को पॉज़िटिव चीज़ें बताते हैं या फिर अपने फेलियर्स को गिनकर खुद को कोसते हैं?
– क्या आप अपनी सेहत पर ध्यान दे रहे हैं ?
– क्या आपने अपनी भावनाओं से बचने के लिये बिहेवियर में बदलाव किया है?
– क्या आप केवल दूसरों की ज़रूरतों का ध्यान रखते हैं?
– क्या आप खुद के प्रति सहानुभूति रखते हैं?
– क्या आप अपनी निजी राय का सम्मान करते हैं?
इन सवालों के जवाब ढ़ूंढकर आपको अपने खालीपन से जीतने में मदद मिलेगी। खुद को प्रेरणा दे, खुद की तारीफ करें, अपना महत्व समझें, खुद की दूसरों से तुलना न करें। परिस्थिति चाहे कुछ भी हो, याद रखें कि यह आपका जीवन है और इसे आपको बेहतर तरीके से जीना है।
खुद की तरफ सही कदम बढ़ायें।
– अपने लिये पॉज़िटिव सोच रखें।खुद की इज़्ज़त करें।
– अपनी भावनाओं को पहचानें।
– मेडिटेशन और योग को अपनी जीवन में लायें।
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