पॉज़िटिव बातें – क्या कहता है विज्ञान और क्या है फायदे

पॉज़िटिव बातें – क्या कहता है विज्ञान और क्या है फायदे

सकारात्मकता हर मुश्किल से डटकर मुकाबला करने की हिम्मत देती है
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दुनिया में शायद ही कोई ऐसा इंसान होगा जिसकी ज़िंदगी में कोई परेशानी या समस्या न हो, मगर कुछ लोग सारी परेशानियों के बावजूद एकदम कूल यानी शांत रहते हैं। वह ऐसा इसलिए कर पाते हैं, क्योंकि वह बहुत पॉज़िटिव होते हैं। आप भी खुद को सकारात्मक बनाकर निगेटिविटी से दूर रह सकते हैं, लेकिन इसके लिए आपको रोज़ाना कुछ सकारात्मक बातों को दोहराना होगा और उसे अपनी रोज़मर्रा की आदत बनानी होगी, क्योंकि कोई भी बदलाव रातों-रात तो संभव नहीं है न।

क्या कहता है विज्ञान?

मैं हर काम कर सकता हूं, मुझे अपनी क्षमताओं पर पूरा विश्वास है, मैं नेकदिल इंसान हूं… कोई आपसे यदि इस तरह की बातें रोज़ाना दोहराने को कहें तो शायद आपको अजीब लगेगा, लेकिन एक बार शुरुआत करके तो देखिए, नतीज़ा यकीनन चौंकाने वाला होगा। हम रोज़-रोज़ जब खुद से पॉज़िटिव बात कहना शुरू करते हैं, तो यह सकारात्मक हमारी बातों और व्यवहार में रच-बस जाती है।

विज्ञान भी यही कहता है कि पॉज़िटिव सोच दिमाग को अच्छा महसूस करती है ठीक वैसे ही जैसे आपको अच्छा खाना खाने या ईनाम मिलने पर महसूस होता है। जर्नल सोशल कॉग्निटिव एंड अफेक्टिव न्यूरोसाइंस (Journal Social Cognitive and Affective Neuroscience) में छपे एक अध्ययन के मुताबिक, सकारात्मक बातें सुनकर दिमाग ठीक उसी तरह से आनंद का अनुभव करता है जिस तरह से कोई ईनाम जीतने या अपना पंसदीदा भोजन करने पर करता है। इसका अध्ययन करने के लिए शोधकर्ताओं ने पॉज़िटिव बातें सोचने के दौरान दिमाग की गतिविधियों को जानने के लिए एमआरआई (MRI) का इस्तेमाल किया।

कैसे करें शुरुआत?

पॉज़िटिव बातें मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए ज़रूरी है, लेकिन किस तरह से आप खुद से पॉज़िटिव बातें कर सकते हैं या सकारात्मक सोच विकसित कर सकते हैं इसे लेकर बहुत से लोग उलझन महसूस करते हैं। उन्हें समझ नहीं आता की शुरुआत कैसे करें? तो ज़्यादा सोच-विचार की ज़रूरत नहीं है। आप रोज़ाना खुद से छोटे-छोटे सकारात्मक वाक्य बोलें, लेकिन हां, इसमें निरंतरता ज़रूरी है यानी यह अभ्यास रोज़ाना किया जाना चाहिए। ठीक उसी तरह जिस तरह आप रोज़ाना भोजन करते हैं।

खुद से करिए पॉज़िटिव बातें

  • मैं अकेले ही खुश हूं
  • मुझे खुद पर पूरा विश्वास है
  • सब कुछ अच्छा होगा मैं जैसा हूं,
  • खुद को स्वीकार करता हूं
  • मैं आज के दिन को लेकर आशावादी हैं
  • मुझमें किसी काम के लिए ‘ना’ कहने की हिम्मत है
  • मैं इस खूबसूरत ज़िंदगी के लिए शुक्रगुज़ार हूं
  • मैं हर दिन और मज़बूत महसूस करता हूं
  • मुझे अपने काम पर गर्व है।

सुनने में भले ही यह वाक्य छोटे लगे, लेकिन इनमें बहुत शक्ति है और यह आपकी ज़िंदगी बदल सकती है। खुद को सकारात्मक बनाने के लिए ऐसी पॉज़िटिव बातें दोहराने के साथ ही आभार प्रकट करना भी सीखें। जो भी आपको मिला है उसके लिए हर दिन आभार व्यक्त करें।

पॉज़िटिव बातों का फायदा

कभी आपने गौर किया है कि जब आप दुखी या निराश होते हैं, तब दोस्तों या परिवार के सदस्यों द्वारा कही सकारात्मक बातों से किस तरह से पल भर में आपका मूड बदल जाता है? रोज़ाना पॉज़िटिव बातें करने के बहुत से फायदे हैं।

  • यह नकारात्मक विचारों को दिमाग से निकाल देता है
  • सेहत को नुकसान पहुंचाने वाले तनाव को दूर रखता है
  • आपको अंदर से खुशी और सुकून मिलता है
  • आप छोटी-छोटी चीज़ों के प्रति आभार जताने लगते हैं, जिससे संतुष्टि का एहसास होता है
  • इससे आप शारीरिक गतिविधियां करने के लिए भी प्रेरित होते हैं। कभी ध्यान दिया है जब आप खुश होते हैं तो मन लगाकर कसरत करते हैं।
  • आशावादी बनाता है। रिसर्च के मुताबिक, आशावादी लोगों में स्ट्रोक और हार्ट अटैक का खतरा कम रहता है।

पॉज़िटिव बातें नकारात्मकता को दूर करके आपको आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है, साथ ही यह बल्कि आपका आत्मविश्वास भी बढ़ाता है।

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