“वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥”
जीवन में कुछ नया करने से पहले जब गणपति का नाम लिया जाता है, तो कइयों के दिमाग में यह ज़रूर आता होगा कि आखिर इसके पीछे क्या कारण है? वैसे तो इसके कई धार्मिक कारण हो सकते है, लेकिन इसका आध्यात्मिक पक्ष भी है।
इस आध्यात्मिक पक्ष को समझने के लिये आपको सबसे पहले गणपति को ध्यान से देखना होगा। शायद आपने नोटिस भी किया हो कि गणेशजी का शरीर खास तरह का है और उनके हाथ में भी कई तरह की चीज़ें होती है। दरअसल, गणपति अपने शरीर से सभी को ज़िंदगी का फलसफा समझाने की कोशिश करते है। तो आइये जानते है, आप गणेशजी से क्या सीख और समझ सकते हैं?
क्या दर्शाता है पेट?
गणेश जी का पेट सब कुछ समा लेने का प्रतीक है। हमें जो कुछ भी पता चलता है, उसे हमें अपने तक ही सीमित रखना चाहिये, ना कि बात पता चलने पर सभी को बताना चाहिए। जो लोग बात को पेट में नहीं समा पाते, वह धीरे धीरे कमज़ोर होते जाते हैं। इसके अलावा बड़े पेट का अर्थ है कि सभी तरह के लोगों को अपनाना चाहिये।
छह हाथों के अलंकार
कुल्हाड़ी है नेगेटिविटी को काटने का ज़रिया
जैसे जैसे हमें ज्ञान मिलता हैं, हमें अपने पिछले कर्मों को काटना शुरू कर देते हैं यानि कि ज़िंदगी में आई नेगेटिविटी को खत्म करते जाते हैं।
रस्सी मतलब विकारों को बांधना
यह तभी मुमकिन है, अगर हम ज़िंदगी को अनुशासन में जियेंगे। खानपान से लेकर उठने-बैठने, बोलने जैसे जीवन के सभी पहलूओं में अनुशासन होना बहुत जरूरी हैं, तभी हम अपने विकारों को बांध सकते हैं।
त्रिशूल दिखाता है- भूतकाल, वर्तमान और भविष्य
कोई भी काम करते समय यह ध्यान रखना चाहिये कि जो हमारे सामने आ रहा है, वह हमारे भूतकाल में किये कामों का नतीज़ा है, इसलिये हमें अब वर्तमान में अच्छे काम करने चाहिये ताकि हमारा भविष्य बेहतर हो। अगर हमारे साथ कोई बुरा बर्ताव करता है तो हमें उसके साथ बुरा नहीं करना चाहिए बल्कि अपने काम अच्छे करने चाहिए ताकि हमारा भविष्य बेहतर हो।
मोदक है मेहनत का प्रतीक
जिस तरह से मोदक को बनाने में मेहनत लगती है, ठीक उसी तरह काम करते रहने से ही सफलता मिलती है यानि कि मेहनत का फल मीठा होता है। मेहनत करने से नाम और मान मिलता है, जिसे अपने ऊपर हावी नहीं होने देना है। इससे विनम्रता आयेगी और मोदक नम्रता का भी प्रतीक है।
कमल सिखाता है निर्मलता
कमल कीचड़ में उगने के बावजूद उससे अलग रहता है, उसी तरह इंसान को भी दुनिया में हो रहे बुरे कामों से अलग रहकर पॉज़िटिव सोच के साथ रहना चाहिये। इसका मतलब यह कतई नहीं हैं कि आपको काम से भागना हैं बल्कि काम करते हुए विनम्र रहना है।
दुआ देता हुआ हाथ
गणेश का दुआ देता हुआ हाथ सिखाता है कि हमेशा हमारा हाथ लोगों की भलाई के लिए उठना चाहिये। जो इंसान लोगों को स्वीकार कर लेता है, वही हाथ दुआ के लिए उठता है।
चूहा ही वाहन क्यों ?
चूहे का मतलब हमारी नेगेटिविटी और लालच है और यह हमारे विकारों और कर्म इंद्रियां का भी प्रतीक है। जो लोग कमज़ोर हैं, वह इसके वशीभूत है। हमें इससे छुटकारा सिर्फ हमारा ज्ञान ही दिला सकता है और इन इंद्रियों को कंट्रोल कर सकता है यानी कि गणेश जी ज्ञान के सागर है और इसी की वजह से ही उनका कर्म इंद्रियों पर कंट्रोल है।
तो इस गणेशोत्सव आप गणपति की सीख को समझकर उसे जीवन में अपनाने की कोशिश करिये।
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