लालबहादुर शास्त्री से सीखें ईमानदारी का गुण

लालबहादुर शास्त्री से सीखें ईमानदारी का गुण

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देश के दूसरे प्रधानमंत्री रह चुके लाल बहादुर शास्त्री ने स्वतंत्रता संग्राम में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। वह आजादी की लड़ाई के दौरान नौ साल तक जेल में रहें। लाल बहादुर शास्त्री अपनी सादगी और ईमानदारी के लिए जाने जाते थें। आज उनके जन्मदिन पर आपको उनसे जुड़ा एक किस्सा बताते हैं, जो उनकी नेकी, स्वाभिमान और ईमानदारी का परिचय देता है।

प्रेरणा देती कहानी

एक बार लालबहादुर शास्त्री मिल मालिक के साथ टेक्सटाइल मिल के दौरे पर गये थे। वहां वेयर हाउस में उन्होंने कुछ साड़ियां देखी। उन्हें साड़ियां काफी पसंद आई, तो उन्होंने कुछ और साड़ियां दिखाने की गुज़ारिश की। यह देखकर मिल मालिक खुश हो गया और उसने सेल्समैन को बेहतरीन साड़ियां दिखाने को कहा।

सेल्समैन ने कई साड़ियां दिखाई और सब अपने आप में खास और बेहतरीन थी। शास्त्री जी को एक साड़ी पसंद आई और मालिक से उन्होंने उसकी कीमत पूछी। मालिक ने साड़ी की कीमत 800 रुपए बताई। साड़ी की कीमत जानने के बाद शास्त्री जी ने उससे कहा कि यह बहुत महंगी है, क्या आप इससे सस्ती साड़ी दिखा सकते हैं। मालिक ने सेल्समैन को सस्ती साड़ी लाने के लिये कहा। मालिक ने उन्हें अब 400, 500 रुपए की साड़ियां दिखाईं। शास्त्री जी ने कहा, ‘यह भी महंगी है। क्या आपके पास सस्ती साड़ी है जो मेरे जैसा गरीब इंसान खरीद सके।’ मालिक आश्चर्यचकित रह गया और कहा, ‘आप तो देश के प्रधानमंत्री है तो खुद को कैसे गरीब कह सकते हैं। वैसे भी आपको किसी साड़ी की कीमत देने की ज़रूरत नहीं है, इन्हें आप उपहार स्वरूप रख सकते हैं।’

लालबहादुर शास्त्री से सीखें ईमानदारी का गुण
ईमानदारी से काम करें|इमेज : फाइल इमेज

शास्त्री जी के जवाब से सब हुये हैरान

शास्त्री जी ने कहा, ‘नहीं, मेरे प्यारे दोस्त, मैं इतना महंगा उपहार नहीं ले सकता।’ मालिक फिर भी बार-बार उनसे उपहार लेने का आग्रह करता रहा क्योंकि देश के प्रधानमंत्री उसके मिल में आये, यही बड़ी बात है। फिर शास्त्री जी ने कहा, ‘हां, मैं देश का प्रधानमंत्री हूं। इसका कतई मतलब नहीं है कि मैं वो सारी चीज़ें लेकर पत्नी को दे दूं, जिसे खरीदने में मैं समर्थ नहीं हूं। मैं प्रधानमंत्री हूं, फिर भी मेरे पास सीमित संसाधन हैं। कृपया मुझे कुछ सस्ती साड़ियां दिखाई जिसे मैं खरीद सकूं।’ आखिरकार शास्त्री जी ने अपनी पत्नी के लिए एक सस्ती साड़ी खरीदी।

ईमानदारी से अपना काम और फर्ज कैसे निभाया जाता है, इसकी बेहतरीन मिसाल हैं लालबहादुर शास्त्री।

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