हर नाम की अपनी एक कहानी होती है और इस लेख में जानिए पूर्वी राज्यों के बाकी चार राज्यों के नाम की कहानी और इसकी खूबिया।
मिजोरम
इस राज्य का पहला शब्द ‘मि’ है जिसका मतलब लोग और ‘ज़ोरम’ यानी पहाड़ के निवासी, जिनको जोड़ कर पूरा मतलब पहाड़ी लोगों की भूमि बोलते हैं। यहां के निवासी अपना मनोरंजन करने और मन को सुकून पहुंचाने के लिए लोक संगीत का आयोजन करते हैं।
पश्चिम में यह बांग्लादेश, त्रिपुरा और पूर्व में म्यामांर से सटा हुआ है। सन 1972 से यह असम का एक जिला था और “लुशाई हिल” के नाम से जाना जाता था। चपचार कुट यहां का खास त्यौहार है और यह खेतों की जुताई से पहले मनाया जाता है । इस समय बांस पेड पौधें सूख जाते हैं और जमीन खेती के लिये तैयार की जाती है। इस सूखे बांस का उपयोग यहां के लोग डांस के लिये करते हैं। इसे आप इनके लोक डांस में देख सकते हैं।
नागालैंड
असल में नागालैंड का ज़्यादातर हिस्सा बर्मा या म्यांमार के जंगलों से लगता है। पुराने समय में बर्मा के जंगलों में रहने वाले लोग कानों में बूंदे पहनते थे, इसलिए बर्मा के लोग उन्हें ‘नाका’ कहते थे। जब बर्मा के जंगलों में इस जनजाति का विस्तार हुआ, तो धीरे-धीरे नाका से ये लोग नागा हो गए। इसी कारण इस राज्य का नाम नागालैंड पड़ा।
इस राज्य की खास बात बांस से बने कला की है, जो हर घर में झलकती है। जानते है क्यों? क्योंकि यहां के जंगल बांस और बेंत से भरपूर हैं, इसलिये यहां का मुख्य काम टोकरिया बनाने का होता है। नागा लोगों में बेंत से सामान बनाने की कला ज़्यादा डेवलेप है। यह शिल्प पुरुषों तक सीमित है। सभी नागा पुरुष जानते हैं कि कटे हुए बांस से चटाई कैसे बुनी जाए, जो घरों की दीवारें व फर्श के लिये काम आये। धान को सुखाने के लिए बारीकी से बुनी गई चटाइयों को बनाने के लिये ज़रूरी है।
त्रिपुरा
इस नाम के साथ कई मान्यताएं जुड़ी है जैसे कि त्रिपुरा, कोकबोरोक शब्द से जन्मा है, जिसका मतलब ‘तुई है। ‘तुई’ का मतलब पानी और ‘पारा’ का मतलब नज़दीक। इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि राजा त्रिपुर के नाम से इस राज्य को त्रिपुरा नाम मिला।
जो लोग रहस्य, प्राचीन कहानियों का शौक रखते हैं, उन्हें त्रिपुरा में ज़रूर आना चाहिये। यहां पर कई शाही महल और मंदिर है, जो दुनिया भर से पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में भी काफी दर्शनीय स्थल, रहस्य और रोमांच से भरे जंगल भी है। इसमें खास है उनाकोटी, जो किसी रहस्य से कम नहीं है। आपको बता दें कि यह राज्य हिन्दू धर्म की 51 शक्ति पीठों में से एक हैं। एक मान्यता यह भी है कि यहां की स्थानीय देवी त्रिपुर सुंदरी के नाम पर इसका नाम त्रिपुरा पड़ा है। अगर मुख्य त्यौहारों की बात की जाये, तो दुर्गापूजा यहां का खास त्यौहार है।
सिक्किम
लिम्बु भाषा से इस राज्य का नाम पड़ा है। इसमें ‘सू’ का मतलब है नया और ‘खिम’ का मतलब भवन। एक ऐसी जगह जहां शांति और सुकून हो। यह राज्य फेन्सांग मठ के लिए मशहूर है। पहाड़ों के ऊपर बसा ये मठ, सिक्किम के बड़े मठों में से एक है। यहां आने पर आपको काफी तादाद में साधु संत मिलेंगे। यहां का शांत वातावरण सभी को खूब लुभाता है।
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