योग भारत की प्राचीन विद्या है जो सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य या कसरत तक ही सीमित नहीं है, बल्कि अपने अंदर की ऊर्जा को जागृत करने और ब्राह्मांड की शक्तियों को महसूस करने के लिए इसकी गहराई तक जाना सिखाती है। इसका चांद से भी गहरा नाता है तभी तो कई आसन चंद्रमा को समर्पित हैं और उसके बदलते आकार का प्रतिनिधित्व करते हैं।
जानकारों के मुताबिक, योग की अष्टांग परपंरा के अनुसार, शारीरिक अभ्यास चंद्रमा के बदलते आकार के अनुसार बदलता है, ताकि शरीर और मन प्रकृति की लय से तालमेल बिठा सके। उनके अनुसार योग का मतलब है आत्म-साक्षात्कार और जब हम चंद्रमा के बदलते चरण के साथ खुद को ढालते हैं, तो हम अपने वास्तविक स्वरूप में ढल जाते हैं।
योगासन का चंद्रमा से संबंध
जिस तरह से पृथ्वी की ज्वारीय तरंगे चंद्रमा को समर्पित है, वैसे ही हमारा शरीर जो करीब 60 प्रतिशत पानी से बना है, चंद्रमा के बदलते चरण में ऊर्जा, भावनाओं और स्वास्थ्य के स्तर पर अलग-अलग तरह से प्रतिक्रिया देता है। योग विशेषज्ञों के मुताबिक, चंद्रमा के बदलते चरणों के साथ तालमेल बिठाकर आप अपनी भावनाओं को अच्छी तरह समझने के साथ ही योग अभ्यास को बढ़ा सकते हैं। योगासन का सबसे आप प्रकार हठ योग दो शब्दों ‘ह’ ‘ठ’ से मिलकर बना है जिसमें ह का अर्थ सूर्य और ठ का अर्थ चंद्रमा से है। जो इस बात का इशारा है कि यह हमारे अंदर की ध्रुवीय ऊर्जा को संतुलित कर सकते हैं।
2013 में कुछ पुरुषों पर हुए एक अध्ययन के मुताबिक, फुल और न्यू मून के दौरान उनका ब्लड प्रेशर और हृदय गति कम थी। 2021 में हुए एक अन्य अध्ययन में चंद्रमा और नींद के पैटर्न के बीच संबंध पाया गया। हालांकि, इस संबंध में बहुत अधिक अध्ययन नहीं हुए हैं और कुछ भी सटीक तौर पर नहीं कहा जा सकता, लेकिन चंद्रमा के साथ अपने योगाभ्यास को जोड़ना अर्थपूर्ण है और चंद्रमा को सम्मान देने का बेहतरीन तरीका भी।
योग विशेषज्ञों के मुताबिक, इन टिप्स को अपनाकर आप भी चंद्रमा के चक्र के साथ तालमेल बिठा सकते हैं।
नया चांद या न्यू मून (New moon)
इस चक्र का अंधेरा आराम करने नहीं, बल्कि नई शुरुआत और चिंतन के लिए प्रेरित करता है। इस दौरान आप इन योगासनों का अभ्यास कर सकते हैं।
- शिर्षासन
- ताड़ासन
- विपरीत करनी आसन
- वृक्षासन और संतुलन बनाने वाले अन्य पोज़ जैसे वीरभद्रासन III, नटराजसन, गरुड़ासन आदि।
वैक्सिंग वर्धमान चांद (Waxing crescent moon)
नई आदतें विकसित करना और शरीर में नई संभावनाओं को तलाशने के साथ ही शरीर में भावनाओं के बहाव के लिए यह समय उपयुक्त है। इस समय के लिए उपयुक्त आसन हैं-
- दंड यमन जानुशिर्षासन
- उतकटासन
- वीरभद्रासन I, II और III
पहली तिमाही चंद्रमा (First quarter moon)
इस दौरान चांद आधा यानी अर्धचंद्र होता है। यह अमावस्या के एक हफ्ते बाद और पूर्णिमा से एक सप्ताह पहले का समय होता है। जानकारों के मुताबिक, इस दौरान शरीर की ऊर्जा का स्तर बढ़ना शुरू होता है, इसलिए निम्न योगासान करना अच्छा रहेगा-
- नौकासन
- अर्धचंद्रासन
- भुजंगासन
वैक्सिंग गिबस मून (Waxing gibbous moon)
यह पूर्णिमा से ठीक पहले का चरण है। इस दौरान आप अपने शरीर और मन की क्षमताओं का विस्तार कर सकते हैं। इस समय के लिए उपयुक्त आसन हैं-
- सूर्य नमस्कार
- चंद्र नमस्कार
- उष्ट्रासन
- दंड यमन धनुराषन
- विपरीत वीरभद्रासन
पूरा चांद (Full moon)
विशेषज्ञों के मुताबिक, पूरा चांद सुपर चार्ज ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है यानी आपका शरीर पूरी तरह से ऊर्जावान होता है और यह संतुलन के लिए भी अच्छा समय है। इस समय के लिए उपयुक्त आसन हैं-
- बद्धकोणासन
- बालासन
- शवासन
- योग निद्रा अभ्यास
वानिंग गिबस मून (Waning gibbous moon)
इस चंद्र चक्र के दौरान थोड़ी बेचैनी महसूस हो सकती है, यह थोड़ा धीमा समय होता है और इस दौरान आप आत्मनिरीक्षण कर सकते हैं। इस समय के लिए बेहतरीन आसन हैं-
- चमत्कारासन या वाइल्ड थिंग पोज
- धनुरासन
- एका पद राजकपोटासन
अंतिम तिमाही चंद्रमा (Last quarter moon)
यह पूर्णीमा से करीब 1 हफ्ते बाद और अमावस्या से 1 हफ्ते पहले आता है। यह समय माइंडफुल प्रैक्टिस के लिए अच्छा है। इन दौरान इन योगासनों का अभ्यास करें-
- चक्रवकासन
- उपविष्ठ कोणासन
- परिव्रत अर्ध चंद्रासन
ढलता अर्धचंद्र (Waning crescent moon)
यह चंद्र चक्र का अंतिम चरण है, जो अमावस्या से पहले आता है और चिंतन का समय है। इसके लिए उपयुक्त आसन हैं-
- सुप्त मत्स्येंद्रासन
- शवासन
- सुप्त कपोतासन
योग खुद में ही सेहतमंद अभ्यास है, ऐसे में अगर चांद के विभिन्न चक्रों का भी तालमेल मिल जाए, तो इससे बेहतर क्या होगा!
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