बुढ़ापा, वृद्ध या बुजुर्ग, ये सारे शब्द उस उम्र के पर्याय हैं जो 50 के बाद शुरू होती है। 50 साल के बाद शरीर में ऐसे बदलाव आते हैं, जिस कारण यह उम्र बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है और इस उम्र में शरीर का खास ध्यान भी रखना पड़ता है। बुढ़ापे को विज्ञान में बीमारी की तरह माना जाता है। चूंकि हर बीमारी के लिए दवा होती है, लेकिन बुढ़ापे के लिए दवा की बजाय पोषक तत्त्वों को वरीयता दी जाए तो बुढ़ापे से जुड़ी समस्याएं आसानी से हल हो सकती है।
कारक जो प्रभावित करते हैं वृद्धता को–
बुढ़ापा कोई अचानक से आने वाली अवस्था नहीं है, इसलिए जैसी भी लाइफ स्टाइल आपने अपनाई उसका असर आपके बुढ़ापे पर पड़ना तय है। संतुलित आहार, शारीरिक गतिविधि, स्वास्थ्य संबंधी आंकड़े, आनुवंशिकता, समाज का सहयोग, स्मोकिंग और नशे की आदतें, दवाइयां आदि ऐसे बहुत सारे कारक हैं जो वृद्धता को प्रभावित करते हैं। इसलिए अगर आप 50 की उम्र में भी बेहद स्वस्थ जीवनशैली की उम्मीद करते हैं, तो उपरोक्त कारकों पर पॉज़िटिव दृष्टिकोण बनाएं।
किस तरह के भोजन का करें उपयोग–
चूंकि 50 साल के बाद शरीर कमज़ोर हो जाता है, इसलिए ऐसे भोजन का चुनाव करें जो संतुलित हो। संतुलित भोजन का मतलब है ऐसा भोजन जिसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और हल्का वसा हो। उदाहरण स्वरूप- दाल (प्रोटीन), चावल (कार्बोहाइड्रेट) के साथ एक चम्मच घी (वसा) मिलाकर खाने से संतुलित आहार मिल जाता है।
अगर शरीर में पोषक तत्त्वों की ज्यादा कमी है, तो पूर्ण आहार यानी दूध और दूध से बनी चीज़ों की तरफ बढ़ें।
यह ध्यान देने वाली बात है अगर आपका शरीर स्वस्थ है, तो ही कार्बोहाइड्रेट और वसा का सेवन करें।
कुछ खास पोषक तत्त्वों का सेवन ज़रूर करें–
प्रोटीन
शरीर के निर्माण में प्रोटीन की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होती है। चूंकि प्रोटीन खाने से किसी तरह का मोटापा नहीं बढ़ता इसलिए प्रोटीन हमेशा लेते रहने चाहिए।
क्या खाएं– इसके लिए आप दाल, फल आदि खाएं।
कैल्शियम
हड्डियों के लिए कैल्शियम और विटामिन डी दोनों ही महत्वपूर्ण पोषक तत्त्व हैं, क्योंकि अगर शरीर में विटामिन डी की कमी है तो शरीर कैल्शियम का उपयोग नहीं कर पायेगा। महिलाओं को खासतौर से कैल्शियम का ध्यान रखना चाहिए क्योंकि गर्भावस्था के दौरान उनका अधिकतर कैल्शियम उनके बच्चे के पास चला जाता है। इस कारण महिलाओं में कैल्शियम की कमी हो जाती है।
क्या खाएं- डेयरी उत्पाद जैसे दूध, दही, पत्तेदार सब्जियां आदि खाएं।
विटामिन बी 12
चूंकि 50 साल के बाद शरीर में इस विटामिन को लेने की क्षमता कम हो जाती है। इसलिए यह ज्यादा महत्वपूर्ण है कि अपने आहार में इस विटामिन को शामिल करें। यह विटामिन मेटाबोलिज़्म के स्तर को उच्च करता है, शरीर मे लाल रक्त कणिकाओं का उत्पादन करता है, डीएनए को रिपेयर करता है और इम्यून सिस्टम को दुरुस्त करता है।
क्या खाएं– डेयरी उत्पाद, फोर्टीफाइड अनाज, वीगन खानें आदि।
पोटैशियम
पोटैशियम का प्रयोग उच्च रक्तचाप, स्ट्रोक, हृदय से संबंधित बीमारियों आदि से बचाता है। साथ ही हड्डियों के स्वास्थ्य का भी ख्याल रखता है।
क्या खाएं – साबुत अनाज, केला, अमरूद, आलू , बंद गोभी, पत्तेदार सब्जियां आदि।
एंटीऑक्सीडेंट्स
खाने में एंटीऑक्सीडेंट्स का उपयोग करने से बुढ़ापा आने की रफ्तार धीमी होती है और पुरानी बीमारियों का प्रभाव कम होता है। विटामिन ए,सी, ई तथा मिनरल जैसे जिंक, कॉपर, सेलेनियम आदि महत्वपूर्ण एंटीऑक्सीडेंट हैं।
क्या खाएं– रंगीन फल और सब्जियां, साबुत अनाज, नट्स, चाय, कॉफी आदि।
50 से 60 साल की उम्र इस जीवन का महत्वपूर्ण पड़ाव है। पॉज़िटिव और हेल्दी एजिंग के लिए आवश्यक है आप ऊपर लिखे डाइट प्लान को अपनाएं और पॉज़िटिविटी की ओर बढ़ें।
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