पर्यावरण बचाने के लिए स्वीडन की 16 साल की लड़की ग्रेटा थनबर्ग को नोबल शांति पुरस्कार 2019 के लिए नॉमिनेट किया गया है।
पर्यावरण बचाने का अभियान
पर्यावरण बचाने के दिशा में अपने देश में ग्रेटा ने कई अभियान चलाये और स्वीडिश संसद के बाहर प्रदर्शन भी किया। कई बार इसके लिए उन्हें स्कूल भी छोड़ना पड़ा। हर शुक्रवार को स्कूल छोड़कर #FridaysForFuture अभियान के तहत संसद के बार प्रदर्शन करने जाती थी ताकि स्वीडन की सरकार पर्यावरण में हो रहे बदलावों से बचने के लिये कुछ कदम उठाये।
इन्हीं बेहतरीन कामों के चलते ग्रेटा को यूनएन क्लाइमेट टॉक्स और वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में बोलने का मौका मिल चुका है। ग्रेटा का अभियान स्वीडन के अलावा जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, जापान, बेल्जियम और फ्रांस में भी चला है। उनके प्रयासों के कारण ही नार्वे के तीन सांसदों ने उनका नाम नोबल शांति पुरस्कार 2019 के लिए नामित किया।
ऐसे की खुशी ज़ाहिर
नोबल शांति पुरस्कार 2019 में नामित होने की खुशी ग्रेटा ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर ज़ाहिर की।
Honoured and very grateful for this nomination ❤️ https://t.co/axO4CAFXcz
— Greta Thunberg (@GretaThunberg) March 14, 2019
यदि ग्रेटा 2019 का नोबल शांति पुरस्कार जीत जाती है, तो नोबल प्राइज़ पाने वाली वह सबसे कम उम्र की शख्सियत होंगी। फिलहाल यह रिकॉर्ड मलाला युसुफजाई के पास है, जिन्हें 17 साल की उम्र में 2014 में नोबल शांति पुरस्कार मिला था।
ग्रेटा इतनी कम उम्र में ही पर्यावरण को बचाने के लिए इतना बड़ा काम कर रही, जिससे सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए।
कैसे बचाये पर्यावरण?
– अपने आसपास पेड़-पौधे लगायें।
– मकान बनवाते समय इस बात का ध्यान रखें कि पेड़ों को न काटना पड़े।
– खेतों में फर्टिलाइज़र का इस्तेमाल न करें क्योंकि बारिश में ये फर्टीलाइज़र जल स्रोतों में मिलकर उसे गंदा कर देते हैं।
– गाड़ियों का कम से कम इस्तेमाल करें, जितना हो सके पैदल चलें या साइकिल का उपयोग करें।
– पुरानी चीज़ों को फेंकने की बजाय उसे रिसाइकल करिये।
– रिचार्जेबल बैटरी का इस्तेमाल करें, क्योंकि मेटल वाली बैटरियों को फेंकने से वह मिट्टी को नुकसान पहुंचाती है।
– प्लास्टिक से पूरी तरह दूर रहें। इसकी जगह स्टील के बर्तन और कपड़े के बैग उपयोग में लाये।
– घर में ऑयल पेंट की बजाय लेटेक्स पेंट करवाएं।
– पानी और बिजली की बर्बादी रोकना भी ज़रूरी है।
पर्यावरण बचाना किसी एक का काम नहीं होना चाहिये, बल्कि सभी को यह ज़िम्मेदारी समझनी चाहिये।
इमेज: बीबीसी
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