आगे बढ़ने की चाह ने बनाया फायर फाइटर

आगे बढ़ने की चाह ने बनाया फायर फाइटर

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आज के दौर में भी देश के कुछ गांव और पिछड़े इलाकों में बाल विवाह बदस्तूर जारी है। पढ़ने-लिखने की उम्र में लड़कियों के ऊपर जबरन घर-गृहस्थी की ज़िम्मेदारी डाल दी जाती है। ज़्यादातर लड़कियां तो इसे अपनी तकदीर मान लेती हैं, लेकिन चंद खुशकिस्मत लड़कियां ऐसी भी होती हैं, जो बाल विवाह के बावजूद अपने सपनों को पूरा करने में कामयाब रहती हैं। ऐसी ही एक लड़की है राजस्थान की निरमा चौधरी, जो राज्य की पहली महिला फायर फाइटरों में से एक हैं।

पढ़ने की चाह

जयपुर से करीब 80 मील दूर गांव की रहने वाली निरमा चौधरी की शादी 17 साल की उम्र में ही हो गई थी, लेकिन शादी के बाद ससुराल वालों और पति ने उनके पढ़ने की चाह देखकर उनपर कोई रोक नहीं लगाई, बल्कि उनका साथ दिया। इसी की बदौलत निरमा न सिर्फ अपनी पढ़ाई पूरी कर पाईं, बल्कि सपनों को भी पूरा करने में सफल रहीं। पढ़ाई खत्म होने के बाद निरमा ने अखबार में राज्य के फायर सर्विस में महिलाओं की भर्ती का विज्ञापन देखा और फायर फाइटर बनने की ठान ली।

आगे बढ़ने की चाह ने बनाया फायर फाइटर
समाज में बनाई नई पहचान  | इमेज: फाइल इमेज

राजस्थान की पहली महिला फायर फाइटरों में से एक

निरमा चौधरी का कहना है कि वह टीवी और अखबारों में हमेशा फायरमैन को देखती थीं। हर कोई यही कहता था कि यह काम लड़कियां नहीं कर सकतीं। इसलिए मैंने सोचा कि लोगों को यह दिखाना है कि मैं यह कर सकती हूं। 24 साल की उम्र में वह जयपुर नगर निगम फायर स्टेशन में बतौर फायर फाइटर तैनात हुई। पिछले एक साल की नौकरी में वह दर्जनों बार आग बुझा चुकी हैं।

तीस महिलाओं के समूह में शामिल

अपने गांव के सदियों पुराने रीति रिवाज़ों से लड़कर आगे बढ़ी निरमा चौधरी, उन तीस  महिलाओं में शामिल हैं, जिन्हें एफर्मेटिव एक्शन पॉलिसी (सकारात्मक कार्रवाई नीति) के तहत राजस्थान के कस्बों और गांवों से चुना गया है। इससे फायर सर्विस जॉइन करने के लिए महिलाओं को प्रोत्साहित किया जा सकेगा। इस पॉलिसी के तहत सरकारी नौकरी में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण की व्यवस्था है और इससे पुलिस और प्रशासनिक सेवाओं में उनकी संख्या बढ़ी भी है, लेकिन फायर सर्विस में यह पॉलिसी पिछले साल तक लागू नहीं की गई थी। अब लागू करने से उम्मीद है कि पुरुषों के दबदबे वाले इस क्षेत्र में भी महिलाओं की संख्या बढ़ेगी। आपको बता दें कि आग से खेलने का खतरनाक काम करने वाली देश की पहली महिला फायर फाइटर हर्षिनी कान्हेकर है।

 

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