इस तिरंगे से ही मेरी पहचान है,
इस पर तो मेरा सब कुछ कुर्बान है,
अब इसके बारे में क्या कहूं मेरे यारो,
इससे ही तो मेरी आन बान शान और अभिमान है।
15 अगस्त, यानि भारत का स्वतंत्रता दिवस बस कुछ ही दिन दूर है। धीरे-धीरे हर जगह तिरंगे वाली लाइटों और गुब्बारों की सजावटें नज़र आने लगेंगी। जगह-जगह तिरंगे झंडे भी बिकते नज़र आयेंगे और स्वतंत्रता दिवस आते-आते हर व्यक्ति का दिल देश प्रेम से लबरेज़ हो जायेगा। लेकिन इस बार यह तिरंगा झंडा आपको देश प्रेम, एकता और ताकत का प्रतीक होने के अलावा एक और तोहफा देगा।
तिरंगा बचायेगा पर्यावरण
इस बार भारतीय तिरंगा एक सीड पेपर से भी बनाया जायेगा, जिसे स्वतंत्रता दिवस के आयोजन के बाद अगर आप मिट्टी में दबा देंगे, तो वह एक मैरीगोल्ड, बेसिल, मिर्च, गाजर या टमाटर के पौधे में बदल जायेगा। इस झंडे को बनाने और लोगों तक पहुंचाने के पीछे कई प्राइवेट फर्म्स और एनजीओज़ की मेहनत है। सीड पेपर से बनाने की यह पहल चेन्नई की राज्य सरकार के प्लाटिक फ्लैग्स बैन करने के बाद हुई और आपको जानकर हैरानी होगी की ये खास झंडे बड़ी तेज़ी से बिक रहे हैं।
क्या कहना है इससे जुड़े लोगों का?
नई दिल्ली के व्रित फाउंडेशन को चलाने वाली क्रिथिका सक्सेना की माने, तो उन्हें चेन्नई से ये स्पेशल झंडों के कई ऑर्डर्स आ चुके हैं। इस सीड पेपर्स से बने झंडों की कीमत पांच से दस रुपये है। वो यह भी बताती हैं कि फ्लैग कोड 2002 के तहत एक झंडे को मिट्टी में दबाने की अनुमति होती है।
अहमदाबाद के एक ग्रुप देवराज के एक मेंबर का कहना है कि वो झंडे को मिर्च और टमाटर में बदलने वाले फ्लैग्स का विकल्प लोगों को दे रहे हैं। वह साथ में यह भी कहते हैं कि हालांकि लोगों में इन झंडों के बारे में जानकारी बढ़ रही है, लेकिन लोग इन्हें खास ओकेज़नों पर ही इस्तेमाल कर रहे हैं। देवराज के कई क्लाइंट्स चेन्नई के हैं, और पिछले साल 25000 झंडों के मुकाबले इस साल 15000 झंडों के ऑर्डर्स ऑलरेडी आ चुके हैं।
पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड के ऑर्डर्स
तमिलनाडु पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड के एंवायरमेंटल इंजीनियर ए राजकुमार का कहना है कि वह जल्द ही स्कूलों और सरकारी डिपार्टमेंट्स को सर्कुलर इशु करेंगे कि स्वतंत्रता दिवस पर प्लास्टिक के झंडों और डेकोरेशन्स का इस्तेमाल न करें।
इस स्वतंत्रता दिवस पर पर्यावरण के लिये ‘करें सही’
– प्लास्टिक के झंडे इस्तेमाल न करें।
– सीड पेपर से बने झंडों के बारे में जागरुक्ता फैलायें और उनका इस्तेमाल करें।
– आज़ादी के इस जश्न में पर्यावरण बचाने और हरियाली बढ़ाने का प्रण लें।
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