आजकल लोग दिमाग से जुड़ी बीमारियों और स्ट्रैस के कारण होने वाली निराशा से जुड़ी समस्याओं के बारे में जानने लगे हैं। शायद यही कारण है कि अब लोग मानसिक रोगियों को पागल नहीं समझते बल्कि लोग अब अपने नज़दीकी थेरेपिस्ट की मदद लेते हैं। वैसे अगर आपको अपनी ज़िंदगी में कुछ बदलाव नज़र आते हैं, तो जल्द से जल्द आप हमारे बताए इन बदलावों को अपनायें और ज़िंदगी को बेहतर बनाये।
नींद को हल्के में न लें
अगर आपको स्ट्रैस के कारण नींद नहीं आ रही, तो आंखों के नीचे काले घेरे बनने लग जाते हैं। दरअसल जो लोग स्ट्रैस में होते हैं, वह दिन के ज़्यादातर घंटे जागकर ही बिताते हैं और चिंता के कारण उनका दिमाग छोटी- छोटी बातों में बेवजह ही उलझा रहता है।
अगर आपके दिमाग में बहुत ज्यादा तनाव है, तो योगा और ध्यान कर सकते हैं। इससे दिमाग को शांत होगा और शरीर के हार्मोंन सही ढ़ंग से काम करेंगे। इसका फायदा यह भी होगा कि नींद की कमी से होने वाली बैचेनी कम महसूस होगी और जब मन शांत होगा तो नींद भी आएगी।
तो ध्यान को नियमित रूप से करें और मन को एक जगह केंद्रित करें।
कसरत से रखें खुद को तरोताज़ा
रोज़ाना कसरत करने से ज़्यादा फायदेमंद और कुछ भी नहीं है। शुरुआत में कसरत करना आपको मुश्किल ज़रूर लगेगा, लेकिन यह न केवल आपके शरीर को स्वस्थ रखता है, बल्कि आपके मन को भी स्वस्थ बनाता है। यह पाया गया है कि रोज़ाना की कसरत दवाओं से भी कई ज़्यादा असरदार है।
लेकिन कसरत करते समय यह ध्यान ज़रूर रखें कि अपने शरीर को ज़्यादा तकलीफ न दें। जितना आपका शरीर सहज महसूस करता है, उतनी ही कसरत करें पर कोशिश कीजिये कि जो भी कसरत करें, उसका नियमित रूप से पालन करें। आप शुरूआत सुबह और शाम की सैर से कर सकते हैं। यह आपके जीवन में एक पॉज़िटिव सोच लेकर आयेगा और आप खुद को बेहतर महसूस करने लगेंगे। आप स्विमिंग और साइकिल चलाने जैसे खेल भी अपने लिए चुन सकते हैं और उन्हें अपने जीवन का हिस्सा बना सकते हैं।
अपनी टीम के साथ करें टीमवर्क
अगर आपको एक्टिंग या डायरेक्शन जैसी हॉबीज़ है तो अपने आसपास के किसी ड्रामा क्लास को जॉइन कर सकते हैं। इसके अलावा आप अपनी नज़दीकी सामाजिक संस्था से जुड़ सकते हैं और उनकी किसी योजना में हाथ बटा सकते हैं।
लाइफस्टाइल में बदलाव लाने का एक मतलब यह भी है कि आप अपने जैसी सोच वाले लोगों के साथ मेल-जोल बढ़ाये और अपनी पसंदीदा चीजें करें। किसी टीम को जॉइन करना, किसी ग्रुप का हिस्सा बनना या किसी शौक के लिए काम करने का मतलब ही है कि खुद की क्षमता को बढ़ाना और खुद को खुश रखना।
वैसे तो आपकी दिमागी सेहत के बारे में आपका थेरेपिस्ट ही ज्यादा बेहतर बता सकता है किंतु लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव लाने से स्ट्रैस कम होने में मदद मिलती हैं। इससे आप ज़िंदगी में पॉज़िटिव बदलाव महसूस करेंगे और खुद को एक बेहतर इंसान की तरह देखना शुरू कर देंगे।
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