किसी ने सच ही कहा है, ‘जहां चाह, वहां राह।’ यानी इंसान अगर कुछ करना चाहे, तो रास्ते अपने आप बन जाते है। देश के सबसे बड़े दूध उत्पादक देश भारत में पशुओं के चारे की समस्या दूर करने के लिए राजस्थान के एक युवक ने बहुत अनोखी तकनीक इजाद की है। इससे खराब अनाज और बर्बाद खाने का तो इस्तेमाल हो ही जाएगा, साथ ही पशुओं के लिए पोषक चारा तैयार किया जा सकता है।
अनोखी पहल
राजस्थान के जोधपुर के रहने वाले 30 वर्षीय निखिल बोहरा ने बायोटेक्नोलॉजी से ग्रैज्युएट किया है। जिस उम्र में युवा उच्च शिक्षा के बाद विदेश में अच्छी नौकरी तलाशते हैं, उस उम्र में निखिल अपने इलाके के किसानों और पशुओं की समस्या दूर करने की कोशिश में लगे हुए हैं। निखिल ने देखा कि दूध का सबसे बड़ा उत्पादक देश होने के बावजूद हमारे देश में पशुओं के लिए चारे की कमी है, क्योंकि खेती के लिए ही ज़मीन बहुत कम बची है ऐसे में किसान भला पशुओं के लिए चारा कहां उगाएंगे?
सस्ते आहार का विकल्प
बाज़ार में पशुओं के लिए आहार उपलब्ध है, लेकिन वह इतना महंगा है कि छोटे किसान उसका खर्च नहीं उठा सकते, इसलिए पढ़ाई पूरी करने के बाद निखिल ने इस दिशा में काम करने की सोची। रिसर्च के बाद उन्हें पशुओं के लिए सस्ता आहार बनाने का विकल्प मिल गया।
खराब अनाज और बर्बाद खाने का इस्तेमाल
हमारे देश में अन्न की बहुत बर्बादी होती है। इसके अलावा कृषि से भी काफी मात्रा में कचरा निकलता है, जिस जला दिया जाता है। निखिल ने इन सब चीज़ों पर रिसर्च की और फिर इन्हें मिलाकर पशुओं के लिए आहार तैयार किया। इसकी कीमत कम रखने के लिए उन्होंने आहार में मक्के की जगह विदेशी बबूल की फलियों का इस्तेमाल किया। निखिल के इस प्रोजेक्ट का नाम है कैटल-मैटल।
शानदार नतीजे
जानवरों के लिए तैयार आहार का जब उन्होंने इस्तेमाल किया, तो नतीजे देखकर खुशी से फूले नहीं समाए, क्योंकि इसे खाने के बाद दूध उत्पादन बीस प्रतिशत तक बढ़ गया, वह भी गर्मी के समय में जब पशुओं को पर्याप्त चारा नहीं मिल पाता। निखिल के काम को थोड़े ही दिनों में लोगों की खूब तारीफ मिली और फिर उनके स्टार्टअप को फंड भी मिल गया।
जारी है प्रयास
निखिल को उनके काम के लिए अब तक कई अवॉर्ड भी मिल चुके हैं। वेस्ट यानी की खराब चीज़ों के इस्तेमाल से पशुओं के लिए आहार बनाकर उन्होंने पशुओं और किसानों दोनों की समस्याओं का समाधान कर दिया। फिलहाल जोधपुर और पाली में काम कर रहे निखिल की योजना राजस्थान के बाकी हिस्सों में भी अपना पशु आहार पहुंचाने की है।
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इमेज: फोर्ब्स
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