रंग-बिरंगे पक्षियों को खुले आसमान के नीचे एक साथ विचरते देखने का अनुभव बहुत खास होता है। ऐसे समय में जब पक्षियों की कई प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर हैं, शोधकर्ताओं ने उनकी 10 नई प्रजातियों की खोज की है। 2013 और 2014 में 6 महीने के प्रयास के बाद शोधकर्ताओं ने इंडोनेशिये के तीन आइलैंड तैलियाबु, पेलंग और बटुडका में पक्षियों की 5 नई प्रजातियां और 5 नई उप-प्रजातियों की खोज की है।
पक्षियों की नई प्रजातियां मिली यहां
ये तोनों आइलैंड अज्ञात पक्षियों के लोकप्रिय ठिकाने हैं। सिंगापुर के नेशनल यूनिवर्सिटी के एक पक्षी विज्ञानी फ्रैंक रिंड्ट के मुताबिक, “हम गहरे समुद्र से घिरे आइलैंड पर जाने का इरादा रखते थे, क्योंकि आइस एज के दौरान यह किसी बाहरी भूमि से नहीं जुड़ा हुआ था। इसलिए कहीं और नहीं पाई जाने वाली प्रजातियों की खोज के लिए यह सबसे बेहतरीन जगह है।” कई ट्रॉपिकल फॉरेस्ट बर्ड खुले क्षेत्रों में जाने से झिझकते हैं इसलिए उन्हें देख पाना मुश्किल होता है।
नई मिली उप-प्रजातियों में से दो लीफ वारब्लर्स हैं, जो छोटे कीट-खाने वाले सॉंग बर्ड समूह से संबंधित हैं। अन्य प्रजातियों में शामिल हैं टालियाबू मेज़ोमेला, जो एक प्रकार का हनीटर और पेलेंग फैनटेल, जिसे यह नाम इसलिए मिला है क्योंकि डरने पर यह अपनी पूंछ के पंखों को पंखे की तरह फैला लेती है।
कैसे मिले यह पक्षी?
पक्षियों के गीतों को ट्रैक करके शोधकर्ता उन तक पहुंचे। पक्षियों पर नज़र रखने का यह एक आज़माया हुआ तरीका है। भारी बारिश व पहाड़ों पर लंबी पैदल यात्रा के बाद वैज्ञानिकों ने आखिरकार इन अज्ञात पक्षियों को ढ़ूंढ निकाला।
लैब में पक्षियों के सभी सैंपल की जांच की गई और उनकी शारीरिक रचना और उपस्थिति का सावधानीपूर्वक वर्णन किया गया। उनके डीएनए और गीतों का भी बारीकी से विश्लेषण किया गया ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे किसी भी ज्ञात प्रजाति से अलग हैं।
संरक्षण की चिंता
अब वैज्ञानिक इन पक्षियों की संरक्षण को लेकर चिंतित हैं। क्योंकि इन सभी पक्षियों के कहीं और पाए जाने की संभावना नहीं है। इसलिए जंगल की आग और जंगलों की कटाई के कारण इनके विलुप्त होने का खतरा है। इन पक्षियों में से एक ग्रासहॉपर वार्बलर को लेकर चिंता अधिक है, क्योंकि यह पक्षी ऊंचे पहाड़ पर मिलने वाली बौनी वनस्पतियों में पाया जाता है। वह भी ऐसे इलाके में, जो जंगली जानवरों के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं। जैसे-जैसे तापमान बढ़ता है, वैसे-वैसे जंगल की आग का खतरा भी बढ़ जाता है। ऐसे में आग लगने पर पक्षियों के पास और अधिक ऊंचे स्थान पर जाने का विकल्प नहीं रहता।
फिलहाल वैज्ञानिकों का पूरा फोकस पक्षियों की नई प्रजातियों और उप प्रजातियों को बचाने और उनके सरंक्षण पर है। उन्हें उम्मीद है कि इंडोनेशिया की सरकार इन्हें संरक्षित दर्जा प्रदान करेगी।
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