कहते हैं कि धरती ब्रह्मांड का सबसे खूबसूरत ग्रह है। इसकी सुंदरता हरे-भरे पेड़-पौधों, रंग-बिरंगे फूलों और नीले चमकते पानी में छिपी है। पानी की बात करे तो धरती का करीब 71 फीसदी हिस्सा पानी में है। इसके बावजूद सिर्फ 0.3% पानी ही मनुष्य के इस्तेमाल में आ सकता है। इसलिए तो दुनियाभर में पानी को संरक्षित करने के लिए जागरुकता अभियान चलते हैं। समाज को आईना दिखाती हमारी हिंदी फिल्मों ने भी पानी की किल्लत को संजीदगी से बयान किया है।
1. लगान
सबसे पहले बात करते हैं साल 2002 में आई आमिर खान की फिल्म लगान के बारे में। वैसे तो इस फिल्म को क्रिकेट के नज़रिये से पेश किया गया था लेकिन इस फिल्म की पृष्ठभूमि सूखे को लेकर थी। अंग्रेज सूखाग्रस्त गांव का लगान माफ नहीं करते और गांववालों के पास देने को कुछ नहीं था, इसलिए अंग्रेज गांववालों को क्रिकेट खेलने और मैच जीतने पर लगान माफ करने की शर्त करते हैं।
अगर आपने तब यह फिल्म नहीं देखी, तो इसे आप नेटफ्लिक्स पर देख सकते हैं।
2. वेलडन अब्बा
साल 2009 में आई श्याम बेनेगल की फिल्म वेलडन अब्बा में हैदराबाद के पास के एक गांव की कहानी है, जहां पानी की बहुत किल्लत होती है। ऐसे में ग्रामीण बोमन ईरानी और उनकी बेटी मिनिशा लांबा कैसे अपने खेतों में एक कुआं खुदवाने के लिए इधर से उधर भटकते हैं। फिल्म में पानी की जद्दोजहद, सिस्टम में भ्रष्टाचार को बेहतरीन ढंग से दिखाया गया था और इसी वजह से फिल्म क नेशनल अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया था।
इस फिल्म को भी आप नेटफ्लिकिस पर देख सकते हैं।
3. जल
साल 2014 में आई इस फिल्म की कहानी गुजरात के दो ऐसे गांवों की कहानी है, जहां पानी का नामोनिशान तक नहीं होता। लोग पानी के लिए एक दूसरे के साथ लड़ते-झगडते हैं। पानी की कमी से जीवन कैसा हो सकता है, इसे निर्देशक ने बड़े बेहतरीन अंदाज से दिखाया है।
इस फिल्म को आप नेटफ्लिक्स, हॉटस्टार और यूट्यूब पर देख सकते हैं।
4. कौन कितने पानी में
साल 2015 में आई इस फिल्म को कनाडा की एक एनजीओ के साथ मिलकर बनाया गया है, जिसमें निर्देशक ने बड़ी ही खूबसूरती से पानी के संरक्षण को दर्शाया है। उन्होंने बताया है कि आप पानी बचा कर अपने आने वाली पीढ़ियों को क्या दे सकते हैं।
जल संरक्षण से जुड़ी इस फिल्म को आप यूट्यूब पर फ्री में देख सकते हैं।
5. कड़वी हवा
साल 2017 में आई यह फिल्म सूखाग्रस्त गांवों की सच्ची कहानियों पर आधारित है। इसमें पर्यावरण में हो रहे परिवर्तन के कारण सूखे की मार झेल रहे बुंदेलखंड के क्षेत्र में लोगों को घास की रोटियां तक खानी पड़ी थी। वही बूढ़ा पिता इसी चिंता मे डूबा रहता है कि सूखे की वजह से उसका किसान बेटा कहीं खुदखुशी न कर लें। पानी की कमी के चलते मानवीय संवदेनाओं को काफी बारीकी से दिखाया गया है।
आप इसे ज़ी5 और एयरटेल एक्सट्रीम पर देख सकते हैं।
मानवीय संवेदनाओं को दर्शाते हुए पानी को बचाने का ही संदेश देती इन फिल्मों से सीखा जा सकता है कि पानी न बचाने पर भविष्य कैसा हो सकता है। इसलिए पानी बचाकर अपनी आने वाली पीढ़ी को बेहतर भविष्य दो।
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