मां बनने का एहसास महिलाओं के लिए सबसे अलग और सुखद होता है, लेकिन प्रेग्नेंसी के उन नौ महीनों में ये खाओं और ये न खाओं, की हिदायतें उन्हें परेशान और कन्फ्यूज़ कर देती हैं। महिलाएं समझ ही नहीं पाती की किसकी बात सुनें और किसकी नहीं। हर मां हेल्दी बच्चा चाहती हैं और उसके लिए ज़रूरी है प्रेग्नेंसी के दौरान हेल्दी डाइट।
प्रेग्नेंट और ब्रेस्टफीड करवाने वाली महिलाओं को सेहत के प्रति जागरुक करने के लिए 11 अप्रैल को नेशनल सेफ मदरहुड डे सेलिब्रेट किया जाता है। बच्चे की हेल्थ मां की सेहत से जुड़ी होती है, इसलिए प्रेग्नेंट महिलाओं को अपनी सेहत का खास ख्याल रखना चाहिये। हमारे देश में प्रेग्नेंसी को लेकर कई तरह के मिथक हैं, जैसे इस दौरान महिलाओं को दो लोगों का भोजन करना चाहिये, केसर, नारियल और संतरा खाने से बच्चा गोरा पैदा होता है आदि। असल में महिलाओं को पता ही नहीं होता कि उन्हें क्या खाना चाहिये और क्या नहीं।
प्रेग्नेंसी में खायें ये चीज़ें
– दूध और दूध से बनी चीज़ें ज़रूर खानी चाहिये क्योंकि इस समय शरीर को अतिरिक्त प्रोटीन और कैल्शियम की ज़रूरत होती है। इसलिए दूध, दही, पनीर आदि को डाइट में ज़रूर शामिल करें।
– इस दौरान शरीर में हिमोग्लोबिन की कमी नहीं होनी चाहिये। हिमोग्लोबिन बनाने के लिए आयरन की ज़रूरत होती है, इसलिए आयरन से भरपूर चीज़ें जैसे- एप्रीकॉट, बादाम, हरी पत्तेदार सब्ज़ियां, पालक, ब्रोकली, सोयाबीन, राजमां, ब्राउन राइस, साबुत अनाज आदि खाने चाहिये।
– प्रेग्नेंसी में ड्राई फ्रूट्स खाना भी ज़रूरी है। ड्राई फ्रूट्स में विटामिन, कैलोरी, फ़ाइबर, ओमेगा 3 फ़ैटी एसिड आदि होता हैं। अखरोट में ओमेगा 3 फैटी एसिड होता है। बादाम और काजू भी प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए फायदेमंद होते हैं, लेकिन इन्हें सीमित मात्रा में ही खायें।
– इस दौरान कॉन्स्टिपेशन की समस्या से बचने के लिए फाइबर से भरपूर चीज़ें जैसे- साबुत अनाज, दालें और फाइबर से भरपूर फल और सब्ज़ियां खायें।
– इस दौरान शरीर को हाइड्रेट रखना बहुत ज़रूरी है, इसलिए 8-10 गिस पानी पियें।
– प्रेग्नेंट महिलाओं को एवाकाडो ज़रूर खाना चाहिये। इसमें भरपूर मात्रा में फोलेट होता है, जो बच्चे के मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के विकास में मददगार है। साथ ही एवाकाडो में विटामिन-के, पोटैशियम, कॉपर, मोनो अनसैचुरेटेड फैट, विटामिन-ई भी मौजूद होता है।
इन चीज़ों से करें परहेज़
– प्रेग्नेंट महिलाओं को कैफीन का ज़्यादा सेवन न करने की सलाह दी जाती है।
– प्रेग्नेंसी के पहले तीन महीने में कच्चा पपीता नहीं खाने की सलाह दी जाती है। क्योंकि इसमें मौजूद कुछ तत्वों की वजह से मिसकैरेज का खतरा बढ़ सकता है।
– प्रेग्नेंसी के दौरान कच्चे स्प्राउट्स नहीं खाने चाहिये क्योंकि इनमें साल्मोनेला, लिस्टेरिया और ई-कोलाई जैसे बैक्टीरिया होते हैं, जिससे फूड प्वॉयज़निंग हो सकती है।
– कोई भी फल या सब्ज़ी बिना धोये न खायें क्योंकि इसमें मौजूद बैक्टीरिया बच्चे की ग्रोथ में बाधा पहुंचा सकते हैं।
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