योग और ध्यान करेंगे कैंसर से लड़ने में मदद

योग और ध्यान करेंगे कैंसर से लड़ने में मदद

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श्रुति बहुत दिनों से कॉलेज नहीं गई, तो रिंकी उसका हाल पूछने घर पहुंची। बता चला कि श्रुति को कैंसर है, इसलिये उसने कहीं भी आना जाना छोड़ दिया है। इस बात से घर में सभी परेशान थे। तब रिंकी ने उसे योग और ध्यान की शक्ति से परिचय कराया कि कैसे योग और ध्यान से आत्मशक्ति पाई जा सकती है।

योग से मिलेगा सहारा

कैंसर के मरीज़ों को सबसे ज़्यादा शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक सहारे की ज़रूरत होती है। योग, बीमारियों के उपचार का पुराना भारतीय तरीका है। योग आपको भीतर से स्वस्थ रखने की प्रक्रिया है।

योग के आसन, प्राणायाम और मेडिटेशन या ध्यान जैसे कई रूप होते हैं। योग से कैंसर के मरीजों को बीमारी के​ निगेटिव प्रभावों से निपटने में मदद मिलती है। ये बात रिसर्च में साबित हो चुकी है कि कैंसर के मरीज़ योग के अभ्यास से कई फायदे होते हैं।

तनाव में कमी

जब भी कोई गंभीर बीमारी होती है, तो मरीज़ को इमोशनल ताकत चाहिये, जिसकी कमी वह सबसे ज़्यादा महसूस करता है। योग से न सिर्फ तनाव कम होता है, बल्कि इम्यून सिस्टम को भी मज़बूत करने में मदद मिलती है।

योग और ध्यान करेंगे कैंसर से लड़ने में मदद
योगासन का अभ्यास है ज़रुरी  | इमेज : फाइल इमेज

बेहतर नींद

योगासन और प्राणायाम के लगातार अभ्यास से शरीर को आराम मिलता है। इससे नींद की गुणवत्ता में सुधार होता है। चिंता के कारण बार बार नींद खुलने की समस्या से भी छुटकारा मिलता है। जब स्ट्रैस कम होता है और बेहतर नींद मिलती है, तो बीमारी ठीक होने की प्रक्रिया भी तेज़ हो जाती है।

योगासन के लगातार अभ्यास से शरीर में ताकत, लचीलापन और शारीरिक गतिविधियां बढ़ती है। योग के निरंतर अभ्यास से बिस्तर पर लेटे हुये भी शरीर को गतिशील बनाया जा सकता है।

शरीर को करता है डिटॉक्स

योगासन शरीर की मसल्स पर सीधा असर डालता है। इससे शरीर में खून की सप्लाई भी बढ़ती है। इससे शरीर की ग्लैंड्स में बैलेंस बढ़ता है। कैंसर में योग का सबसे ज्यादा असर​ लसिका ग्रंथियों या लिम्फैटिक ग्लैंड्स पर पड़ता है। लिम्फैटिक ग्लैंड्स शरीर को भीतर से हील करने की प्रक्रिया को तेज़ करती है। इसके अलावा योग का विज्ञान शरीर और दिमाग के संबंध को मज़बूत करता है और आत्मविश्वास को बढ़ाने में मदद करता है।

ऐसे सभी लोग जो कैंसर से जूझ रहे हैं और कीमोथैरपी ले रहे हैं। उन्हें योगासन आंतरिक शांति और खुशी देने में मदद करेगा। इससे मरीज़ के भीतर जीने की इच्छा बढ़ती है। वैसे भी ये सिर्फ जीने की चाहत ही होती है, जो मरीज को फिर से उठ खड़ा होने की ताकत देती है।

योग से करें नेगेटिव सोच को काबू

– किसी भी बीमारी से डरे नहीं।

– रोज़ योगासन और प्राणायाम करते रहें।

– ध्यान करें और मन को शांत रखें।

– समय – समय पर अपनी दवाईयां लेते रहें।

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