आजकल खुद को फिट रखने के लिए अधिकांश लोग कसरत और योग करते हैं, मगर योग सिर्फ कसरत तक ही सीमित नहीं है। योग सिर्फ आपके शरीर को ही नहीं, बल्कि आपके मन, भावना और आत्मा को एक दूसरे से जोड़ता है, मानसिक शांति प्रदान करता है। योग अपने आप में बहुत व्यापक है और मेडिटेशन या ध्यान इससे अलग नहीं है, बल्कि इसका ही एक हिस्सा है।
योग से अलग नहीं है ध्यान
बहुत से लोग योग और मेडिटेशन को दो अलग-अलग चीज़ें मानते हैं, जबकि सच तो यह है कि योग एक सागर है और मेडिटेशन इसी सागर का एक भाग है। योग खुद को संपूर्ण रूप से स्वस्थ रखने और जीवन जीने की कला है। सिर्फ कुछ आसन करना ही योग नहीं है, बल्कि यह समग्र और व्यापक है। योग में ध्यान आसन, प्राणायम, ध्यान और समाधि सब कुछ शामिल है। आमतौर पर योग के सारे आसान करने के बाद जब शरीर और मन थक जाता है तो उसे शांत करने के लिए मेडिटेशन किया जाता है। इसमें मुख्य फोकस विचारों और सांसों पर होता है। नियमित रूप से मेडिटेशन करने पर आप अपने विचारों पर काबू कर सकते हैं और यह चीज़ों के देखने का आपका नज़रिया बिल्कुल बदल देगा, आप पूरी तरह से सकारात्मक तरीके से सोचने और देखने लगेंगे।
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योग का क्या मतलब है?
आजकल ज़्यादातर लोग योग के 5-6 आसन करने के बाद कहते हैं, आज मैंने योग किया है, लेकिन यह तो सागर की कुछ बूंदों के समान है। वास्तव में योग सिर्फ आसन और शारीरिक कसरत तक ही सीमित नहीं है यह अध्यात्मक की ओर ले जाता है या आपको खुद से, अपनी आत्मा से जोड़ता है। आष्टांग योग जिसे पारंपरिक योग भी कहते हैं, के आठ अंग है जिसमें शामिल हैः
- यम
- नियम
- आसन
- प्राणायाम
- प्रत्याहार
- धारणा
- ध्यान (मेडिटेशन)
- समाधि
पहले चार अंगों को बाह्य या बाहरी योग कहा जाता है, प्रत्याहार यानी पांचवा अंग बाहरी और आतंरिक योग के बीच पुल का काम करता है, जबकि धारणा और ध्यान मन को एकाग्र और विचारों को नियंत्रित करते हैं, समाधि योग का आखिरी पड़ाव माना जाता है, जहां इंसान की आत्मा ईश्वर से जुड़ जाती है। आजकल ज़्यादातर योग में आसन और प्रणायाम ही करते हैं।
योग आसनों से कितना अलग है मेडिटेशन?
योग के आसन में शरीर के अलग-अलग हिस्सों को मज़बूत और लचीला बनाने के लिए अलग-अलग आसान हैं। लेकिन कुछ खास बीमारी से पीड़ित लोग हर तरह के आसन नहीं कर सकते। इसलिए ज़रूरी है कि शुरुआत में आप प्रशिक्षित व अनुभवी व्यक्ति से अच्छी तरह योग सीख लें, उसके बाद ही खुद से प्रैक्टिस करें, जबकि मेडिटेशन हर कोई कर सकता है। इसमें आपको आरामदायक मुद्रा में बैठकर आंखें बंद करके ध्यान केंद्रित करना होता है। सांसों पर फोकस करना ज़रूरी है। हमारे मन में जो विचार चलते हैं और पूरा दिन हम जो काम करते हैं उसमें एक विरोधाभास होता है और यही वजह है कि हम चिंता और तनाव का शिकार हो जाते हैं, लेकिन मेडिटेशन की प्रैक्टिस से धीरे-धीरे विचारों को काबू करना सीखकर इस विरोधाभास को खत्म किया जा सकता है, जिससे आप तनाव और चिंता से मुक्त हो जाते हैं।
ध्यान योग का अभिन्न हिस्सा है, अलग-अलग आसान की प्रैक्टिस के बाद जब आपका शरीर और मन थक जाता है तो मेडिटेशन उसे रिलैक्स करता है।
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