राहुल ने फुटबॉल खेलना शुरू किया, तो उसने कसरत पर बहुत ज़्यादा ध्यान देना शुरू कर दिया। घंटों- घंटों जिम में पसीना बहाना, उसका रोज़ का रूटीन हो गया था। जब भी वह अपने फेवरेट खिलाड़ियों को सोशल साइट्स पर जिम में कसरत करते देखता, तो उसका जोश और बढ़ जाता। इससे उसका शरीर मज़बूत तो होने लगा, लेकिन शरीर में जो लचीलापन होना चाहिये था, वह नहीं था और उसे मानसिक सुकून भी नहीं मिल रहा था।
काफी हैरान परेशान राहुल को आखिरकार इसका उपाय मिल ही गया और वह उपाय था- योग। दरअसल जब उसके मामा योग के टीचर है और जब वह राहुल से मिलने आये, तो राहुल ने उन्हें अपनी परेशानी बताई। इस पर मामा ने समझाया कि योग करने से शरीर और मन दोनों को फिट रखा जा सकता है और आम लोगों के साथ ही हर खिलाड़ी के लिए भी योग बेहद ज़रूरी है। इससे न सिर्फ उनकी क्षमता बढ़ती है, बल्कि शरीर और लचीला बनता है।
मामाजी ने खासतौर पर ज़ोर देते हुये कहा कि पिछले कुछ सालों में योग सिर्फ देश ही नहीं विदेशों में भी बहुत लोकप्रिय हुआ है। अब जो खिलाड़ी रनर है, उसके शरीर के लोअर भाग की कसरत तो हो जाती है, लेकिन ऊपर के भाग की एक्सरसाइज़ नहीं हो पाती। ऐसे में योग बहुत काम आता है। तो, जानिये मामा ने योग के क्या फायदे बतायें-
लचीलापन
योग की अलग-अलग मुद्राओं में आपके पूरे शरीर की मांसपेशियों का इस्तेमाल होता है। रोज़ाना प्रैक्टिस से शरीर बहुत लचीला हो जाता है। इससे खिलाड़ी किसी भी तरह के खेल में आसानी से अपने शरीर को मोल्ड कर सकते हैं। मसल्स ढ़ीली होती है, तो चोट और दर्द भी कम होता है। योग से पैर की मांसपेशियां और मज़बूत होती है।
बायोमेकेनिकल बैलेंस
किसी एक मसल्स का ज़्यादा इस्तेमाल और दूसरे के कम इस्तेमाल से मस्क्युलर इंबैलेंस यानी असंतुलन हो जाता है जिसे योग से कम किया जा सकता है। यानी योग बायोमेकेनिकल बैलेंस को बनाए रखने में मदद करता है। नियमित योग से कमर, हाथ और पैरों की मसल्स को मज़बूती मिलती है।
श्वसन प्रणाली को मज़बूत करता है
खिलाड़ियों खासतौर से रनर के फेफड़े मज़बूत होने चाहिए और योग की नियमित प्रैक्टिस से ब्रिंदिंग यानी सांस लेनी की क्षमता और बेहतर बनती हैं। योग में श्वास लेने और धीरे-धीरे छोड़ने से फेफड़े मज़बूत होते हैं। योग से टेंशन और एंग्ज़ाइटी भी दूर होती है।
सबसे महत्वपूर्ण है कि इससे आपका दिमाग भी बिल्कुल तरोताज़ा हो जाता है। फिर आज से आप भी मामाजी के कहने पर योग शुरू करें।
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